श्री राम कथा ram katha lyrics

Share This Post

 

श्री राम कथा ram katha lyrics

✳ श्री राम कथा ✳

( भूमिका )

अखिल हिय प्रत्ययनीय परमात्मा, पुरुषोत्तम गुण गुण निलय , कौशल्या नंदनंदन परम ब्रह्म , परम सौंदर्य माधुर्य लावण्य सुधा सिंधु , परम आनंद रस सार सरोवर समुद्भूत पंकज, कौशल्या आनंद वर्धन अवध नरेंद्र नंदन श्री रघुनंदन , विदेह वनस् वैजयंती जनक नरेंद्र नंदनी, भगवती भास्वती परांबा जगदीश्वरी माँ सुनैना की आंखों की पुत्तलिका , विदेहजा जनकजा जनकाधिराज तनया, जनक राज किशोरी वैदेही मैथिली श्री राम प्राण वल्लभी श्री जानकी जी |

इन दोनों युगल श्री सीता रामचंद्र भगवान के चरण कमलों में कोटि-कोटि  नमन नतमस्तक वंदन एवं अभिनंदन, चारों भैया और चारों मैया को कोटि-कोटि प्रणाम ,अनंत बलवंत गुणवंत श्री हनुमान जी महाराज के चरणों में बारंबार नमस्कार समुपस्थित भगवत भक्त श्रीरामकथानुरागी सज्जनों आप सभी को भी कोटि-कोटि नमन |

 

सज्जनों हम सब अत्यंत भाग्यशाली हैं जो कि वेद रूपी बाल्मीकि रामायण श्री राम कथा को सुनने का पावन संकल्प अपने हृदय में धारण किए हैं |कयी कयी जन्मों के हमारे पूण्य जब उदय होते हैं तब जाकर हमको यह भगवान की सुंदर कथा सुनने को पढ़ने को प्राप्त होती है |

सज्जनों- बाल्मीकि रामायण की कथा अतिशय रम्य है | यह सच है जितनी भी रामायण की रचना की गई सभी रामायणों में भगवान श्री राघवेंद्र के विषय में कुछ – कुछ है ! श्री भरत जी , लक्ष्मण जी और शत्रुघ्न के रूपों में | देखिए परमात्मा के रूप अनेक है पर स्वरूप एक ही है |

अनेक रूप रूपा़य विष्णवे प्रभु विष्णवे |

भगवान चार रूपों में आए तो, वेद भी चार थे और वेद एक रूप लेकर के बाल्मीकि रामायण के रूप में अपने श्री राघवेंद्र के गुणानुवाद करने के लिए आये | भगवान चार रूप ग्रहण कर लिए तो चारों वेद एक रूप धारण करके बाल्मीकि रामायण के रूप में अपने श्री राघवेंद्र के गुणानुवाद करने आए |

साक्षात वेद का अवतार ही है | वेद के रामायण के रूप में अवतार लेने की आवश्यकता क्या पड़ी ? यदि आप वेदाध्ययन करने चलें तो आज के समय में( आज के परिवेश में ) वेद को पढ़ना समझना बड़ा कठिन सा लग रहा है |

लेकिन जैसे परमात्मा को समझना बड़ा कठिन सा होता है, भगवान के अवतार के बिना उनके विज्ञान को समझा नहीं जा सकता | उसी प्रकार जब तक वेद का अवतार नहीं हुआ तब तक वेद को भी ठीक से समझ पाना बड़ा कठिन था|

तौ जैसे भगवान अवतार लेकर इस धरा पर आए तो सबके लिए सरल हो गये ( सहज हो गए ) वह जाकर शबरी जी के यहां शबरी से मिले , कोल भील लोगों को भी मिले , केवट को भी मिले और बंदर भालू के लिए भी सहज हो गए |

उसी प्रकार जब भगवान वेद अवतार लेकर के रामायण के रूप में आए तो वह भी सबके लिए सरल हो गए | यह भगवान वेद का अवतार है वह श्री रामायण का अवतार लेकर इस धारा में पधारे , जीवन में ज्ञान की कितनी उपयोगिता है इसको बताने की जरूरत नहीं है |

