Saturday, October 5, 2024
Homeonline classऑनलाइन भागवत सीखे Bhagwat Puran Sikhe Online

ऑनलाइन भागवत सीखे Bhagwat Puran Sikhe Online

ऑनलाइन भागवत सीखे Bhagwat Puran Sikhe Online

Bhagwat Puran Sikhe Online
Bhagwat Puran Sikhe Online

भागवत कथा सीखें- श्रीमद्भागवत महापुराण की सप्ताहिक कथा बहुत ही सुंदर तरीके से सीखिए | और भागवत के उत्तमोत्तम प्रवक्ता बनिए |

( यह कोर्स सिर्फ 6 महीने का है )

सीखने का शुल्क न्यूनतम है। ​​ केवल इच्छुक विद्यार्थी ही आवेदन करें|

ऑफलाइन से अच्छा रिजल्ट आपको यहां ऑनलाइन कक्षा पर प्राप्त होगा।

आवेदन करने के लिए हमें अभी कॉल करें-

संपर्क सूत्र- 8368032114
प्रशिक्षक:- आचार्य शिवम् मिश्र जी – भागवत कथा प्रवक्ता बनने का सपना घर बैठे ही अपने मेहनत लगन और हमारे मार्गदर्शन से पूरा करें- 6 महीने में |

आवेद करने के लिए हमें अभी WhatsApp पर अपना नाम और पता हमको भेजें और जल्द ही डेमो क्लास लेकर अपना अध्ययन प्रारंभ करें-

Bhagwat Puran Sikhe Online
Bhagwat Puran Sikhe Online

6 माह का प्रशिक्षण लेने के बाद आपको विद्यालय की तरफ से प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। ऑनलाइन भागवत सीखे Bhagwat Puran Sikhe Online

Bhagwat Puran Sikhe Online
Bhagwat Puran Sikhe Online
भागवत कथा सीखें- श्रीमद्भागवत महापुराण की सप्ताहिक कथा बहुत ही सुंदर तरीके से सीखिए | और भागवत के उत्तमोत्तम प्रवक्ता बनिए |

भागवत प्रसंग-

आपको क्रमसः सात दिनों की कथा के प्रसंगो को सरलतम ढंग से सिखाया जायेगा। और नोट्स बनवाए जाएंगे 6 महीने में आपको डायरी के लगभग 600 पेज लिखवाया जाएगा जो आप की कथा की तैयारी को और बेहतर बनाएगा।

बोलने का भ्यास-

भागवत कथा की तैयारी में सबसे ज्यादा अगर किसी पर परिश्रम करने की आवश्यकता है तो वह है- भागवत बोलने का अभ्यास प्रवचन करने का अभ्यास जोकि हमारे संस्थान में विधिवत रूप से बोलने का अभ्यास करवाया जाता है।

भागवत श्लोक-

साप्ताहिक कथा के हिसाब से भागवत के मुख्य श्लोकों की तैयारी। हर  श्लोक का विधिवत उच्चारण और स्वर-लय के साथ अभ्यास कराया जाएगा । लगभग 600 श्लोक आपको याद कराए जाएंगे ।

पौराणिक कथाएं

भागवत साप्ताहिक कथा में अन्य पुराणों की चर्चा व उनके प्रसंग की विधिवत जानकारी आपको मिलेगी। जो आपकी सप्ताहिक कथा को और रसमई बनाता है।

भजन व पद

साथ ही साथ आपको साप्ताहिक कथा में किस दिन किस प्रसंग में कौन सा पद व भजन सम्मिलित करना है इसकी जानकारी प्राप्त होगी।

दोहा चौपाई छंद

भागवत कथा में सुन्दर दोहा ,चौपाई ,सोरठा व छंदों का समावेश जो आपकी कथा को और सरस बना देता है।

भागवत दृष्टान्त

भागवत कथा के साथ साथ आपको मार्मिक दृष्टांतो व प्रेरक कहानियां भी प्रदान की जाएगी / ऑनलाइन भागवत सीखे Bhagwat Puran Sikhe Online

Bhagwat Puran Sikhe Online
Bhagwat Puran Sikhe Online

यहां पर आप कर्मकांड – पूजन विधि की भी विधिवत तैयारी कर सकते हैं ऑनलाइन क्लास लेकर।

आवेद करने के लिए हमें अभी WhatsApp पर अपना नाम और पता हमको भेजें और जल्द ही डेमो क्लास लेकर अपना अध्ययन प्रारंभ करें-..

