Saturday, October 5, 2024
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चतुःश्लोकी भागवत chatuh shloki bhagwat sanskrit

चतुःश्लोकी भागवत chatuh shloki bhagwat sanskrit

चतुःश्लोकी भागवत
अहमेवासमेवाग्रे नान्यद्यत्सदसत्परम् ।
पश्चादहं यदेतच्च योऽवशिष्येत सोऽस्म्यहम् ।।

ऋतेऽर्थं यत्प्रतीयेत न प्रतीयेत चात्मनि ।
तद्विद्यादात्मनो मायां यथाऽऽभासो यथा तम: ।।

यथा महान्ति भूतानि भूतेषूच्चावचेष्वनु ।
प्रविष्टान्यप्रविष्टानि तथा तेषु न तेष्वहम् ।।

एतावदेव जिज्ञास्यं तत्त्वजिज्ञासुनात्मन: ।
अन्वयव्यतिरेकाभ्यां यत्स्यात्सर्वत्र सर्वदा ।।

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चतुःश्लोकी भागवत chatuh shloki bhagwat sanskrit
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