moksh kaise prapt hota hai एकदा लक्ष्मणो राममेकान्ते समुपस्थितम् । विनयावनतो भूत्वा पप्रच्छ परमेश्वरम् । एक दिन...
आचार विचार
पूर्ण शरणागति तथा भगवान् के प्रति विशुद्ध प्रेम ही उनसे मिलने का | साधन है। मुख में...