और वेद का अर्थ ही होता है ज्ञान की राशि ( ज्ञान का पुंज ) विद ज्ञाने धातु से वेद शब्द निस्पंन्न होता है , लेकिन हम अल्प ज्ञानी जीव जो वेद को नहीं समझते वेद को सरलतम ढंग से समझाने के लिए दो प्रकार के ग्रंथों की रचना हमारे यहां हुई– एक को इतिहास कहते हैं , दूसरे को पुराण कहते हैं !

यह भी देखें आपके लिए उपयोगी हो सकता है…

भागवत कथा वाचक कैसे बने? bhagwat katha kaise sikhe

  1. धार्मिक कहानियाँ
  2. दुर्गा-सप्तशती
  3. विद्यां ददाति विनयं
  4. गोपी गीत लिरिक्स इन हिंदी अर्थ सहित
  5. भजन संग्रह लिरिक्स 500+ bhajan 
  6. गौरी, गणेश पूजन विधि वैदिक लौकिक मंत्र सहित
  7. कथा वाचक कैसे बने ? ऑनलाइन भागवत प्रशिक्षण

इतिहास पुराणाभ्यां वेदाभ्यां समुप बृंहयेत् |


इतिहास पुराण वेदो के समुप बृहंण के लिए हैं, अब प्रश्न उठता है कि हमें इतिहास की कथा सुननी चाहिए कि पुराण की कथा सुननी चाहिए , तो हमारे एक आचार्य स्वामी श्री लोकाचार्य जी कहते हैं–

श्री राम कथा ram katha lyrics
श्री राम कथा ram katha lyrics

उभयोर्मध्ये इतिहासप्रबलः |

अगर इतिहास पुराण की बात आती है तो हमें इतिहास की कथा सुननी चाहिए पुराण की अपेक्षा, तो इतिहास भी हमारे यहां दो हैं- एक है रामायण और दूसरा है महाभारत  तो हम रामायण की कथा सुनें की महाभारत की कथा सुनें |

तो हमारे आचार्य कहते हैं कि- महाभारत की अपेक्षा हमें रामायण की कथा सुननी चाहिए ! रामायण का तात्पर्य है बाल्मीकि रामायण से , रामायण की कथा क्यों सुने इस पर बहुत सी बातें कही गई हैं अलग-अलग आचार्यों के द्वारा और वही आचार्य आगे लिखते हैं कि–

इतिहास श्रेष्ठेन कारागृहवासकतृय वैभवं मुच्यते |

यह रामायण श्रेष्ठ इतिहास है क्योंकि इसमें कारागृह वास कर्तृ श्री जानकी जी के वैभव का वर्णन है | देखिए श्री रामचरितमानस की अतिशय ख्याति हैो वर्तमान में , यदि रामचरितमानस में राम चरित्र की प्रधानता है तो महर्षि बाल्मीकि लिखते हैं–

काव्यं रामायणं कृत्स्नं सीतायां चरितं महत् |

कि बाल्मीकि रामायण में श्री सीता जी के चरित्र की प्रधानता है, और सीता जी के वैभव का वर्णन होने के कारण यह रामायण श्रेष्ठ इतिहास है | किस वैभव का वर्णन है | तो देखिये- श्री राम जी का जानकी जी से तीन विश्लेष हुआ, ( तीन वियोग हुआ ) पहला वियोग दंडकारण्य में, दूसरा वियोग भगवान ने जब जानकी जी को पुनः वन भेजा था, और वह महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रहीं, और तीसरा वियोग हुआ श्री जानकी जी जब धरती के भीतर प्रविष्ट हो गई थीं |

यह तीन वियोग हुए और हमारे आचार्यों ने कहा है– तीनों वियोग तीन कारण से हुये प्रथम वियोग- कृपापक्ष को प्रकाशित करने के लिए है , दूसरा वियोग- पारतंत्र को प्रकट करने के लिए और तीसरा वियोग- अनन्यार्हत को प्रकट करने के लिए है |

