करारविन्देन पदारविन्दं karar vinde lyrics in hindi
श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्र
करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।।
जिन्होंने अपने करकमल से चरणकमल को पकड़ कर उसके अंगूठे को अपने मुखकमल में डाल रखा है और जो वटवृक्ष के एक पर्णपुट (पत्ते के दोने) पर शयन कर रहे हैं, ऐसे बाल मुकुन्द का मैं मन से स्मरण करता हूँ।
श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्रम्
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! गोविन्द ! हरे ! मुरारि ! हे नाथ ! नारायण ! वासुदेव ! तथा गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’-इस नामामृत का ही निरन्तर प्रेमपूर्वक पान करती रह।
विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्ति:।
दध्यादिकं मोहवशादवोचद् गोविन्द दामोदर माधवेति।।
जिनकी चित्तवृत्ति मुरारि के चरणकमलों में लगी हुई है, वे सभी गोपकन्याएं दूध-दही बेचने की इच्छा से घर से चलीं। उनका मन तो मुरारि के पास था; अत: प्रेमवश सुध-बुध भूल जाने के कारण ‘दही लो दही’ इसके स्थान पर जोर-जोर से ‘गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’ आदि पुकारने लगीं।
गृहे गृहे गोपवधूकदम्बा: सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम्।
पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति।।
व्रज के प्रत्येक घर में गोपांगनाएं एकत्र होने का अवसर पाने पर झुंड-की-झुंड आपस में मिलकर उन मनमोहन माधव के ‘गोविन्द, दामोदर, माधव’ इन पवित्र नामों को नित्य पढ़ा करती हैं।
सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णो: प्रवदन्ति मर्त्या:।
ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति।।
अपने घर में ही सुख से शय्या पर शयन करते हुए भी जो लोग ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन विष्णुभगवान के पवित्र नामों को निरन्तर कहते रहते हैं, वे निश्चय ही भगवान की तन्मयता प्राप्त कर लेते हैं।
जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि।
समस्त भक्तार्तिविनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे ! तू सदा ही श्रीकृष्णचन्द्र के ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मनोहर मंजुल नामों को, जो भक्तों के समस्त संकटों की निवृत्ति करने वाले हैं, भजती रह।
सुखावसाने इदमेव सारं दु:खावसाने इदमेव ज्ञेयम्।
देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति।।
सुख के अंत में यही सार है, दु:ख के अंत में यही गाने योग्य है और शरीर का अंत होने के समय भी यही मन्त्र जपने योग्य है, कौन-सा मन्त्र? यही कि ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’
जिह्वे रसज्ञे मधुर प्रिया त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि।
आवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे रसों को चखने वाली जिह्वे ! तुझे मीठी चीज बहुत अधिक प्यारी लगती है, इसलिए मैं तेरे हित की एक बहुत ही सुन्दर और सच्ची बात बताता हूँ। तू निरन्तर ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मधुर मंजुल नामों की आवृत्ति किया कर।
त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते।
वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे! मैं तुझी से एक भिक्षा मांगता हूँ, तू ही मुझे दे। वह यह कि जब दण्डपाणि यमराज इस शरीर का अन्त करने आवें तो बड़े ही प्रेम से गद्गद् स्वर में ‘हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव !’ इन मंजुल नामों का उच्चारण करती रहना।
श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धननाथ विष्णो।
जिह्वे पिवस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति।।
हे जिह्वे ! तू ‘श्रीकृष्ण ! राधारमण ! व्रजराज ! गोपाल ! गोवर्धन ! नाथ ! विष्णो ! गोविन्द ! दामोदर ! माधव !’-इस नामामृत का निरन्तर पान करती रह।
श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्र: भक्ति का अमृत
श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्र भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में डूबे हुए एक अद्भुत स्तोत्र है। इस स्तोत्र में भगवान के विभिन्न नामों का जाप किया गया है, जो भक्त के मन को शांत और प्रसन्न करता है।
स्तोत्र का महत्व
- मन की शांति: इस स्तोत्र का जाप करने से मन शांत होता है और तनाव कम होता है।
- भगवान के साथ जुड़ाव: भगवान के नामों का जाप करने से भक्त भगवान के साथ गहरा जुड़ाव महसूस करता है।
- पापों का नाश: यह स्तोत्र पापों का नाश करने और मोक्ष प्राप्त करने में सहायक होता है।
- सुख-शांति: भक्त को जीवन में सुख और शांति प्राप्त होती है।
स्तोत्र का अर्थ
इस स्तोत्र में भगवान के विभिन्न नामों का उल्लेख किया गया है, जैसे कि गोविन्द, दामोदर, माधव आदि। इन नामों का अर्थ और महत्व निम्नलिखित है:
- गोविन्द: गायों का पालन करने वाला
- दामोदर: माखन चुराने के कारण दाम से बंधा हुआ
- माधव: माधवी ऋतु का स्वामी
स्तोत्र का जाप कैसे करें
- शांत वातावरण: स्तोत्र का जाप शांत वातावरण में करना चाहिए।
- शुद्ध मन: मन को शुद्ध करके जाप करना चाहिए।
- भावना: भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति भाव से जाप करना चाहिए।
स्तोत्र का लाभ
इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से भक्त को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जैसे कि:
- मन की शांति
- भगवान के साथ जुड़ाव
- पापों का नाश
- सुख-शांति
- मोक्ष प्राप्ति
कहाँ से करें स्तोत्र का पाठ
आप इस स्तोत्र का पाठ किसी भी समय और किसी भी स्थान पर कर सकते हैं। आप इसे अपने घर में, मंदिर में या किसी शांत स्थान पर बैठकर कर सकते हैं।
स्तोत्र का अनुवाद
यदि आप इस स्तोत्र का हिंदी अनुवाद चाहते हैं, तो आप इसे ऑनलाइन या किसी भी धार्मिक पुस्तक से प्राप्त कर सकते हैं।
यहाँ श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्र का एक छोटा अंश दिया गया है:
हे जिह्वे! तू ‘श्रीकृष्ण ! राधारमण ! व्रजराज ! गोपाल ! गोवर्धन ! नाथ ! विष्णो ! गोविन्द ! दामोदर ! माधव ! ‘–इस नामामृत का निरन्तर पान करती रह।
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