ऑनलाइन भागवत सीखे Bhagwat Puran Sikhe Online

विद्यासागर मिश्रा जी को प्रमाण पत्र प्रदान करते हुए पूज्य गुरु जी

रामदेशिक प्रशिक्षण केंद्र से अब तक- भागवत कथा, शिव कथा, राम कथा के 100+ कथा प्रवक्ता बनकर विभिन्न प्रांतो में कथा कर रहे हैं।

शंभू प्रसाद पांडेय जी / श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र ] #Ram_deshik_prashikshan_kendra

श्रीमद्भागवत महापुराण साप्ताहिक कथा ( भागवत कथानक ) श्रीमद्भागवत महापुराण जो कि सभी पुराणों का तिलक कहा गया है और जीवों को परमात्मा की प्राप्ति कराने वाला है | जिन्होंने भी श्रीमद्भागवत महापुराण का श्रवण, पठन-पाठन और चिंतन किया है वह भगवान के परमधाम को प्राप्त किए हैं | 

 
इस भागवत महापुराण में भगवान के विभिन्न लीलाओं का सुंदर वर्णन किया गया है तथा भगवान के विविध भक्तों के चरित्र का वृत्तांत बताया गया है जिसे श्रवण कर पतित से पतित प्राणी भी पावन हो जाता है | आप इस ई- बुक के माध्यम से श्रीमद्भागवत महापुराण जिसमें 12 स्कन्ध 335 अध्याय और 18000 श्लोक हैं वह सुंदर रस मई सप्ताहिक कथा को पढ़ पाएंगे और भागवत के रहस्यों को समझ पाएंगे ,, हम आशा करते हैं कि आपके लिए यह बुक उपयोगी सिद्ध होगी |

ऑनलाइन भागवत सीखे Bhagwat Puran Sikhe Online

 

श्री भागवत महापुराण सप्ताहिक कथा

माहात्म्य

[ अथ प्रथमो अध्यायः ]

अनंत कोटी ब्रम्हांड नायक परम ब्रह्म परमेश्वर परमात्मा भगवान नारायण की असीम अनुकंपा से आज हमें श्रीमद् भागवत भगवान श्री गोविंद का वांग्मय स्वरूप के कथा सत्र में सम्मिलित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है | निश्चय ही आज हमारे कोई पूर्व जन्म के पुण्य उदय हुए हैं |

 

नैमिषारण्य नामक वन में श्री सूत जी महाराज हमेशा श्री सौनकादि अट्ठासी हजार ऋषियों को पुराणों की कथा सुनाते रहते हैं | आज की कथा में श्रीमद् भागवत की कथा सुनाने जा रहे हैं , ऋषि गण कथा सुनने के लिए उत्सुक हो रहे हैं | नियम के अनुसार सर्वप्रथम मंगलाचरण कर रहे हैं |

सूतोवाच- मा• 1.1

यह मंगलाचरण भी कोई साधारण नहीं है , इस श्लोक के चारों चरणों में भगवान के नाम रूप गुण और लीला का वर्णन है | जो समस्त भागवत का सार है | प्रथम चरण में भगवान के स्वरूप का वर्णन है भगवान का स्वरूप है सत यानी प्रकृति तत्व समस्त जड़ जगत भगवान का ही रूप है |

चिद् चैतन समस्त सृष्टि के जीव मात्र ये भी भगवान का ही रूप हैं

स्वयं भगवान आनंद स्वरूप हैं इस प्रकार भगवान श्रीमन्नारायण चैतन की अधिष्ठात्री श्री देवी तथा जड़त्व की अधिष्ठात्री भू देवी दोनों महा शक्तियों को धारण किए हुए हैं यह भगवान का स्वरूप है | दूसरे चरण में भगवान के गुणों का वर्णन है विश्वोत्पत्यादि हेतवे समस्त सृष्टि को बनाने वाले उसका पालन करने वाले तथा अंत में उसे समेट लेने वाले भगवान श्रीमन्नारायण है यह भगवान का गुण है |तीसरे चरण में तापत्रय विनाशाय आज सारा संसार दैहिक दैविक भौतिक इन तीनों तापों से त्रस्त है और कोई शारीरिक व्याधियों से घिरा है , कोई दैविक विपत्तियों में फंसा है तो कोई भौतिक सुख सुविधाओं के अभाव में जल रहा है |किंतु परमात्मा भगवान श्रीमन्नारायण अपने भक्तों के तापों को दूर करते हैं यही भगवान की लीला है | चौथे चरण में भगवान का नाम है श्री कृष्णाय वयं नुमः हम सब उस परमात्मा भगवान श्री कृष्ण को नमस्कार करते हैं | इस प्रकार श्री सूतजी ने कथा से पूर्व भगवान का स्मरण किया तो उन्हें याद आया कि बिना गुरु के तो भगवान भी कृपा नहीं करते तो उन्होंने अगले श्लोक में गुरु को स्मरण किया |

श्लोक- मा• 1.2

जिस समय श्री सुकदेव जी का यज्ञोपवीत संस्कार भी नहीं हुआ था तथा सांसारिक तथा वैदिक कर्म का भी समय नहीं था , तभी उन्हें अकेले घर से जाते देख उनके पिता व्यास जी कातर होकर पुकारने लगे हा बेटा हा पुत्र मत जाओ रुक जाओ, सुकदेव जी को तन्मय देख वृक्षों ने उत्तर दिया , ऐसे सर्वभूत ह्रदय श्री सुकदेव जी को मैं प्रणाम करता हूं |

