hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 351 }      

किसने सजाया तुमको

किसने सजाया है तुमको मोहन,

बड़ा प्यारा लागे, बड़ा सोणा लागे ।

ये हार गुलाबी, किसने पहनाया,

किसने चंदन का, तुझे लेप लगाया

केसरिया जाँमा तन पे सोहे ॥ बड़ा प्यारा लागे..

अधरो पे मुरली, मीठी मुस्काने,

तेरा रूप देखकर, हम हुए दिवाने ।

बनड़ा-सा आज मोहे, लागे मोहन ॥ बड़ा प्यारा लागे…….

मेरे कृष्ण कन्हैया, तुझे दिल में बसालूँ,

तेरी प्यारी छवि को, पलकों में छुपालूँ।

आँखों से ओझल ना होना मोहन ॥ बड़ा प्यारा लागे..

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       { 352 }      

नी मैं हथविच लैंके इकतारा

नी मैं हथविच लैंके इकतारा, मैं चप्पा-चप्पा छान मारिया।

मैंनूँ मिलया न प्रीतम प्यारा, मैं चप्पा-चप्पा छान मारिया ॥

दे गया दिलासा नाले चल गया चालनी।

बड़ा ही कठोर सइंयो नन्दजी दा लालनी।

सानूँ दे गया झूठा दिलासा ॥ चप्पा…. ॥

वेग न जगावे कित्थे बृज देयाँ वासियाँ |

 तेरे बिना हुइयाँ आज अखियाँ उदासियाँ ।

सानूँ ओदे बिना जग ये सारा ॥ चप्पा…. ॥

श्याम–श्याम-श्याम-श्याम गाना मेरे घुँघरू ।

रुठे हुये श्याम नूँ मनाना मेरे घुँघरू ।

कित्थे छुप गया अखियों दा तारा ॥ चप्पा…. ॥

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       { 353 }      

मैं तो नाचूँगी तेरे दरबार

मैं तो नाचूँगी तेरे दरबार, हो मुरली वाले रसिया

हो मुरली वाले रसिया-2 मैं तो नाचूँगी तेरे दरबार ॥

तेरे संग कान्हा रास रचाऊँगी,

मैं नाचूँगी तुम्हें भी नचाऊँगी ।

मेरे पायल की 2 होगी झंकार ।

हो मुरली वाले रसिया॥ मैं तो

कान्हा घुँघटा रे कान्हा मेरा घुँघटा न खोलो,

घुँघटा न खोलो मेरी बहियाँ न मोड़ो ।

तेरे पइयाँ 2 पहूँ मैं सरकार ।

हो मरली वाले रसिया ॥……

मैं गोपी तेरे प्रेम की प्यासी,

बन गई हूँ तेरे चरणों की दासी-2

तेरे चरणों में-2 जाऊँ बलिहार,

हो मुरली वाले रसिया ॥… मैं तो

रूप तुम्हारा जग से न्यारा

लगता है बड़ा प्यारा प्यारा ।

हो मेरे साँवरे-2 सलोने सरकार,

हो मुरली वाले रसिया ॥

मैं तो नाचूँगी तेरे दरबार हो मुरली …

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       { 354 }      

रसिया को नारि बचाओ री

रसिया को नारि बनाओ री रसिया – 2 हाँ रे रसिया को-2

हम्बे रसिया को नारि बनाओ री रसिको के

कटि लेहंगा गल माल कंचुकी – 2

हाँ हाँ वारे रसिया हो वा रे रसिया

कटि लेहंगा गल माल कंचुकी

हारे याहे चूनर हम्बे याहे चूनर

शीश उढ़ाओ री रसिया को

रसिया को नार……

बेदी भाल नैयन बिच कजरा

हाँ हाँ वा रे रसिया हो वा रे रसिया

बेदी भाल नैयन बिच कजरा

हारे याहे नथवे हम्बे याहे नथवे

सर पहराओ री रसिया को

रसिया को नार……

नारायण करताल बजाये के-2

हाँ हाँ वा रे रसिया हो वा रे रसिया

नारायण करताल बजाये के

हारे याहे यशुमति हम्बे याहे यशुमति

निकट नचाओ री रसिया को

रसिया को नार……

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       { 355 }      

होरी खेले तो आ जइयो

होरी खेले तो आ जइयो बरसाने रसिया

होरी खेले तो

हाँ होरी होरी हो होरी होरी – 2

होरी खेले तो – 2 होरी खेले तो,

आ जइयो बरसाने रसिया-2 होरी ….

