gopi geet lyrics with meaning। गोपी गीत अर्थ सहित। 2024
gopi geet lyrics with meaning। गोपी गीत अर्थ सहित। 2024 अथैकत्रिंशोऽध्यायः गोपिकागीत ॥ गोपीगीतम् ॥ गोप्य ऊचुः । जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः, श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि । दयित दृश्यतां दिक्षु तावका- स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते ॥ १॥ गोपियाँ विरहावेशमें गाने लगीं – ‘प्यारे ! तुम्हारे जन्मके कारण वैकुण्ठ आदि लोकोंसे भी व्रजकी महिमा बढ़ गयी … Read more