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प्रेम नगर की डगर है कठिन prem nagar ki dagar hai kathin lyrics
प्रेम नगर की डगर है कठिन
प्रेम नगर की डगर है कठिन रे वटोही ना करना वसेरा
पग बढ़ा हो ना जाऐ अंधेरा
मन का रतन रख जतन से अनाडी
यहां आगे चोरौ की वस्ती है भारी
ज्ञानी थके गुमानी यहां पल में लूट जाये लाखों का डेरा। पग….
यह तन है टूटी नवरिया रे प्राणी
भरने ना पावे इसमें पापों का पानी
नादान केवट सम्भल के चलो मीत माया भंवर ने तो घेरा । पग…
वादल विपद की अंधेरी है रातें
भजन शार सव झूठी दुनियां की बातें
लखों श्याम पुतलिन में उनकी झलक मित्र हो जाये पल में सवेरा | पग…
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प्रेम नगर की डगर है कठिन prem nagar ki dagar hai kathin lyrics
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