रंग भी लइयो गुलाल भी लइयो – 2

गोपी भी लइयो संग ग्वाल भी लइयो – 2

मन मिले तो-2 आ जइयो बरसाने रसिया

होरी खेले तो……

कोरे कोरे कलश मंगाये – 2

केसरिया सब रंग घुंराये – 2

रंग रेले तो-2 आ जइयो बरसाने रसिया

होरी खेले तो……

भंग भी लइयो बादाम भी लाइयो – 2

कारी मिरच सौ ग्राम लैइ अइयो – 2

भंग छाने तो – 2 आ जइयो बरसाने रसिया

होरी खेले तो……

भर भर के पिचकारिहि मॉरु – 2

पागल हूँ पागल करि डॉरु-2

झटका झेले तो-2 आ जइयो बरसाने रसिया

होरी नेले तो…….

हाँ होरी – 2, हो होरी होरी

रसिया को नार बचाओ री

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अथ सप्तश्लोकी दुर्गा saptashloki durga lyrics
अथ सप्तश्लोकी दुर्गा saptashloki durga lyrics

       { 356 }      

मेरे उठे हृदय में हिलोर

मेरे उठे हृदय में हिलोर सखी री वृन्दावन जाऊँगी

वृन्दावन जाऊँगी सखी री बरसाने जाऊँगी-2

उड़े लाल गुलाल अबीर सखी री वृन्दावन जाऊँगी

होरी..

खूब गुलाल उड़े वृन्दावन मच रही है होरी – 2

श्याम डारे-2 केशर को नीर

सखी री वृन्दावन जाऊँगी

वृन्दावन जाऊँगी..

प्यारी राधा प्यारे कान्हा प्यारी ब्रज गोपी

मैंने बाँधी – 2 श्याम से डोर –

सखी री वृन्दावन जाऊँगी

वृन्दावन जाऊँगी…..

श्याम सांवले सांवरे कान्हा राधा है गोरी

मैं कैसे-2 धरुं अब धीर

सखी री वृन्दावन जाऊँगी

वृन्दावन जाऊँगी.

विमल चैतन्य तेरो गुण गावे सुन लो बनवारी

मैंने जोड़ी-2 है तुमसे प्रीत

सखी री वृन्दावन जाऊँगी

वृन्दावन जाऊँगी……

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       { 357 }      

उड़तो रंग गुलाल रसिया होरी में

उड़तो रंग गुलाल रसिया होरी में

बदरा हो गये लाल रसिया होरी मैं ॥

गुलाल की भर भर झोली।

अबीर संग लेकर ग्वालों की टोली ॥

डोल रह्यो नन्दलाल रसिया होरी में ॥

उड़ तो रंग गुलाल….

गली गली में कीच मची री

लाज शरम सखी कछु ना बच री ॥

भये बौरे बूढ़े ग्वाल रसिया होरी में ॥

उड़ तो रंग गुलाल..

कान्हा ने ऐसी मारी पिचकारी

भीग गई मेरी चूनर सारी

मैं तो हो गई हाल बेहाल रसिया में

उड़ तो रंग गुलाल…….

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       { 358 }      

आज बिरज में होरी रे

आज बिरज में होरी रे रसिया

अपने-अपने भवन सौ निकसी कोई श्यामल कोई गोरी रे रसिया |

आज बिरज में होरी रे रसिया…

कौन गाँव के कुँवर कन्हाई, कौन गाँव की गोरी रे रसिया |

आज बिरज में होरी रे रसिया…

नन्दगाँव के कुँवर कन्हाई प्यारे, बरसाने की राधा गोरी रे रसिया |

आज बिरज में होरी रे रसिया…..

कौन के हाथ कनक पिचकारी कौन के हाथ कमोरी रे रसिया ।

आज बिरज में होरी रे रसिया….. “

श्याम के हाथ कनक पिचकारी, राधा के हाथ कमोरी रे रसिया ।

आज बिरज में होरी रे रसिया…..

चन्द्र सखी भज बालकृष्ण छवि, चिरजीवो यह जोरी रे रसिया |

आज बिरज में होरी रे रसिया…

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       { 359 }      

फाग खेलन बरसाने

फाग खेलन बरसाने आये हैं – नटवर नन्दकिशोर ।

नटवर नन्दकिशोर आयो छलिया माखन चोर ॥ फाग…..