सूत जी द्वारा इस प्रकार मंगलाचरण करने के बाद श्रोताओं में प्रमुख श्रीसौनक जी बोले–

हे सूत जी आपका ज्ञान अज्ञान रूपी अंधकार को नष्ट करने के लिए करोड़ों सूर्यो के समान है हमारे कानों को अमृत के तुल्य सारगर्भित कथा सुनाइए | इस घोर कलयुग में जीव सब राक्षस वृत्ति के हो जाएंगे उनका उद्धार कैसे होगा , ऐसा भक्ति ज्ञान बढ़ाने वाला कृष्ण प्राप्ति का साधन बताएं क्योंकि पारस मणि व कल्पवृक्ष तो केवल संसार व स्वर्ग ही दे सकते हैं किंतु गुरु तो बैकुंठ भी दे सकते हैं | इस प्रकार सौनक जी का प्रेम देखकर सूत जी बोले सबका सार संसार भय नाशक भक्ति बढ़ाने वाला भगवत प्राप्ति का साधन तुम्हें दूंगा जो भागवत कलयुग में श्री शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को दी थी, वही भागवत तुम्हें सुनाऊंगा |

उस समय देवताओं ने अमृत के बदले इसे लेने के लिए प्रयास किया था

किंतु सफल नहीं हुए भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है एक बार विधाता ने सत्य लोक में तराजू बांधकर तोला तो भागवत के सामने सारे ग्रंथ हल्के पड़ गए | यह कथा पहले शनकादि ऋषियों ने नारदजी को सुनाई थी, इस पर शौनक जी बोले संसार प्रपंचो से दूर कभी एक जगह नहीं ठहरने वाले नारद जी ने कैसे यह कथा सुनी | सो कृपा करके बताएं तब सूतजी बोले एक बार विशालापुरी में शनकादि ऋषियों को नारद जी मिले, नारदजी को देखकर बोले आपका मुख उदास है क्या कारण है ? इतनी जल्दी कहां जा रहे हैं इस पर नारद बोले– मैं पृथ्वी पर गया था वहां पुष्कर ,प्रयाग, काशी, गोदावरी, हरी क्षेत्र ,कुरुक्षेत्र, श्रीरंग ,रामेश्वर आदि स्थानों पर गया किंतु कहीं भी मन को समाधान नहीं हुआ | कलयुग ने सत्य , शौच,तप, दया, दान सब नष्ट कर दिए हैं , सब जीव अपने पेट भरने के अलावा कुछ नहीं जानते, संत महात्मा सब पाखंडी हो गए हैं |इन सब में घूमता हुआ मैं वृंदावन पहुंच गया वहां एक बड़ा ही आश्चर्य देखा- एक युवती वहां दुखी होकर रो रही थी उसके पास ही दो वृद्ध सो रहे थे मुझे देखकर वह बोली–

श्लोक- मा• 1.42

हे साधो थोड़ा ठहरिये मेरी चिंता दूर कीजिए | तब नारद बोले हे देवी आप कौन हैं आपको क्या कष्ट है बता दें , इस पर वह बाला बोली मैं भक्ति हूं, यह दोनों मेरे पुत्र ज्ञान बैराग हैं जो समय पाकर वृद्ध हो गए हैं | मेरा जन्म द्रविड़ देश में हुआ था , कर्नाटक में बड़ी हुई ,थोड़ी महाराष्ट्र में तथा गुजरात में वृद्ध हो गई और यहां वृंदावन में पुनः तरुणी हो गई और मेरे पुत्र ज्ञान और वैराग्य वृद्ध हो गए | नारद बोले हे देवी यह घोर कलयुग है यहां सब सदाचार लुप्त हो गए हैं |

श्लोक- मा• 1.61

इस बृंदावन को धन्य है जहां भक्ति नृत्य करती हैं | वृंदावन की महिमा महान है | भक्ति बोली अहो इस दुष्ट कलयुग को परिक्षित ने धरती पर क्यों स्थान दिया ? नारद बोले दिग्विजय के समय यह दीन होकर परीक्षित से बोला मुझे मारे नहीं मेरा एक गुण है उसे सुने—

श्लोक- मा• 1.68

जो फल ना तपस्या से मिल सकता तथा ना योग और ना समाधि से वह फल इस कलयुग में केवल नारायण कीर्तन से मिलता है | आज कुकर्म करने वाले चारों ओर हो गए हैं , ब्राम्हणो ने थोड़े लोभ के लिए घर-घर में भागवत बांचना शुरू कर दिया है | भक्ति बोली हे देव ऋषि आपको धन्य है आप मेरे भाग्य से आए हैं , मैं आपको नमस्कार करती हूँ |

इति प्रथमो अध्यायः

यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने मित्रों के साथ भी साझा करें |
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

BRAHAM DEV SINGH on Bhagwat katha PDF book
Bolbam Jha on Bhagwat katha PDF book
Ganesh manikrao sadawarte on bhagwat katha drishtant
Ganesh manikrao sadawarte on shikshaprad acchi kahaniyan