buti hari ke naam ki sabko pila ke pi lyrics बूटी हरी के नाम की
बूटी हरी के नाम की
बूटी हरी के नाम की सवको पिला के पी
पीने की है तमन्ना तो खुदको मिटा के पी
ब्रह्मा ने चारो वेद की, पुस्तक बना के पी
शंकर ने अपने शीश पै गंगा चढाकर पी
बृज गोपीयो ने कृष्ण को माखन खिला के पी
सवरी ने झूठे वेर अपने प्रभु को खिला के पी
पृथ्वी का भार शेष ने शिर पर उठा के पी
वाली ने चोट वाण की सीने पै खाके पी
अर्जुन ने ज्ञान गीता का अमृत वना के पी
बजरंग वली ने रावण की लंका जला के पी
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