vidya dadati vinayam विद्या ददाति विनयम्

vidya dadati vinayam विद्या ददाति विनयम्

 विद्या ददाति विनयं विनयाद्याति पात्रताम् ।

पात्रात्वाद्धनमाप्नोति धनाद्धर्मम् ततः सुखम् ।।

प्रंसगःविद्यायाः फलं निरूपयति-

अन्वय:- विद्या विनयं ददाति, विनयात पात्रतां याति, पात्रत्वात धनम आप्नोति, धनात् धर्मं (आप्नोति) ततः सुखम् (आप्नोति) ।।

व्याख्या– विद्या विनयं = नम्रतां, ददाति, विनयात = नम्रस्वभावात पात्रता = सर्वकार्यकरणयोग्यतां याति = प्राप्नोति, पात्रत्वात = योग्यत्वात धनम, धनाद्धर्मं ततः सुखम् आप्नोति, इति रीत्या विद्यैवैका सर्वसुखसाधनमस्तीति भावः ।।

भाषा– विद्या से विनय, विनय से योग्यता, योग्यता से धन, धन से धर्म और धर्म से सुख प्राप्त होता है।।

“विद्या ददाति विनयम” यह संस्कृत श्लोक एक महत्वपूर्ण सन्देश देता है कि विद्या विनय को प्राप्त कराती है। इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति विद्या के माध्यम से ज्ञान और सीख को प्राप्त करता है, वह शिक्षा और संश्रय की महत्वाकांक्षा से दूर रहता है।

विद्या हमें उचित मार्ग दिखाती है और हमें सच्चाई की ओर ले जाती है। विद्या ही हमें समाज में सही और गलत के बीच अंतर समझने में मदद करती है। विद्या न सिर्फ हमारे जीवन को बेहतर बनाती है, बल्कि हमें गर्व और सम्मान की भावना देती है।

हालांकि, अगर हम विद्या के साथ अहंकार में डूब जाते हैं और उसे सही दिशा में उपयोग नहीं करते हैं, तो हमारी विद्या का कोई महत्व नहीं रहता। यही कारण है कि आदमी का विनय और संवेदनशीलता भी उसकी विद्या के साथ होनी चाहिए।

विनीतता और विद्या का मेल, व्यक्ति को समर्थ और समझदार बनाता है। इससे उसकी व्यक्तित्व में संतुलन और समर्थ होता है, जिससे वह समाज में बेहतर तरीके से योगदान कर सकता है। इसलिए, विद्या ददाति विनयम के इस संदेश को अपनाकर हमें समझदार, सभ्य और समर्पित बनने का मार्ग दर्शाता है।

समाप्त करते हुए, विद्या और विनय एक अद्भुत संयोजन हैं जो हमें एक समृद्ध और समर्पित जीवन जीने में मदद करते हैं। विद्या हमें ज्ञान का सच और गुण सिखाती है, जबकि विनय हमें समझदारी और संवेदनशीलता सिखाता है। एक समर्पित और समझदार व्यक्ति ही समाज में समर्थ होता है और उसे आगे बढ़ाने में मदद करता है।

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विद्या ददाति विनयम् (विद्या विनम्रता प्रदान करती है)

परिचय:

“विद्या ददाति विनयम्” – यह संस्कृत का एक प्रसिद्ध सूत्र है जिसका अर्थ है “विद्या विनम्रता प्रदान करती है”। यह सूत्र शिक्षा के महत्व और उसके द्वारा प्राप्त होने वाले सकारात्मक गुणों पर प्रकाश डालता है।

विद्या का अर्थ:

विद्या का अर्थ केवल पुस्तकीय ज्ञान ही नहीं, बल्कि जीवन के सभी पहलुओं में प्राप्त ज्ञान और समझ है। इसमें कला, विज्ञान, दर्शन, धर्म, नैतिकता और संस्कृति का ज्ञान शामिल है।

विद्या के लाभ:

  • ज्ञान और समझ: विद्या हमें जीवन के बारे में अधिक जानने और समझने में मदद करती है।
  • कौशल और क्षमताएं: विद्या हमें विभिन्न कौशल और क्षमताएं प्रदान करती है जो हमें जीवन में सफल होने में मदद करती हैं।
  • आत्मविश्वास: विद्या हमें आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान प्रदान करती है।
  • सम्मान और प्रशंसा: विद्या हमें समाज में सम्मान और प्रशंसा प्राप्त करने में मदद करती है।
  • नैतिकता और मूल्यों का विकास: विद्या हमें नैतिकता और मूल्यों का विकास करने में मदद करती है।
  • विनम्रता: विद्या हमें विनम्र बनाती है और अहंकार से दूर रखती है।

विद्या कैसे विनम्रता प्रदान करती है:

  • ज्ञान की सीमाओं को समझना: विद्या हमें यह समझने में मदद करती है कि हम कितना कम जानते हैं और दुनिया में कितना कुछ सीखने के लिए बाकी है।
  • अनुभवों से सीखना: विद्या हमें दूसरों के अनुभवों से सीखने और अपनी गलतियों से बचने का अवसर प्रदान करती है।
  • आत्मनिरीक्षण: विद्या हमें अपनी कमियों और गलतियों को स्वीकार करने और उनमें सुधार करने के लिए प्रेरित करती है।
  • दूसरों का सम्मान: विद्या हमें दूसरों के ज्ञान और अनुभव का सम्मान करना सिखाती है।
  • कृतज्ञता: विद्या हमें जो कुछ भी प्राप्त हुआ है उसके लिए कृतज्ञता व्यक्त करना सिखाती है।

निष्कर्ष:

“विद्या ददाति विनयम्” – यह सूत्र हमें सिखाता है कि शिक्षा केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि विनम्रता भी प्रदान करती है। विनम्रता एक महत्वपूर्ण गुण है जो हमें जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करती है।

विद्या प्राप्त करने का कोई अंत नहीं है। हमें जीवन भर सीखते रहना चाहिए और अपने ज्ञान का उपयोग दूसरों की मदद करने और दुनिया को बेहतर बनाने के लिए करना चाहिए।

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