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श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम् (हिंदी अर्थ सहित)

On: November 25, 2025 3:23 PM
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श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम् (हिंदी अर्थ सहित)

श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम् (हिंदी अर्थ सहित)

यह स्तोत्र नारद पुराण से लिया गया है। नीचे प्रत्येक श्लोक के साथ उसका हिंदी अर्थ दिया गया है। यह स्तोत्र भगवान गणेश के बारह नामों का वर्णन करता है और संकट नाशन के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।

श्लोक १:
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुष्कामार्थसिद्धये॥

हिंदी अर्थ:
नारद जी कहते हैं—पहले मस्तक झुकाकर गौरीपुत्र विनायका देव को प्रणाम करके प्रतिदिन आयु, अभीष्ट मनोरथ और धन आदि प्रयोजनों की सिद्धि के लिए भक्त के हृदय में वास करने वाले गणेश जी का स्मरण करें।

श्लोक २:
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥

हिंदी अर्थ:
जिनका पहला नाम ‘वक्रतुण्ड’ है, दूसरा ‘एकदन्त’ है, तीसरा ‘कृष्णपिङ्गाक्ष’ है, चौथा ‘गजवक्त्र’ है।

श्लोक ३:
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥

हिंदी अर्थ:
पाँचवाँ नाम ‘लम्बोदर’, छठा ‘विकट’, सातवाँ ‘विघ्नराजेन्द्र’, आठवाँ ‘धूम्रवर्ण’ है।

श्लोक ४:
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥

हिंदी अर्थ:
नौवाँ नाम ‘भालचन्द्र’, दसवाँ ‘विनायक’, ग्यारहवाँ ‘गणपति’, और बारहवाँ नाम ‘गजानन’ है।

श्लोक ५:
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम्॥

हिंदी अर्थ:
जो मनुष्य सुबह, दोपहर और शाम—तीनों समय प्रतिदिन इन बारह नामों का पाठ करता है, उसे संकट का भय नहीं होता। यह नाम-स्मरण उसके लिए सभी सिद्धियों का उत्तम साधक है।

श्लोक ६:
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥

हिंदी अर्थ:
इन नामों के जप से विद्यार्थी को विद्या, धन की कामना रखने वालों को धन, पुत्र की कामना रखने वालों को पुत्र और मोक्ष की कामना रखने वालों को मोक्ष में गति प्राप्त हो जाती है।

श्लोक ७:
जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥

हिंदी अर्थ:
इस गणपति स्तोत्र का नित्य जप करें। इसके नित्य पठन से जपकर्ता को छह महीने में अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। एक वर्ष तक जप करने से मनुष्य सिद्धि को प्राप्त कर लेता है, इसमें संशय नहीं है।

श्लोक ८:
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥

हिंदी अर्थ:
जो इस स्तोत्र को भोजपत्र पर लिखकर आठ ब्राह्मणों को दान करता है, गणेश जी की कृपा से उसे सम्पूर्ण विद्या की प्राप्ति होती है।

॥ श्रीनारदपुराणे सङ्कष्टनाशनं नाम गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

फलादि: इस स्तोत्र का नियमित पाठ संकटों का नाश करता है और सभी कामनाओं की पूर्ति करता है। त्रिसंध्या (तीन समय) में जाप करने से विशेष लाभ होता है।

श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम् (हिंदी अर्थ सहित)

प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुष्कामार्थसिद्धये॥१॥

प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्॥२॥

लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम्॥३॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम्॥४॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम्॥५॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम्॥६॥

जपेद् गणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासैः फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः॥७॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत् सर्वा गणेशस्य प्रसादतः॥८॥

॥ श्रीनारदपुराणे सङ्कष्टनाशनं नाम गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्॥

श्रीसङ्कष्टनाशनगणेशस्तोत्रम् (हिंदी अर्थ सहित)

pranmya shirasa devam gauriputram vinayakam
bhaktavasam smarennityamayushkamarthasiddhaye॥1॥

prathamam vakratundam cha ekadantam dvitiyakam
trtiyam krishnapingaksham gajavaktram chaturthakam॥2॥

lambodaram panchamam cha shashtham vikatameva cha
saptamam vighnarajendram dhumravarnam tathashtamam॥3॥

navamam bhalachandram cha dashamam tu vinayakam
ekadasham ganapatim dvadasham tu gajananam॥4॥

dvadashaitani namani trisandhyam yah pathennarah
na cha vighnabhayam tasya sarvasiddhikaram param॥5॥

vidyarthi labhate vidyam dhanarthi labhate dhanam
putrarthi labhate putran moksharthi labhate gatim॥6॥

japed ganapatistotram shadbhirmasaih phalam labhet
samvatsarena siddhim cha labhate natra samshayah॥7॥

ashtabhyo brahmanebhyashcha likhitva yah samarpayet
tasya vidya bhavet sarva ganeshasya prasadatah॥8॥

Shrinaradapurane sankashtanaashanam nama ganeshastotram sampurnam॥

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