गोकर्ण भागवत gokarna katha in hindi
गोकर्ण भागवत gokarna katha in hindi गोकर्ण भागवत देहेस्थिमांसरुधिरेभिमतिं त्यज त्वं |जायासुतादिषु सदा ममतां विमुंच ||पश्यानिशम् जगदिदम क्षणभंगनिष्ठम |वैराग्यरागरसिको भव भक्तिनिष्ठ: || धर्मं भजस्व सततं त्यज लोकधर्मान |सेवस्य साधूपुरुषांजाहि काम तृष्णतां ||अन्यस्य दोष गुण चिन्तन माशू मुक्त्वा |सेवाकथारसमहो नितरां पिब त्वम् || उक्त श्लोक श्री मद्भागवत महापुराण के महात्तम के अंतर्गत आते है | श्री … Read more