कृष्ण लेते हैं ब्रज से विदाई Krishna lete hain braj se bidai
यह भजन भगवान कृष्ण के ब्रजभूमि से विदाई लेने के उस हृदयस्पर्शी क्षण को चित्रित करता है, जब अक्रूर जी मथुरा के धनुष यज्ञ के लिए उन्हें लेने आते हैं। श्रीमद्भागवत पुराण की इस लीला में कृष्ण की लीला-भूमि ब्रज की माटी, गोप-गोपियों, यशोदा-नंद बाबा और राधा रानी के प्रति गहन प्रेम और वियोग का मार्मिक चित्रण है। यशोदा मैया कृष्ण से विनती करती हैं कि वह उन्हें याद न करें, क्योंकि यह जुदाई असह्य है। ब्रजवासी सब रो रहे हैं, गाय-बछड़े भी उदास हैं। कृष्ण स्वयं इस वियोग को सहन नहीं कर पाते। राधा रथ को पकड़कर रोती हैं, सखियां रास्ता रोकती हैं और गोपियां रो-रोकर दुहाई देती हैं। यह भजन कृष्ण भक्ति की पराकाष्ठा दर्शाता है, जहां प्रेम का दर्द आंसुओं में बह जाता है। कथा वाचकों द्वारा गाए जाने पर यह भजन श्रोताओं के हृदय को छू लेता है, भक्ति भाव जागृत करता है। ब्रज की मधुरता और कृष्ण के विहार की स्मृति को जीवंत कर यह भजन वियोग रस से ओतप्रोत है, जो सुनने वाले को भावविभोर कर देता है।
कृष्ण लेते हैं ब्रज से विदाई Krishna lete hain braj se bidai
कृष्ण लेते हैं ब्रज से विदाई
कृष्ण लेते हैं ब्रज से विदाई कि मैया मोहे याद न करे
धनुष यज्ञ की आयी है खबरिया जाना है मुझको मथुरा नगरिया
कोई कैसे सहे ये जुदाई कि मैया
ब्रजवासी सब रोय रहे हैं गाय बछड़ा भी रोय रहे हैं
कृष्ण सह न सकें यह जुदाई कि मैया…
रथ को पकड़ के राधा रोए सखियां आकर रास्ता रोके
गोपी देती हैं रो-रो दुहाई कि मैया…
कृष्ण लेते हैं ब्रज से विदाई Krishna lete hain braj se bidai
Krishna lete hain braj se bidai
Krishna lete hain braj se bidai ki maiya mohe yaad na kare
Dhanush yagya ki aayi hai khabariya jaana hai mujhko mathura nagariya
Koi kaise sahe ye judaai ki maiya
Brajvaasi sab roy rahe hain gaay bachhda bhi roy rahe hain
Krishna sah na sakain yah judaai ki maiya…
Rath ko pakad ke Radha roye sakhiyan aakar raasta roke
Gopi detin hain ro-ro duhaai ki maiya…


