shiv dhanush toda ram ne bhajan शिव धनुष तोड़ा राम जी ने
शिव धनुष तोडा राम ने स्वयंबर में जिस घडी
सब देवी देवता भी लगे करने आरती
जय राम चन्द्र आपकी जय जय हो जानकी-2
कहीं वेद मंत्र हो रहे थे ऊँची तान से,
पुष्पौ की वर्षा हो रही थी आसमान से
ऊँचा था सिंघासन जहाँ विराजमान थे
माथे पै मुकुट कांधे तरकस कमान थे
जय माल लिये हाथ में तव आयी जानकी
डालू गले में किस तरह हैरान थी खड़ी
कुछ झिझकी कुछ सिमटी सीता ने विचारा
आखों ही आखों में किया लक्षण को इसारा
हे शेष के अवतार मुझे दे दो सहारा
भूलूंगी नही उम्र भर ऐहसान तुम्हारा
हे लखन थोडी देर तू पृथ्वी को उठा ले
ये भाभी तेरे भैया को जय माल पहना दे
इतना समझ के लक्ष्मण फौरन हुए खडे
श्री राम जी के चरणों में जाकर के गिर पड़े
श्री राम जी भी भाप गये दौनों की बात को
सर नीचा कर उठाने लगे लखन भ्रत को
इतने में जानकी ने जयमाल डाल दी
जय राम चन्द्र आपकी जय जय हो जानकी
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