gajab ki bansuri bajati hai vrindavan गज़ब की बांसुरी बजती है
बांसुरी बजावे प्यारो
बांसुरी बजावे प्यारो नन्द लाला
रास रचामें संग में ब्रज वाला
कवित्त
गज़ब की बांसुरी बजती है वृन्दावन बसैया की
करूँ तारीफ मुरली की या मुरली धर कन्हैया की
जहां चलता था ना कुछ तीरो से कमानो से
बिजय नटवर की होती है वहां मुरली की तानो से
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