प्राचीन शिक्षाप्रद कहानियां- सुखी रहने का तरीका- संत तुकाराम prachin shikshaprad kahani

Share This Post

प्राचीन शिक्षाप्रद कहानियां- prachin shikshaprad kahani

  • सुखी रहने का तरीका~ जगद्गुरु श्री संत तुकाराम…! 

एक बार की बात है, संत तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वभाव से थोडा क्रोधी था, उनके समक्ष आया और बोला~ गुरुजी! आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते है, ना आप किसी पे क्रोध करते है और ना ही किसी को कुछ भला-बुरा कहते है? कृपया अपने इस अच्छे व्यवहार का रहस्य बताइए।

संत बोले~ मुझे अपने रहस्य के बारे में तो नहीं पता, पर मैं तुम्हारा रहस्य जानता हूँ। “मेरा रहस्य! वह क्या है गुरुजी?” शिष्य ने आश्चर्य से पूछा। “तुम अगले एक हफ्ते में मरने वाले हो!” संत तुकाराम दुखी होते हुए बोले।

कोई और कहता तो शिष्य ये बात मजाक में टाल सकता था, पर स्वयं संत तुकाराम के मुख से निकली बात को कोई कैसे काट सकता था? शिष्य उदास हो गया और गुरुजी का आशीर्वाद ले वहाँ से चला गया।

उस समय से शिष्य का स्वभाव बिलकुल बदल सा गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पे क्रोध न करता, अपना ज्यादातर समय ध्यान और पूजा में लगाता। वह उनके पास भी जाता जिससे उसने कभी गलत व्यवहार किया था और उनसे माफ़ी मांगता। देखते-देखते संत की भविष्यवाणी को एक हफ्ते पूरे होने को आये।

शिष्य ने सोचा चलो एक आखिरी बार गुरुजी के दर्शन कर आशीर्वाद ले लेते है। वह उनके समक्ष पहुंचा और बोला~ गुरुजी, मेरा समय पूरा होने वाला है, कृपया मुझे आशीर्वाद दीजिये।

  1. धार्मिक कहानियाँ
  2. दुर्गा-सप्तशती
  3. विद्यां ददाति विनयं
  4. गोपी गीत लिरिक्स इन हिंदी अर्थ सहित
  5. भजन संग्रह लिरिक्स 500+ bhajan 
  6. गौरी, गणेश पूजन विधि वैदिक लौकिक मंत्र सहित
  7. कथा वाचक कैसे बने ? ऑनलाइन भागवत प्रशिक्षण
prachin shikshaprad kahani
prachin shikshaprad kahani, prachin shikshaprad kahani, prachin shikshaprad kahani, prachin shikshaprad kahani, prachin shikshaprad kahani, prachin shikshaprad kahani, prachin shikshaprad kahani, prachin shikshaprad kahani, 

“मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है पुत्र! अच्छा, ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्हें अपशब्द कहे?”संत तुकाराम ने प्रश्न किया। 

“नहीं-नहीं, बिलकुल नहीं। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गँवा सकता था? मैं तो सबसे प्रेम से मिला, और जिन लोगों का कभी दिल दुखाया था उनसे क्षमा भी मांगी” शिष्य तत्परता से बोला।


संत तुकाराम मुस्कुराए और बोले, “बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है।” शिष्य समझ गया कि संत तुकाराम ने उसे जीवन का यह पाठ पढ़ाने के लिए मृत्यु का भय दिखाया था। वास्तव में हमारे पास भी सात दिन ही बचें है।

“रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, आठवां दिन तो बना ही नहीं है।”
अतः संसार के व्यर्थ के वाद-विवाद छोड़कर समय रहते ही भगवान के भजन सुमिरन में लग जाना चाहिए।

यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने मित्रों के साथ भी साझा करें |
spot_img

Related Posts

Shiv Puran Katha Notes: Essential Hindu Scripture

Shiv Puran Katha Notes: Essential Hindu Scripture शिव पुराण हिंदू...

रामायण सार- मंगलाचरण ramayan sar hindi

रामायण सार- मंगलाचरण ramayan sar hindi बंदना * नमामि भक्त वत्सलं...

भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha classes

भागवत कहां सिखाई जाती है bhagwat katha classes भागवत श्री...

भागवत सप्ताहिक कथा bhagwat saptahik katha PDF

भागवत सप्ताहिक कथा bhagwat saptahik katha PDF     भागवत सप्ताहिक कथा:...

श्री राम कथानक Ram katha Notes

श्री राम कथानक Ram katha Notes   श्री राम कथा, जिसे...

bhagwat bhajan lyrics pdf भागवत भजन माला

bhagwat bhajan lyrics pdf भागवत भजन माला   भागवत भजन माला...
- Advertisement -spot_img