धार्मिक कहानी हिंदी में- dharmik kahani bataiye

निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।

प्रभु श्री राम जी कहते हैं:~ जो मनुष्य निर्मल मन का होता है, वही मुझे पाता है। मुझे कपट और छल~छिद्र नहीं सुहाते।

एक सदना नाम का कसाई था,मांस बेचता था पर भगवत भजन में बड़ी निष्ठा थी एक दिन एक नदी के किनारे से जा रहा था रास्ते में एक पत्थर पड़ा मिल गया.उसे अच्छा लगा उसने सोचा बड़ा अच्छा पत्थर है क्यों ना में इसे मांस तौलने के लिए उपयोग करू. उसे उठाकर ले आया.और मांस तौलने में प्रयोग करने लगा. जब एक किलो तोलता तो भी सही तुल जाता।

जब दो किलो तोलता तब भी सही तुल जाता, इस प्रकार चाहे जितना भी तोलता हर भार एक दम सही तुल जाता, अब तो एक ही पत्थर से सभी माप करता और अपने काम को करता जाता और भगवन नाम लेता जाता।

एक दिन की बात है उसी दूकान के सामने से एक ब्राह्मण निकले ब्राह्मण बड़े ज्ञानी विद्वान थे उनकी नजर जब उस पत्थर पर पड़ी तो वे तुरंत उस सदना के पास आये और गुस्से में बोले ये तुम क्या कर रहे हो क्या तुम जानते नहीं जिसे पत्थर समझकर तुम तोलने में प्रयोग कर रहे हो वे शालिग्राम भगवान है ।

  1. धार्मिक कहानियाँ
  2. दुर्गा-सप्तशती
  3. विद्यां ददाति विनयं
  4. गोपी गीत लिरिक्स इन हिंदी अर्थ सहित
  5. भजन संग्रह लिरिक्स 500+ bhajan 
  6. गौरी, गणेश पूजन विधि वैदिक लौकिक मंत्र सहित
  7. कथा वाचक कैसे बने ? ऑनलाइन भागवत प्रशिक्षण
dharmik kahani bataiye
dharmik kahani bataiye, dharmik kahani bataiye, dharmik kahani bataiye, dharmik kahani bataiye, dharmik kahani bataiye, dharmik kahani bataiye, dharmik kahani bataiye, dharmik kahani bataiye, 

 

इसे मुझे दो जब सदना ने यह सुना तो उसे बड़ा दुःख हुआ और वह बोला हे ब्राह्मण देव मुझे पता नहीं था कि ये भगवान है मुझे क्षमा कर दीजिये.और शालिग्राम भगवान को उसने ब्राह्मण को दे दिया ।

ब्राह्मण शालिग्राम शिला को लेकर अपने घर आ गए और गंगा जल से उन्हें नहलाकर, मखमल के बिस्तर पर, सिंहासन पर बैठा दिया, और धूप, दीप,चन्दन से पूजा की ।

जब रात हुई और वह ब्राह्मण सोया तो सपने में भगवान आये और बोले ब्राह्मण मुझे तुम जहाँ से लाए हो वही छोड आओं मुझे यहाँ अच्छा नहीं लग रहा. इस पर ब्राह्मण बोला भगवान ! वो कसाई तो आपको तुला में रखता था जहाँ दूसरी और मास तोलता था उस अपवित्र जगह में आप थे।

भगवान बोले – ब्रहमण आप नहीं जानते जब सदना मुझे तराजू में तोलता था तो मानो हर पल मुझे अपने हाथो से झूला झूल रहा हो जब वह अपना काम करता था तो हर पल मेरे नाम का उच्चारण करता था ।

हर पल मेरा भजन करता था जो आनन्द मुझे वहाँ मिलता था वो आनंद यहाँ नहीं.इसलिए आप मुझे वही छोड आये ।  तब ब्राम्हण तुरंत उस सदना कसाई के पास गया और बोला मुझे माफ कर दीजिये।

वास्तव में तो आप ही सच्ची भक्ति करते हैं। ये अपने भगवान को संभालिए। भाव~ भगवान बाहरी आडंबर से नहीं भक्त के भाव से रिझते है। उन्हें तो बस भक्त का भाव ही भाता है। 

यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने मित्रों के साथ भी साझा करें |

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *