मन लागा मोरा यार फकीरी में भजन Man laga mora yaar fakiri me
विवरण (Description)
“मन लागा मोरा यार फकीरी में” संत कबीर का एक प्रसिद्ध भजन है, जो आध्यात्मिकता, सादगी और भक्ति के महत्व को दर्शाता है। यह भजन भौतिक सुखों की क्षणभंगुरता और ईश्वर के नाम में मिलने वाले सच्चे सुख को उजागर करता है। संत कबीर इस भजन में सादगी, संतोष और भक्ति के जीवन की महिमा गाते हैं, जो हर किसी को आत्मिक शांति की ओर प्रेरित करता है। यह भजन Google पर “कबीर भजन”, “मन लागा मोरा यार फकीरी में”, और “आध्यात्मिक भजन” जैसे कीवर्ड्स के साथ अक्सर खोजा जाता है।
भजन – हिंदी Man laga mora yaar fakiri me
मन लागा मोरा यार फकीरी में
मन लागा मोरा यार फकीरी में
जो सुख पावों नाम-भजन में, सो सुख नाहि अमीरी में
भला-बुरा सबका सुन लीजै, कर गुजरान गरीबी में
प्रेम नगर में रहनि हमारी, भलि बनि आई सबूरी में
हाथ में कूँडी बगल में सोंटा, चारो दिसा जगीरी में
आखिर यह तन खाक मिलेगा, कहा फिरत मगरूरी में
कहत कबीर सुनो भाई साधो, साहिब मिलै सबूरी में
Bhajan – Man laga mora yaar fakiri me
Man laaga mora yaar fakeeri mein
Man laaga mora yaar fakeeri mein
Jo sukh paaon naam-bhajan mein, so sukh naahi ameeri mein
Bhala-bura sabka sun leeje, kar guzraan gareebi mein
Prem nagar mein rahni hamaari, bhali bani aayi saburi mein
Haath mein koondi bagal mein sonta, charo disa jageeri mein
Aakhir yeh tan khaak milega, kahan firat magroori mein
Kahat Kabir suno bhai saadho, saahib mile saburi mein
Man laga mora yaar fakiri me