घेर लई सब गली रंगीली छाय रही छवि छटा छबीली ।

ढप ढोल मृदंग बजाये हैं वंशी की घनघोर ॥ फाग……

मिल जुल के सब सखियाँ आईं – उड़त छटा अम्बर पे छाई ।

जिन अबीर गुलाल उड़ाये है मारत भर भर झोर ॥ फाग…….

लै रहे चोट ग्वाल ढालन पै केशर कीच मले गालन पे ।

जिन हरियल बांस मंगाये है चलन लगे चहुँ ओर ॥ फाग……

अबीर गुलाल की भई अंधियारी दीखत नाय कोई नर अरुनारी ।

राधे ने सैन चलाये हैं-पकरे माखन चोर ॥ फाग……

जो लाला घर जानो चाहो तो होरी को फगुआ लाओ ।

श्याम ने सखा बुलाये है बांटत भर भर झोर ॥ फाग….

राधे जू की हाहा खाओ – सब सखियन के घर पहुँचाओ।

जिन घासीराम यश गाये है लगी श्याम संग डोर ॥ फाग…

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       { 360 }      

हम परदेशी फकीर

हम परदेशी फकीर काऊ दिन याद करोगे ।

इस कीर्तन को भूल न जाना॥

सत्संग में तुम प्रतिदिन आना।

खुशियाँ हो भरपूर-काऊ दिन याद करोगे॥

युग युग जीवे यह फुलवारी-

कृपा करे तुम पर बनवारी ।

सबकी आशा हों पूर-काऊ दिन या करोगे ॥

Ramta जोगी बहता पानी

इनकी माया किसने जानी।

चारों ओर जागीर-काऊ दिन याद करोगे.

मातु-पिता और भाई-बहना

भूल-चूक की माँफी देना

मैं हूँ ब्रह्म शरीर-काऊ दिन याद करोगे….

करूँ श्याम से यही बिनती

फिर हो मेल हमारा जल्दी ।

इसी मन्दिर के बीच-काऊ दिन याद करोगे………

कोई दु:खिया दुःख को रोवे-

कोई सूखिया सुख से सोवे ।

हम तो भजे रघुवीर-काऊ दिन याद करोगे..

