भागवत मंगलाचरण श्लोक manglacharan lyrics in hindi
मंगलाचरण लिरिक्स
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे ।
तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुमः ॥
ध्येयं सदा परिभवघ्नमभीष्टदोहम्,
तीर्थास्पदं शिवविरिञ्चिनुतं शरण्यम् ।
भृत्यार्तिहं प्रणतपाल भवाब्धिपोतम्,
वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥
वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात्,
पीताम्बरादरुणबिम्बफलाधरोष्ठात् ।
पूर्णेन्दुसुन्दरमुखादरविन्दनेत्रात्,
कृष्णात्परं किमपि तत्वमहं न जाने ॥
कृष्ण त्वदीय पदपंकजपंजरान्ते,
अद्यैव मे विशतु मानसराजहंस ।
प्राणप्रयाणसमये कफवातपित्तैः,
कण्ठावरोधनविधौ स्मरणं कुतस्ते ॥
नारयणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् ।
देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ॥
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया |
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
जय जय श्री राधा रमण, जय जय नवल किशोर ।
जय गोपी चितचोर प्रभु, जय जय माखन चोर ॥
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