जीते भी लकड़ी मरते भी jite v lakdi marte v lakdi lyrics
यह कबीर का प्रसिद्ध भजन “जीते भी लकड़ी, मरते भी लकड़ी” मानव जीवन के विभिन्न चरणों में लकड़ी के महत्व को दर्शाता है। यह भजन जीवन और मृत्यु के चक्र को लकड़ी के प्रतीक के माध्यम से व्यक्त करता है, जो कबीर की गहरी आध्यात्मिक दृष्टि को दर्शाता है। यह भजन भक्ति, आत्म-चिंतन और राम नाम की महिमा पर जोर देता है, जो Google पर “कबीर भजन”, “हindi devotional songs”, और “spiritual bhajans” जैसे खोज शब्दों के लिए उपयुक्त है।
भजन (जीते भी लकड़ी, मरते भी jite v lakdi marte v lakdi lyrics)
जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी
जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी
देख तमाशा लकड़ी का
क्या जीवन क्या मरण कबीरा,
खेल रचाया लकड़ी का
जिस पर तेरा जनम हुआ था
वो पलंग था लकड़ी का
जब जब माँ ने लोरी सुनाई
वो पलना था लकड़ी का
पढ़ने गया जब पाठशाला में
लेखन पाटी लकड़ी का
जब जब गुरु ने डर दिखलाया
डंडा था वो लकड़ी का
जहाँ पर तेरा व्याह रचाया
वो मंडप था लकड़ी का
वृद्ध हुआ जब चल न सका तो
लिया सहारा लकड़ी का
मरते दम तक मिटा नहीं पाया
झगड़ा झगड़ी लकड़ी का
राम नाम की ज्योति जला ले
मिट जाए झगड़ा लकड़ी का
Bhajan (जीते भी लकड़ी, मरते भी jite v lakdi marte v lakdi lyrics)
Jeete bhi lakdi, marte bhi lakdi
Jeete bhi lakdi, marte bhi lakdi
Dekh tamasha lakdi ka
Kya jeevan kya maran Kabira,
Khel rachaya lakdi ka
Jis par tera janam hua tha
Woh palang tha lakdi ka
Jab jab maa ne lori sunayi
Woh palna tha lakdi ka
Padhne gaya jab pathshala mein
Lekhan paati lakdi ka
Jab jab guru ne dar dikhlaya
Danda tha woh lakdi ka
Jahan par tera vyaah rachaya
Woh mandap tha lakdi ka
Vriddh hua jab chal na saka to
Liya sahara lakdi ka
Marte dam tak mita nahi paya
Jhagra jhagdi lakdi ka
Ram naam ki jyoti jala le
Mita jaye jhagra lakdi ka
जीते भी लकड़ी, मरते भी jite v lakdi marte v lakdi lyrics