व्यास पीठ पूजन मंत्र vyas peeth pujan mantra

व्यास पीठ पूजन मंत्र vyas peeth pujan mantra

ऋषियों, मनीषियों द्वारा विकसित ज्ञान-विज्ञान से समन्वित अद्भुत कृत्य हैं, उस परम्परा का निर्वाह हमसे हो सके, इसलिए उस स्थान को तथा अपने आपको संस्कारित करने, उस दिव्य प्रवाह का माध्यम बनने की पात्रता पाने के लिए ये कृत्य किये-

व्यासपीठ नमन

व्यासपीठ पर – सञ्चालक के आसन पर बैठने के पूर्व उसे श्रद्धापूर्वक नमन करें । यह हमारा आसन नहीं, व्यासपीठ है । इसके साथ एक पुनीत परिपाटी जुड़ी है। उस पर बैठकर उस परिपाटी के साथ न्याय कर सकें, इसके लिए उस पीठ की गरिमा – मर्यादा को प्रणाम करते हैं, तब उस पर बैठते हैं ।
 
व्यासपीठ पर बैठकर कर्मकाष्ठ सञ्चालन का जो उत्तरदायित्व उठाया है, उसके अनुरूप अपने मन, वाणी, अन्तःकरण, बुद्धि आदि को बनाने की याचना इस वन्दना के साथ करें । 
 
व्यासाय विष्णुरूपाय, व्यासरूपाय विष्णवे । 
नमो वै ब्रह्मनिधये, वासिष्ठाय नमो नमः ॥1 ॥ 
 
अर्थात् ब्रह्मनिधि (ब्रह्मज्ञान से परिपूर्ण) वसिष्ठ वंशज ( वसिष्ठ के प्रपौत्र) विष्णु रूपी व्यास और व्यास रूपी विष्णु को नमस्कार है ।
 
व्यास पीठ पूजन मंत्र vyas peeth pujan mantra
व्यास पीठ पूजन मंत्र vyas peeth pujan mantra

नमोऽस्तु ते व्यास विशालबुद्धे, फुल्लारविन्दायतपत्रनेत्र 
येन त्वया भारततैलपूर्णः प्रज्वालितो ज्ञानमयः प्रदीपः ।
-ब्र.पु.245.7.11
अर्थात्- अत्यधिक बुद्धिशाली, विकसित कमल की तरह नेत्रों वाले, हे महर्षि व्यास! आपको नमस्कार है। आपने महाभारत रूपी तेल से परिपूर्ण ज्ञानमय प्रदीप प्रज्वलित किया है।
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