Thursday, October 10, 2024
Homeभक्तमालभक्तिरसबोधिनी टीकाकी महिमा bhaktamal katha

भक्तिरसबोधिनी टीकाकी महिमा bhaktamal katha

भक्तिरसबोधिनी टीकाकी महिमा bhaktamal katha

शान्त, दास्य, सख्य, वात्सल्य, औ श्रृंगारु चारु, पाँचों रस सार विस्तार नीके गाये हैं।
टीका को चमत्कार जानौगे विचारि मन, इनके स्वरूप मैं अनूप लै दिखाये हैं।
जिनके न अश्रुपात पुलकित गात कभू, तिनहूँ को भाव सिंधु बोरि सो छकाये हैं।
जौलौं रहैं दूर रहैं विमुखता पूर हियो, होय चूर चूर नेकु श्रवण लगाये हैं॥४॥
इस कवित्तमें टीकाकार टीकाकी विशेषता बताते हुए कहते हैं कि इस भक्तिरसबोधिनी-टीकामें शान्त, दास्य, सख्य, वात्सल्य और शृंगार-भक्तिके इन पाँचों रसोंका तत्त्व विस्तारसे अच्छी प्रकार वर्णन किया गया है।
इनके सुन्दर स्वरूपोंको जैसा मैंने भलीभाँति उत्तम रीतिसे वर्णन करके दिखाया है, इस चमत्कारको पाठक एवं श्रोता अपने मनमें अच्छी तरहसे विचार करनेपर ही जानेंगे। श्रवण, कीर्तन आदि करके प्रेमवश जिनके नेत्रोंमें कभी भी आनन्दके आँसू नहीं आते हैं और शरीरमें रोमांच नहीं होता है, ऐसे नीरस, कठोर हृदयवाले लोगोंको भी भक्तिके भावरूपी समुद्रमें डुबाकर तृप्त कर दिया गया है।
जबतक वे इससे दूर हैं, तभीतक भक्तिसे पूर्ण विमुख हैं, किंतु यदि कान लगाकर इसका थोड़ा भी श्रवण करेंगे तो उनका हृदय चूर-चूर होकर रससे परिपूर्ण हो जायगा ॥४॥

www.bhagwatkathanak.in // www.kathahindi.com

भक्तमाल की लिस्ट देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करेंभक्ति भाव के सर्वश्रेष्ठ भजनों का संग्रह

भक्तमाल bhaktamal katha all part

भक्तिरसबोधिनी टीकाकी महिमा bhaktamal katha

यह जानकारी अच्छी लगे तो अपने मित्रों के साथ भी साझा करें |
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

BRAHAM DEV SINGH on Bhagwat katha PDF book
Bolbam Jha on Bhagwat katha PDF book
Ganesh manikrao sadawarte on bhagwat katha drishtant
Ganesh manikrao sadawarte on shikshaprad acchi kahaniyan