सभी देवी देवताओं का पूजन लिस्ट देखें sampurna pujan list
विषयानुक्रम
- पूजन सम्बन्धित आवश्यक जानकरी
- पूजनोपचार
- पूजन में प्रयोज्य पदार्थ परिचय
- पूजन प्रारम्भ करने से पूर्व ध्यातव्य
- यज्ञानुष्ठान में वेदीस्थापन क्रम
- प्रथमो भागः
- मंगलाचरणम्
- गणपति अथर्वशीर्षम्
- पूजन विधि:
- स्वस्तिवाचनम्
- मङ्गलश्लोकपाठः
- प्रधान-संकल्पः
- गणेशाम्बिका पूजनम्
- कलश स्थापनं पूजनञ्च
- पुण्याहवाचनम्
- ब्राह्मण-पूजनं वरणञ्च
- दिग्रक्षणम्
- आयुष्यमन्त्रपाठः
- षोडशमातृका -निर्माण-विधिः
- षोडशमातृका – आवाहनं पूजनञ्च
- सप्तघृतमातृका -निर्माण-विधिः
- सप्तघृतमातृका (वसोर्धारा) आवाहनं पूजनञ्च
- सांकल्पिक – नान्दी श्राद्धम्
- वास्तुमण्डल (वेदी) निर्माण – विधि : .
- वास्तुमण्डल- देवानामावाहनं पूजनञ्च
- चतुःषष्ठियोगिनी ( वेदी) निर्माण – विधि :
- चतुःषष्टियोगिनी – आवाहनं पूजनञ्च
- क्षेत्रपालमण्डल (वेदी) निर्माण विधि:
- क्षेत्रपाल-मण्डल-देवानामावाहनं पूजनञ्च
- नवग्रह मण्डल (वेदी) निर्माण विधि:
- नवग्रह-मण्डल-देवानामावाहनं पूजनञ्च
- असंख्यात रुद्रकलश स्थापनं- पूजनञ्च
- सर्वतोभद्र मण्डल (वेदी) निर्माण विधि:
- सर्वतोभद्रमण्डल-देवानामावाहनं पूजनञ्च
- चतुर्लिङ्गतोभद्रमण्डल (वेदी) निर्माण विधि:
- चतुर्लिङ्गतोभद्रमण्डल- देवानामावाहनं पूजनञ्च
- शंख-पूजनम्
- घण्टा-पूजनम्
- प्रधानदेवता-प्रतिष्ठा – पूजनञ्च
- इन्द्रध्वज – पूजनम्
- हवनविधिः, कुण्ड – पूजनम्
- पञ्चभूसंस्काराः
- अग्निस्थापनम्
- कुशकण्डिका
- होम:
- पञ्चवारुणहोमः
- गणपति-गौरी- होम:
- नवग्रह होम:
- इष्टादि – देवता – होमः, षोडश मातृकाहोम:
- सप्तघृतमातृकाहोमः, वास्तुमण्डलदेवता होम:
- चतुःषष्ठयोगिनी होम:
- क्षेत्रपालमण्डल- देवता – होम:
- सर्वतोभद्र – मण्डल – देवता – होम:
- चतुर्लिङ्गतोभद्र – मण्डल – देवता – होम:
- बलिप्रदानम्
- पूर्णाहुति – होम:, वसोर्धारा – होम :
- पुष्पाञ्जलिः
- भस्मधारणम्, संस्रवप्राशनम्, पूर्णपात्रदानम्, तर्पणः, मार्जनम्
- उत्तरपूजनम्
- आरती (नीराजनम्)
- प्रार्थना
- दान – संकल्पः
- यजमानाभिषेकः
- विष्णुस्मरणम्
- तिलकीकरणम्, रक्षाबन्धनम्
- मंत्राक्षतम्, क्षमाप्रार्थना, विसर्जनम्
- द्वितीयो भागः
- पुरुषसूक्तम्
- श्रीसूक्तम्
- रुद्रसूक्तम्
- शिवरामाष्टकम्
- मङ्गलाद्यष्टयोगिनी-वैदिकमन्त्राः
- नवग्रह-वैदिक-मन्त्राः
- ग्रहों के तन्त्रसारोक्त तांत्रिक एवं बीज मंत्र
- मूलनक्षत्र – वैदिक मन्त्राः
- पंचकनक्षत्र – वैदिक मन्त्राः
- देवपूजन-वैदिक-मन्त्राः
- कण्ठाग्र- करणीय- वैदिक – मन्त्राः
- देवानां प्रार्थनीय – श्लोकमंत्राः
- श्री महामृत्युञ्जयजपविधिः
- जन्मोत्सव (बर्थ डे) पूजन विधि (वर्धापन)
- वाहन-पूजन विधि:
- रत्न- पूजन-प्रतिष्ठा – धारण-विधि:
- मण्डप-पूजन
- मंडप के स्तम्भों के पूजन की सारणी
- अथ मण्डपे द्वारस्थ देवानां दिक्पालानाञ्च स्थापनं पूजनञ्च
- दुर्गोपनिषत्कल्पद्रुमोक्त चण्डी का विशिष्टहवन विधान
- श्री जगदीश्वर भगवान विष्णु जी की आरती
- श्री त्रिगुणेश्वर भगवान शिव जी की आरती
- जगत जननी भगवती दुर्गा जी की आरती
- संस्कृतसंख्या
- वेदियों के रंगीन चित्र
- श्रीमद् भागवत कथा 7 दिन की क्यों होती है ?
