धार्मिक ज्ञान की कथा dharmik gyan ki kathayen
- चोर से एक महान सन्यासी बनने की कहानी
अच्छी बात की नकल से कभी-कभी अपूर्व फल की प्राप्ति होती है ¡ एक चोर आधी रात को किसी राजा के महल में घुसा और राजा को रानी से यह कहते सुना कि, मैं अपनी कन्या का विवाह उस साधु से करूंगा जो गंगा किनारे रहता है ।
चोर ने सोचा यह अच्छा अवसर है कल मैं भगवा वस्त्र पहनकर साधुओं के बीच जा बैठूंगा संभव है राज कन्या का विवाह मेरे ही साथ हो जाए ।
दूसरे दिन उसने ऐसा ही किया राजा के कर्मचारी जब साधुओं से राजकन्या के साथ विवाह कर लेने की प्रार्थना करने लगे , लेकिन किसी ने स्वीकार नहीं किया ।
उस चोर सन्यासी के पास गए और वही प्रार्थना उन्होंने उससे भी की तब उसने कोई उत्तर नहीं दिया कर्मचारी लौटकर राजा के पास गए और कहा कि महाराज और तो कोई साधु राजकन्या के साथ विवाह करना स्वीकार नहीं करता ।
एक यूवा संन्यासी अवश्य है, संभव है विवाह करने पर तैयार हो जाए ।
राजा उसके पास गया और राजकन्या के साथ विवाह करने के लिए अनुरोध करने लगा ।
राजा के स्वयं आने से चोर का हृदय एकदम बदल गया उसने सोचा अभी तो केवल सन्यासियों के कपड़े पहनने का यह परिणाम हुआ है, कितना बड़ा राजा मुझसे मिलने के लिए स्वयं आया है ।
यदि मैं वास्तव में सच्चा सन्यासी बन जाऊं तो ना मालूम आगे अभी और कैसे अच्छे अच्छे परिणाम देखने में आए ।
इन विचारों का उस पर ऐसा अच्छा प्रभाव पड़ा कि उसने विवाह करना एकदम अस्वीकार कर दिया और उस दिन से वह एक अच्छा साधु बनने के प्रयत्न में लगा ।
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उसने विवाह जन्म भर ना किया और अपनी साधनाओं से एक पहुंचा हुआ सन्यासी हुआ । अच्छी बात की नकल से भी कभी-कभी अनपेक्षित और अपूर्व फल की प्राप्ति होती है ।