संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok ka arth

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok ka arth नीतिसूक्तिः विद्वत्त्वञ्च नृपत्वञ्च नैव तुल्यं कदाचन। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥ विद्वत्ता और राजपद-इन दोनोंकी तुलना कदापि नहीं हो सकती; राजा अपने ही देशमें आदर पाता है, किन्तु विद्वान् सब जगह आदर पाता है॥ पण्डिते च गुणाः गुणाः सर्वे मूर्खे दोषा हि केवलम्।  तस्मान्मूर्खसहस्त्रेभ्यः प्राज्ञ … Read more