shri bhagwat puran -11
shri bhagwat puran भागवत पुराण कथा भाग-11 इसप्रकार आगे कि कथा को लिखते हुये महर्षि वेदव्यास ने कहा है- एक बार गोमती नदी के पावन तट पर पावन तीर्थ क्षेत्र नैमिषारण्य में अठासी हजार संत, ऋषियों सहित शौनकादि ऋषिगण उपस्थित हुए तथा श्रीभगवान् की केवल प्राप्ति के उद्देश्य से हजार वर्षों में पूर्ण होनेवाले […]
shrimad bhagwat puran pdf -10
shrimad bhagwat puran pdf भागवत पुराण कथा भाग-10 प्रथम् स्कन्ध प्रारम्भ भागवत यानी भक्तों की कथा कही गयी है। कथा कल्पवृक्ष के समान मनुष्य के सभी मनोरथों को पूर्ण करनेवाली है। इस भागवत पुराण में १२ स्कन्ध ३३५ अध्याय एवं १८००० श्लोक हैं । इस भागवत के उपदेश को श्री देवर्षि नारदजी ने भगवान् […]
shrimad bhagwat puran -9
shrimad bhagwat puran भागवत पुराण कथा भाग-9 अत्रैव बहवः सन्ति श्रोतारो मम निर्मलाः । आनीतानि विमानानि न तेषां युग यत्कुतः ।। गोकर्णजी ने भगवान् के पार्षदों से पूछा कि अन्य श्रोताओं को धुंधुकारी जैसा फल क्यों नहीं प्राप्त हुआ, तो पार्षदों ने कहा कि हे महाराज धुंधुकारी ने उपवास रखकर स्थिर चित्त से सप्ताह […]
bhagwat puran chapters -8
bhagwat puran chapters भागवत पुराण कथा भाग-8 किसी के गुण-दोष की चिन्ता मत करें क्योंकि पुत्र का पहला धर्म है कि पिता की उचित आज्ञा का पालन, दूसरा पिता की मृत्यु के बाद श्राद्ध करना, न केवल ब्राह्मणों को बल्कि सभी जाति के लोगें को भूरि-भूरि भोजन यानी तबतक खिलाना जबतक खानेवाला अपने दोनों […]
shrimad bhagwat puran book in hindi pdf -7
shrimad bhagwat puran book in hindi pdf भागवत पुराण कथा भाग-7 वे बराबर सोचते- उनके धराधाम से जाने पर उनका उत्तराधिकारी कौन होगा ? पितरों को तर्पण कौन करेगा ? निःसन्तान होने के चलते लोग उनपर ताना कसते। इन समस्याओं से उत्पीड़ित होकर आत्मदेव एक दिन आत्महत्या के लिए चल पड़े। वे वन में […]
bhagwat puran book in hindi -6
bhagwat puran book in hindi भागवत पुराण कथा भाग-6 भक्त श्रोतागण चारों तरफ से जय-जयकार करते, शंख ध्वनि करते, नगाड़ा बजाते हुए समारोह स्थल पर एकत्रित होने लगे इस प्रकार सनकादि ऋषियों में सबसे बड़े सनत्कुमार ने भागवत कथा की महिमा बतलाते हुए प्रवचन शुरू किया और कहा – ‘सदा सेव्या सदा सेव्या श्रीमद्भागवतीकथा […]
bhagwat puran adhyay -5
bhagwat puran adhyay भागवत पुराण कथा भाग-5 सबकोई अपना ही पेट भरने या अपना पोषण में लगा है। पाखण्ड निरताः सन्तो विरक्ताः सपरिग्रहाः ।। साधु-सन्त विलासी, पाखण्डी, दम्भी, कपटी आदी हो गये हैं। तपसि धनवंत दरिद्र गृही । कलि कौतुक तात न जात कही ।। इधर गृहस्थ भी अपने धर्म को भूल गये हैं […]
shrimad bhagwat puran in hindi pdf -4
shrimad bhagwat puran in hindi pdf भागवत पुराण कथा भाग-4 अमर कथा इसी भागवत कथा को सुनकर श्री शंकर जी अमर हैं। अतः इस भागवत कथा को अमरकथा भी कहा जाता है। इसी अमर कथा को एक समय श्री कर जी ने अपनी पत्नी पार्वती को सुनाया था, परन्तु श्रीपार्वती जी इस अमरकथा को […]
Bhagwat Puran Katha Hindi -2
Bhagwat Puran Katha Hindi भागवत पुराण कथा भाग-2 एक बार जब श्रीलक्ष्मी जी ने संसारी जीवों के कल्याण के लिए प्रभु से पूछा तो प्रभु ने श्रीलक्ष्मी जी से कहा कि यह श्रीमद्भागवत कथा ही सबसे सुगम और सरल कल्याण का उपाय है। इसी भागवत कथा को एकबार ब्रह्माजी के पूछने पर प्रभु ने […]
bhagwat mahatmya
bhagwat mahatmya Part-7 फिर आगे आत्मदेवजी पुनः कहते हैं- पुत्रादिसुखहीनोऽयं सन्यासः शुष्क एव हि । गृहस्थ: सरसो लोकेपुत्रपौत्रसमन्वितः ।। श्रीमद्भा०मा० ४ / ३८ महात्मन ! पुत्र आदि का सुख से विहीन यह सन्यास नीरस है तथा गृहस्थ के पुत्र-पौत्र आदि से संपन्न जीवन सरस है। इस प्रकार आत्मदेव पुत्रैषणा के चलते दुराग्रह कर रहे थे […]