भजन श्यामसुन्दर का करते रहोगे/bhajan shyam sundar ka karte rahoge
भजन श्यामसुन्दर का करते रहोगे,
तो संसार सागर से तरते रहोगे।।
तो संसार सागर से तरते रहोगे।।
कृपानाथ केवल मिलेंगे किसी दिन,
जो सत्संग पथ से गुजरते रहोगे।
चढ़ोगे हृदय पर सभी के सदा तुम,
तो अभिमान गिरि से उतरते रहोगे।।
तो अभिमान गिरि से उतरते रहोगे।।
न होगा कभी क्लेश मनको तुम्हारे,
जो अपनी बढ़ाई से डरते रहोगे।
जो अपनी बढ़ाई से डरते रहोगे।
छलक ही पड़ेगा दया सिन्धु का दिल,
जो दृग बिन्दु से रोज भरते रहोगे।।
जो दृग बिन्दु से रोज भरते रहोगे।।
भजन श्यामसुन्दर का करते रहोगे/bhajan shyam sundar ka karte rahoge
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