Tuesday, September 17, 2024
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Rajeshwaranand ji Maharaj Pravachan

श्री माधव दास जी का भगवान श्री कृष्ण से सख्य भाव था, अतः भगवान उनसे विविध प्रकार के विनोद पूर्ण कौतुक किया करते थे | एक दिन जब आप भगवान का दर्शन करने लगे तो देखा कि भगवान कुछ उदास हैं, आपने पूछा प्रभु आज आप कुछ उदास से प्रतीत हो रहे हैं क्या बात है ? Rajeshwaranand ji Maharaj Pravachan

श्री ठाकुर जी ने कहा माधव दास जी क्या बताएं साल बीता जा रहा है और पका कटहल खाने को नहीं मिला ! dharmik pravachan

राजा जी के बाग में कटहल खूब फल हैं और पके भी हैं 

अगर आप सहयोग दें तो आज रात में बाग में चलकर कटहल खाया जाए | आपने कहा पर वो बचपन में तो मुझे पेड़ पर चढ़ने का अभ्यास था , अब तो मैं बूढ़ा हो गया हूं मेरे हाथ पाव हिलते हैं | अतः पेड़ पर चढ़ने में तो मुश्किल होगी ? श्री बलराम जी भी इस विनोद में रस ले रहे थे उन्होंने कहा माधव दास जी हम चढ़ने में सहायता कर देंगे, आपको कोई कठिनाई नहीं होगी !

बात तय हो गई श्री कृष्ण बलराम और माधव दास जी आधी रात में चुपचाप राजा जी के बाग में घुस गए ! श्री बलराम जी ने सहारा देकर माधव दास जी को पेड़ पर चढ़ा दिया माधव दास जी ने बड़े और खूब पके फल देखकर कई कटहल नीचे गिराए ,Rajeshwaranand ji Maharaj Pravachan

दोनों भाइयों ने खूब जी भर कर कटहल खाए | dharmik pravachan

उधर फलों की गिरने की आवाज सुनकर बाग के माली जग गए और आवाज की दिशा में लाठी लेकर दौड़े, उन्हें आता देखकर कृष्ण बलराम तो वहां की चहारदीवारी लांघ कर भाग गए | पर बेचारे माधव दास जी रंगे हाथों पकड़ लिए गए मालियों ने रात्रि के अंधेरे में पहचाना नहीं तो खूब डन्डे की मार लगाई और रात भर बांधकर भी रखा |

प्रातः काल सैनिकों ने बंदी अवस्था में ही राजा के सम्मुख दरबार में पेश किया ,Rajeshwaranand ji Maharaj Pravachan

राजा ने देखते ही पृथ्वी पर गिर पड़े और सष्टांग दंडवत प्रणाम किया 

और मालियों द्वारा किये अपराध के लिए क्षमा मांगी और मालियों को दंड देना चाहा | इस पर श्री माधव दास जी ने कहा राजन मालियों ने अपने कर्तव्य का अच्छी प्रकार से पालन किया है उन्होंने कोई अपराध नहीं किया था |

इन्हें पुरस्कार देना चाहिए राजा ने आपके अनुसार मालियों को बारह बीघे जमीन का पट्टा पुरस्कार स्वरूप दे दिया | तत्पश्चात आधी रात में बाग में आने का कारण जानना चाहा |dharmik pravachan

माधवदास जी ने उन्हें सारी बात बताई थी राजाभाव विभोर हो गए 

उन्होंने कहा प्रभु मेरे धन्य भाग हैं कि आप मेरे बाग में आए | अब यह बाग आपकी ही सेवा में प्रस्तुत हैं |यह कहकर राजा ने ताम्रपत्र पर लिखकर बाग को श्री ठाकुर जी के श्री चरणों में समर्पित कर दिया |
माधवदास जी के ऐसे अनेक चरित्र हैं |
Rajeshwaranand ji Maharaj Pravachan

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