पूजा में पत्नी को पति के किस तरफ़ बैठना चाहिए ? pooja me patni ka sthan

परिजन प्रायः पूछते हैं- दम्पति को कहाँ कैसे बैठायें? विभिन्न धर्मग्रन्थों में जो उल्लेख है, वह यहाँ दे रहे हैं –
व्रतबन्धे विवाहे च चतुर्थ्यां सहभोजने ।
व्रते दाने मखे श्राद्धे पत्नी तिष्ठति दक्षिणे ।
व्रते दाने मखे श्राद्धे पत्नी तिष्ठति दक्षिणे ।
सर्वेषु धर्मकार्येषु पत्नी दक्षिणतः शुभा
अभिषेके विप्रपादप्रक्षालने चैव वामतः ।
अपि च -संस्कार्यः पुरुषो वाऽपि स्त्री वा दक्षिणतः सदा ।
संस्कारकर्ता सर्वत्र तिष्ठेदुत्तरतः सदा ।।
संस्कारकर्ता सर्वत्र तिष्ठेदुत्तरतः सदा ।।
-धर्मसिन्धु- 3/516 ,
व्रतबन्ध समय, विवाह करते समय, एक साथ भोजन करते समय। व्रत करते समय, दान देते समय, यज्ञ करते समय और श्राद्ध कर्म करते समय पत्नी दाहिनी ओर रहती है।
सभी धार्मिक कर्तव्यों में पत्नी दाहिनी ओर शुभ होती है लेकिन ब्राह्मणों का अभिषेक और पैर धोते समय, वह बाईं ओर होती है।
इसके अलावा जिस पुरुष या महिला का अनुष्ठान किया जाना है उसे हमेशा दाहिनी ओर होना चाहिए
अनुष्ठान करने वाले को सदैव सर्वत्र उत्तर दिशा में ही रहना चाहिए
-धर्मसिन्धु- 3/516 ,
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