आचार्य वरण संकल्प acharya varan sankalpa

आचार्य वरण संकल्प acharya varan sankalpa
आचार्य वरण संकल्प acharya varan sankalpa
आचार्यादिवरणम्
जलाक्षतदक्षिणावस्त्रादि लेकर आचार्यादि ब्राह्मणों का वरण संकल्प करें-

अमुकगोत्रः अमुकशर्मा यजमानः अस्मिन् अमुककर्मणि एभिः वरणद्रव्यैः आचार्यत्वेन (ब्रह्मत्वेन, ऋत्विक्त्वेन…… ) त्वामहं वृणे । वृतोऽस्मि ॥

यजमान ब्राह्मणों की गन्धाक्षतपुष्प से पूजा कर वरण करे-

ॐ बृहस्पतेऽअतियदर्योऽअर्हाद्दुमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु । 
यद्दीदयच्छवसऽ ऋत प्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम् ॥ 
 
नमोऽस्त्वन्नताय सहस्रमूर्तये सहस्रपादाक्षि-शिरोरुबाहवे । 
सहस्रानाम्ने पुरुषाय शाश्वते सहस्रकोटियुगधारिणे नमः । 
नमो ब्रह्मण्यदेवाय गोब्राह्मणहिताय च । 
जगद्धिताय कृष्णाय गोविन्दाय नमो नमः ।।

ब्राह्मणों के हाथ में इस मन्त्र से मौली बाँधें-

ॐ व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षयाऽऽप्नोति दक्षिणाम् । 
दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते ॥

आचार्य यजमान का इस मन्त्र से रक्षाबन्धन करें-

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः । 
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ।
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