त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र tripur sundari stotram

त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र tripur sundari stotram

त्रिपुरसुंदरीस्तोत्रम् |

श्रीगणेशाय नमः ॥

कदंबवनचारिणीं मुनिकदंबकादंबिनीं नितम्ब – जितभूधरां सुरनितंबिनीसेविताम् ।

नवांबुरुहलोचनामभिनवांबुदश्यामलां त्रिलोचनकुटुंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥ १ ॥

कदंबवनवासिनीं कनकवलकीधारिणीं महार्हमणिहारिणीं मुखसमुलसद्वारुणीम् ।

दयाविभवकारिणीं विशदलोचनीं चारिणीं त्रिलोचनकुटुंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥ २ ॥

कदंबवनशालया कुचभरोल्लसन्मालया कुचोपमितशैलया गुरुकृपालसद्वेलया ।

मदारुणकपोलया मधुरगीतवाचालया कयापि घननीलया कवचिता वयं लीलया ॥ ३ ॥

कदंबवनमध्यगां कनकमंडलोपस्थितां षडंबुरुहवासिनीं सततसिद्धसौदामिनीम् ।

विडंबितजपारुचिं विकचचंद्रचूडामणिं त्रिलोचन कुटुंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥ ४ ॥

कुचांचितविपंचिकां कुटिलकुंतलालंकृतां कुशेशयनिवासिनीं कुटिलचित्तविद्वेषिणीम् ।

मदारुणविलोचनां मनसिजारिसंमोहिनीं मतंगमुनिकन्यकां मधुरभाषिणीमाश्रये ॥ ५ ॥

त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र tripur sundari stotram

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त्रिपुर सुंदरी स्तोत्र tripur sundari stotram

स्मरेत्प्रथमपुष्पिणीं रुधिरबिंदुनीलांबरां गृहीतमधुपात्रिकां मधुविधूर्णनेत्रांचलाम् ।

घनस्तन भरोन्नतां गलितचूलिकां श्यामलां त्रिलोचनकुटुंबिनीं त्रिपुरसुंदरीमाश्रये ॥ ६ ॥

सकुंकुमविलेपनामलकचुंबिकस्तूरिकां समंदहसितेक्षणां सशरचापपाशांकुशाम् ।

अशेषजनमोहिनी मरुणमाल्यभूषांबरां जपाकुसुमभासुरां जपविधौ स्मराम्यंबिकाम् ॥ ७ ॥

पुरंदरपुरंधिकाचिकुरबंधसैरंधिकां पितामहपतिव्रतां पटुपटीरचचीरताम् ।

मुकुंदरमणीं मणीलसदलंक्रियाकारिणीं भजामि भुवनांबिकां सुरवधूटिकाचेटिकाम् ॥ ८ ॥

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्य श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं त्रिपुरसुंदरीस्तोत्रं संपूर्णम् ॥

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )
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