दन्तधावन विधि- dant dhavan vidhi
दन्तधावन विधि- dant dhavan vidhi दन्तधावन-विधि– मुखशुद्धिके बिना पूजा-पाठ, मन्त्र जप आदि निष्फल होते हैं, अतः प्रतिदिन मुख- शुद्ध्यर्थ दन्तधावन अथवा मंजनादि अवश्य करना चाहिये । दातौन करनेके लिये दो दिशाएँ ही विहित हैं- ईशानकोण और पूरब । अतः इन्हीं दिशाओंकी ओर मुख करके बैठ जाय । ब्राह्मणके लिये दातौन बारह अंगुल, क्षत्रियकी नौ अंगुल, […]
शौचाचार का वर्णन shauchachar ka varnan
शौचाचार का वर्णन shauchachar ka varnan शौचे यत्नः सदा कार्य: शौचमूलो द्विजः स्मृतः । शौचाचारविहीनस्य समस्ता निष्फलाः क्रियाः ॥ (दक्षस्मृ० ५। २, बाधूलस्मृ० २०) ‘शौचाचारमें सदा प्रयत्नशील रहना चाहिये, क्योंकि ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्यका मूल शौचाचार ही है, शौचाचारका पालन न करने पर सारी क्रियाएँ निष्फल हो जाती हैं । ‘ शौचाचार का वर्णन shauchachar ka […]
अजपाजप का अर्थ Ajapa Japa benefits
अजपाजप का अर्थ Ajapa Japa benefits अजपाजप– मानव शरीर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और दुर्लभ है। यदि शास्त्रके अनुसार इसका उपयोग किया जाय तो मनुष्य ब्रह्मको भी प्राप्त कर सकता है। इसके लिये शास्त्रों में बहुत से साधन बतलाये गये हैं। उनमें सबसे सुगम साधन है—’अजपाजप’ । इस साधनसे पता चलता है कि जीवपर भगवान्की कितनी असीम […]
मानसिक शुद्धिका मन्त्र- mansik shuddhi mantra
मानसिक शुद्धिका मन्त्र- mansik shuddhi mantra निम्नलिखित श्लोकोंको पढ़कर सभी अंगोंपर जल छिड़के। ऐसा करनेसे मानसिक स्नान हो जाता है। मानसिक शुद्धिका मन्त्र – – ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा । यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥ अतिनीलघनश्यामं नलिनायतलोचनम् । स्मरामि पुण्डरीकाक्षं तेन स्नातो भवाम्यहम् ॥ (आचारभूषण, पृ० ४ में वामनपुराणका वचन) […]
प्रातः जागरणके पश्चात् स्नानसे पूर्वके कृत्य- pratah jagran ke bad kya karna chahie
प्रातः जागरणके पश्चात् स्नानसे पूर्वके कृत्य- pratah jagran ke bad kya karna chahie प्रातः जागरणके पश्चात् स्नानसे पूर्वके कृत्य– प्रात:काल उठनेके बाद स्नानसे पूर्व जो आवश्यक विभिन्न कृत्य हैं, शास्त्रोंने उनके लिये भी सुनियोजित विधि-विधान बताया है। गृहस्थको अपने नित्य कर्मोंके अन्तर्गत स्नानसे पूर्वके कृत्य भी शास्त्र- निर्दिष्ट-पद्धतिसे ही करने चाहिये; क्योंकि तभी वह अग्रिम […]
गृहस्थके कर्म क्या है जाने- grahasth ke karam kya hai
गृहस्थके कर्म क्या है जाने- grahasth ke karam kya hai लम्बोदरं परमसुन्दरमेकदन्तं रक्ताम्बरं त्रिनयनं परमं पवित्रम् । उद्यद्दिवाकरनिभोज्ज्वलकान्तिकान्तं विघ्नेश्वरं सकलविघ्नहरं नमामि ॥ गृहस्थके कर्म क्या है जाने- grahasth ke karam kya hai गृहस्थके नित्यकर्मका फल-कथन अथोच्यते गृहस्थस्य नित्यकर्म यथाविधि । यत्कृत्वानृण्यमाप्नोति दैवात् पैत्र्याच्च मानुषात् ॥ (आश्वलायन) शास्त्रविधिके अनुसार गृहस्थके नित्यकर्मका निरूपण किया जाता है, जिसे […]
गुरु-ईश वन्दना guru vandana lyrics
गुरु-ईश वन्दना guru vandana lyrics || गुरु-ईश वन्दना || गुरु गुरु व्यक्ति तक सीमित नहीं, एक दिव्य चेतन प्रवाह- ईश्वर का अंश है | चेतना का एक अंश जो अनुशासन व्यवस्था बनाता, उसका फल देता है- ईश्वर कहलाता है, दूसरा अंश जो अनुशासन की मर्यादा सिखाता है, उसमें प्रवृत्त करता है, वह गुरु है। आइये, […]
bhagwat mahatmya
bhagwat mahatmya Part-7 फिर आगे आत्मदेवजी पुनः कहते हैं- पुत्रादिसुखहीनोऽयं सन्यासः शुष्क एव हि । गृहस्थ: सरसो लोकेपुत्रपौत्रसमन्वितः ।। श्रीमद्भा०मा० ४ / ३८ महात्मन ! पुत्र आदि का सुख से विहीन यह सन्यास नीरस है तथा गृहस्थ के पुत्र-पौत्र आदि से संपन्न जीवन सरस है। इस प्रकार आत्मदेव पुत्रैषणा के चलते दुराग्रह कर रहे थे […]
sant svabhav संत का सच्चा स्वभाव
sant svabhav ऐसे तो संतका किसी भी देश-कालमें अभाव नहीं होता । वे सभी देशोंमें, सभी दिनोंमें, सभीके लिये सर्वथा सुलभ हैं-सबहि सुलभ सब दिन सब देसा । पर न तो संतोंकी कोई दूकान होती है और न वे कोई साइन-बोर्ड ही लगाये फिरते हैं, जिससे उन्हें झट पहचान लिया जाय । साथ ही हतभाग्य प्राणी संतमिलनकी […]
Geeta Ke Updesh in Hindi
Geeta Ke Updesh in Hindi भगवत गीता का ज्ञान विश्वास से भगवत प्राप्ति होती है भगवान् हैं और वे ही मेरे अपने हैं। इस विश्वास से ही भगवान् के साथ प्रेम हो जाता है। भगवान् से केवल श्रद्धा-विश्वास ही माँगना चाहिए। विश्वास के अतिरिक्त और कछ भी माँगने की जरूरत नहीं है। विश्वास ही प्रेम […]