ari maiya kanhaiya ki lyrics अरी मैया कन्हैयां की

अरी मैया कन्हैयां की
अरी मैया कन्हैयां की शरारत क्या कहूं नटखट की
मटकिया फोड़ दी मेरी, गगरिया फोड़ दी मेरी
कि आके पीछे से चुपके से, तेरे इस छलिया ने कान्हा ने
मटकिया फोड़ दी मेरी
अंधेरी रात में आकर, मेरा माखन चुराता है -2
ये लडता है झगडता है, मुझे आंख दिखाता है -2
चुनरियाँ खीच कर मेरी, वो मारा हाथ घूँघट पट पे
नथनियाँ तोड़ दी मेरी – 2
फसा कर मुझको बातौ में, सदा घर पै बुलाती है – 2
अगर इन्कर करू मईया, शिकायत लेके आती है
ये झूठी है जमाने भर की मिली थी कल मुझे पनघट पै
बसुरिया तोड़ दी मेरी – 2
ये झगडा गोपी कान्हा का, निराला है अनोखा है -2
बिहारी से हां मिलने का सुनहरा ये ही मौका है
मै बलिहारी री मैं बारी, कन्हैया को बिठाकर घर में
लगनिया जोड़ दी मेरी-2 2

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