तो कृपा क्या है ? क्या रावण में इतनी सामर्थ्य थी कि जो जानकी जी का अपहरण कर – सीता जी को लंका ले जा सकता था ? मानस में तो गोस्वामी जी ने लिखा है- लक्ष्मण ने छोटी रेखा भी खींची थी |

रामानुज लघु रेख खिंचाई सो नहिं लांघइ अस मनुषाई |


रावण में इतनी सामर्थ्य भी नहीं थी कि जो लक्ष्मण जी के द्वारा खींची गई छोटी सी रेखा का उल्लंघन कर सके , तो क्या वह जानकी जी का अपहरण करने में समर्थ था | तो हमारे आचार्य कहते हैं– जानकी जी जानबूझकर के लंका में गई क्योंकि कहा कि दुष्टों का उद्धार कराने के लिए गई | देखिए–

आनुकूलस्य भक्तिः प्रातिकूलस्य मुक्तिः |

हमारे आचार्यों ने कहा जो भगवान के अनुकूल होते हैं उसे भक्ति देते हैं और जो प्रतिकूल होते हैं उन्हें मुक्ति देते हैं |

✳ श्री राम कथा ✳

श्री राम कथा ram katha lyrics
श्री राम कथा ram katha lyrics
जानकी जी ने अपने को लंका में बन्दनी क्यों बनाया , कहा रावण जैसे दुष्ट जीवों का भी उद्धार हो सके इसलिए |

जानकी जी की कृपा क्या है कहते हैं कि स्वयं को इसलिए बंधन में डाल दिया कि रावण जैसे दुष्ट व्यक्ति को मुक्ति दिला सकें , जानकी जी के वैभव का वर्णन जिस रामायण में हो वह रामायण श्रेष्ठ इतिहास है |

 

दूसरी बात कि महाभारत के सबसे बड़े पात्र हैं  भीष्म पितामह और रामायण का एक छोटा सा पात्र है नाम है जटायु , एक के जीवन में धर्म की अतिशय उत्कृष्टता है और दूसरे के जीवन में बहुत उत्कृष्ट धर्म दिखाई नहीं देता, वह मांस भक्षी पक्षी है |

और दोनों के जीवन में एक बार समान घटना घटी दोनों के आंखों के सामने एक स्त्री की लाज लूटी जा रही थी, लेकिन आप पाएंगे कि महाभारत के इस सबसे बड़े पात्र पितामह भीष्म ने एक स्त्री की लुटती हुई लाज का खड़े होकर के विरोध नहीं किया और रामायण के इस छोटे से पात्र ने रावण के रास्ते को रोक लिया और रोक कर के कहा– रावण ‘ मैं जानता हूं तुम से युद्ध लडने में समर्थ नहीं हूं |

वृध्दोहं त्वमयुवाधन्वी शक्ती कवची शरी 

मैं बूढ़ा हूं तुम युवा हो, तुम रथ पर हो मैं बिरथ हूं, तुम अस्त्र शस्त्रों से सुसज्जित हो मेरे पास कोई अस्त्र शस्त्र नहीं है, तुम्हारे पास अनेकों युद्धों का अनुभव है , मैंने कोई बड़ी लड़ाई जीवन में नहीं लड़ी है |

लेकिन यह भारत वर्ष है भारत का बाप कितना भी बूढ़ा हो जाए लेकिन उसके आगें, आंखों के सामने कोई उसकी बेटी को हाथ नहीं लगा सकता और आप पाएंगे रामायण के इस छोटे से पात्र ने इस मांस भक्षी पक्षी ने एक स्त्री की लाज की रक्षा के लिए अपने प्राण उत्सर्जित कर दिए ,आत्मोत्सर्जित कर दिए |

रामायण के एक छोटे से छोटा पात्र भी अपने जीवन से शिक्षा देता है, इसलिए हमें रामायण की कथा सुननी चाहिए | देखिए काव्य की तीन कोटियां हमारे यहां बताई गई हैं-तीन प्रकार के काव्य होते हैं-एक शब्द प्रधान, दूसरा अर्थ प्रधान, तीसरा व्यंग प्रधान |

शब्द प्रधान काव्य वेद हैं, अर्थ प्रधान काव्य महाभारत आदि और व्यंग प्रधान काव्य है श्रीमद् बाल्मीकि रामायण, जो शब्द प्रधान काव्य होता है वह प्रभु सम्मित होता है ,जो अर्थ प्रधान काव्य होता है वह सुहृत संम्मित होता है और जो व्यंग प्रधान काव्य होता है वह कांता सम्मित होता है |

तो जो वेद हैं वह प्रभु सम्मित हैं, जो महाभारत आदि हैं सुहृत संम्मित हैं और जो बाल्मीकि रामायण है यह कांता संम्मित काव्य है |

जैसे- उपदेश तीन प्रकार के होते हैं ना , पहला प्रभु सम्मित उपदेश या स्वामी सम्मित उपदेश , सुहृत सम्मित, कान्ता सम्मित उपदेश|

अब इसे ऐसे समझें किसकी बात ज्यादा समझ में आती है कोई स्वामी समझाए यह बात समझ में आती है? कोई मित्र समझाएं वह बात ज्यादा समझ में आती है? या आपकी पत्नी समझाए वह बात ज्यादा समझ में आती है? जैसे भगवान वेद कहते हैं ना-

धर्मं चर सत्यं वद, आचार्य देवो भव, मातृदेवो भव, पितृ देवो भव|

यह सब आदेश आत्मक है धर्मं चर- धर्म पर चलो, सत्यं वद- सत्य बोलो, यह सब आदेशात्मक है, और सुहृत सम्मित है जैसे भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता समझाई यह सुहृत संम्मित है , लेकिन जो बाल्मीकि रामायण में है यह कांता सम्मित उपदेश है | कांता समिति काव्य है | जो काव्य होते हैं कांता सम्मित होते हैं |

जैसे- पत्नी मीठी मीठी बातों के द्वारा अपने पति को समझाती है, वैसे यह का बड़े से बड़े सिद्धांतों को मीठे ढंग से समझा देती है | भगवत चरित्र का आश्रय लेकर के और हमारे एक आचार्य ने लिखा है कि शब्द प्रधान होने के कारण बाल्मीकि रामायण वेद की तरह है |

अर्थ प्रधान होने के कारण यह महाभारत और पुराणों आदि की तरह भी है और व्यंग प्रधान होने के कारण यह कांता सम्मित तो है ही , यह श्रेष्ठ काव्य है ही ( व्यंग का तात्पर्य है ) कि जहां एक शब्द कई अर्थों को व्यन्जित करते हों, अर्थ प्रगट करते हों  उसे व्यंग प्रधान कहते हैं |
राम कथा के सभी भागों की लिस्ट देखें 
श्री राम कथा ram katha lyrics
श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, श्री राम कथा ram katha lyrics, 

 

 
 
यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने मित्रों के साथ भी साझा करें |
spot_img

Related Posts

Shiv Puran Katha Notes: Essential Hindu Scripture

Shiv Puran Katha Notes: Essential Hindu Scripture शिव पुराण हिंदू...

रामायण सार- मंगलाचरण ramayan sar hindi

रामायण सार- मंगलाचरण ramayan sar hindi बंदना * नमामि भक्त वत्सलं...

भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha classes

भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha classes भागवत श्री...

भागवत सप्ताहिक कथा bhagwat saptahik katha PDF

भागवत सप्ताहिक कथा bhagwat saptahik katha PDF     भागवत सप्ताहिक कथा:...

श्री राम कथानक Ram katha Notes

श्री राम कथानक Ram katha Notes   श्री राम कथा, जिसे...

bhagwat bhajan lyrics pdf भागवत भजन माला

bhagwat bhajan lyrics pdf भागवत भजन माला   भागवत भजन माला...
- Advertisement -spot_img