श्रीगोविन्द दामोदर Karar Vinde Govind Damodar Stotra
श्रीगोविन्द दामोदर Karar Vinde Govind Damodar Stotra श्रीगोविन्द दामोदर स्तोत्र करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्। वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि।। जिन्होंने अपने करकमल से चरणकमल को पकड़ कर उसके अंगूठे को अपने मुखकमल में डाल रखा है और जो वटवृक्ष के एक पर्णपुट (पत्ते के दोने) पर शयन कर रहे हैं, ऐसे बाल … Read more