- प्रेरक प्रसंग- माधवदास जी से भगवान का रजाई मांगना ||
- भागवत कथा कैसे सीखें ?ऑनलाइन भागवत सीखे। कथा वाचक कैसे बने ?
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दैनिक पूजा के नियम: एक विस्तृत मार्गदर्शन
दैनिक पूजा आध्यात्मिक विकास और मन की शांति का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। यह हमें ईश्वर से जोड़ता है और हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। हालांकि, पूजा के कुछ नियम और विधियां हैं जिनका पालन करने से पूजा का फल अधिक प्राप्त होता है।
पूजा से पहले की तैयारी:
- शारीरिक स्वच्छता: पूजा से पहले स्नान करना और साफ कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
- मन की शुद्धि: पूजा के समय मन को शांत और एकाग्र रखना जरूरी है।
- पूजा स्थल की साफ-सफाई: पूजा स्थल को साफ और सुव्यवस्थित रखें।
- दीपक जलाना: दीपक जलाना पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे वातावरण पवित्र होता है।
- फल और फूल: भगवान को प्रिय फल और फूल चढ़ाएं।
- धूप और अगरबत्ती: धूप और अगरबत्ती जलाने से वातावरण सुगंधित होता है।
पूजा के दौरान:
- आसन: आसन पर बैठकर पूजा करें।
- मंत्र जाप: अपने इष्ट देवता के मंत्र का जाप करें।
- आरती: आरती उतारें।
- प्रसाद: प्रसाद चढ़ाएं और ग्रहण करें।
- प्रार्थना: अपने मन की बात ईश्वर से कहें।
पूजा के बाद:
- आसन के नीचे जल: पूजा के बाद आसन के नीचे दो बूंद जल डालें और उसे माथे पर लगाएं।
- पूजा स्थल की सफाई: पूजा स्थल को साफ करें।
कुछ महत्वपूर्ण नियम:
- दिशा: पूजा करते समय पूर्व, उत्तर या ईशान कोण की ओर मुख करके बैठें।
- तांबे का पात्र: तांबे के पात्र में चंदन न रखें।
- पतला चंदन: पतला चंदन देवी-देवताओं को न लगाएं।
- माला: मंत्र जाप के लिए अलग-अलग माला का प्रयोग करें।
- एक मुखी दीपक: एक मुखी दीपक जलाएं।
- सबसे पहले गणेश जी: सामान्यतः सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
- आरती के बाद: आरती के बाद प्रसाद को दोनों हाथों से ग्रहण करें।
पूजा के लाभ:
- मन की शांति: पूजा करने से मन शांत और प्रसन्न रहता है।
- तनाव कम होता है: पूजा तनाव को कम करने में मदद करती है।
- आत्मविश्वास बढ़ता है: पूजा से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: पूजा सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
- ईश्वर से जुड़ाव: पूजा हमें ईश्वर से जोड़ती है।
निष्कर्ष:
दैनिक पूजा एक सरल और प्रभावी तरीका है जिसके माध्यम से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। ऊपर दिए गए नियमों का पालन करके आप एक सार्थक और फलदायी पूजा कर सकते हैं।
अतिरिक्त जानकारी:
- आप अपने इष्ट देवता की पूजा विधि के बारे में अधिक जानकारी के लिए किसी पंडित या धार्मिक ग्रंथों का सहारा ले सकते हैं।
- पूजा को एक रस्म न बनाकर इसे दिल से करें।
- नियमों का पालन करना जरूरी है लेकिन इससे अधिक महत्वपूर्ण है कि आप पूजा के दौरान ईश्वर के प्रति अपने भावों को प्रकट करें।
अगर आपके मन में कोई और सवाल है तो बेझिझक पूछ सकते हैं।
ध्यान दें: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित होता है।