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पद

       { 361 }      

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आग लगे इन बांसन

आग लगे इन बांसन में, जिन बांसन से प्रगटी बंसुरी ।

सारी सांझ बजे आधी रात बजे, कभी भोर बजे कछु कह बंसरी ।

मनमोहन ऐसी आन पड़ी, नित्य आय बजावत है बंसुरी ।

ब्रज को बसवो हमने छोड़ो, ब्रज में बस बैरिन तू बंसुरी ||

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       { 362 }      

जाको प्रेम भयो मनमोहन

जाको प्रेम भयो मनमोहन सों, वाने छोड़ दिया सगरो घर बारा ।

भाव विभोर रहे निसिदिन, नैनन बहे अविरल धारा ।

मस्ते सुंदर रहे अलमस्त रहे, वाके पीछे डोलत नन्द को लाला।

ऐसे भक्तन के हित, बाँह पसारत नंदगोपाला ॥

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       { 363 }      

निसदिन बरसत नैन हमारे

निसदिन बरसत नैन हमारे

सदा अंजन रहत पावस ऋतु हम पर, जवतैं श्याम सिधारे॥

थिर न रहत अंखियन में, कर कपोल भये कारे ।

कंचुकि पट सूखत नहिं कबहूँ, उर बिच बहत पनारे ॥

आँसू सलिल भये पग थाके, बहे जात सित तारे ।

सूरदास अब डूबत है ब्रज काहे न लेत उबारे ॥

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       { 364 }      

नाथ अनाथन की सुध लीजै

नाथ अनाथन की सुध लीजै

तुम बिन दीन दुखी हैं गोपी, बेगि ही दर्शन दीजै ।

नैनन जल भर आये हरिबिन, उद्धव को पतिया लिख दीजै ।

सूरदास प्रभु आस मिलन, अबकी बेर ब्रज आवन कीजै ।

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       { 365 }      

गाइये गणपति जग वन्दन

गाइये गणपति जग वन्दन,

शंकर सुवन भवानी नन्दन ॥

सिद्धि सदन गजवदन विनायक,

कृपा सिन्धु सुन्दर सब लायक ।।

मोदक प्रिय मुद मंगल दाता,

विद्या वारिधि बुद्धि विधाता ।।

माँगत तुलसि दास कर जोरे,

बसहु राम सिय मानस मोरे ।

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       { 366 }      

गुरु महिमा

काहू सौं न रोष तोष काहू सौं न राग द्वेष,

काहू सौं न वैर भाव काहू सौंन घात है ।

काहू सौं न बकवाद काहू सौं नहीं विषाद,

 काहू सौं न संग न तौ काहू पच्छपात है ||

काहू सौं न दुष्ट बैन काहू सौं न लेन देन,

ब्रह्म को विचार कछु और न सुहात है ।

‘सुन्दर’ कहत सोई ईसन कौ महाईश,

सोई गुरुदेव जाके दूसरी न बात है ।।

गुरु बिन ज्ञान नहिं, गुरु बिन ध्यान नहिं,

गुरु बिन आतम बिचार न लहतु है ।

गुरु बिन प्रेम नहिं गुरु बिन नेम नहिं,

गुरु बिन सीलहु सन्तोष न गहतु है ।।

गुरु बिन प्यास नहिं बुद्धि कौ प्रकाश नहिं,

भ्रमहू कौ नास नहिं संसइ ही रहतु है ।

गुरु बिनु बाट नहिं कौड़ी बिनु हाट नहीं,

सुन्दर प्रगट लोक वेद यों कहतु है ।

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       { 367 }      

मेरे सतगुरु दीनदयाल

मेरे सतगुरु दीनदयाल काग से हंस बनाते हैं ॥ टेक ॥

अजब है गुरुओं का दरबार ।

भरा जहाँ भक्तों का भण्डार ।।

शब्द अनमोल सुनाते हैं ।

कि मन का भरम मिटाते हैं । मेरे सतगुरु …… ।।

गुरु जी देते सत का ज्ञान ।

जीव का हो ईश्वर से ध्यान ।।

वो अमृत खूब पिलाते हैं ।

कि मन की प्यास बुझाते हैं । मेरे सतगुरु…… ॥

गुरु जी नहिं लेते कछु दान ।

फिर रखते दुःखियों का ध्यान ।

वो अपना माल लुटाते हैं ।

अनेकों कष्ट उठाते हैं | मेरे सतगुरु ….. ||

कर लो गुरु चरणों का ध्यान ।

तुमसे करते भक्त बयान ।।

सारे दुःख गुरुजी मिटाते हैं ।

कि भव से पार लगाते हैं | मेरे सतगुरु….. ॥

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       { 368 }      

तेरी अँखियाँ हैं जादू भरी

तेरी आँखियाँ हैं जादू भरी, बिहारी मैं तो कब से खड़ी ।

सुन लो मेरे श्याम सलोना,

तुमने ही मुझ पर कर दिया टौना ।

मैं तो तेरे द्वारे खड़ी, बिहारी मैं तो…… ।। १ ।।

तुम सा ठाकुर और न पाया,

तुमसे ही मैंने नेहा लगाया ।

मेरी आँखियाँ तुम्हीं से लड़ीं, बिहारी मैं तो….. ॥२॥

कृपा करो हरिदास के स्वामी,

बाँके बिहारी अर्न्तयामी ।

मेरी टूटे न भजन की लड़ी, बिहारी मैं तो…… ।।३।।

       { 369 }      

सब काम कर रहे हैं, श्रीराम जी हमारे

श्रीराम जी हमारे, सब काम कर रहे हैं,

हर राम के सहारे, विश्राम कर रहे हैं ।

श्रीराम जी हमारे……

ये राम की कृपा है, कलियुग से कठिन युग में,

निश्चिन्त होकर हरि का गुणगान कर रहे हैं ।

हम राम के सहारे….. ॥१॥

ये राम की है महिमा, शंकर से सिद्ध योगी,

पीकर के विष हलाहल, विश्राम कर रहे हैं ।

हम राम के सहारे…… ॥२॥

भक्तों की साधना की, खेती हरी भरी है,

करके कृपा की वर्षा, घनश्याम कर रहे हैं ।

हम राम के सहारे….. || ३ ||

जो हो चुका, जो होगा, जो हो रहा है जग में

विश्वास भक्त का है, सब राम कर रहे हैं ।

हम राम के सहारे…… ॥४॥

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       { 370 }      

दाता तेरा मेरा प्यार

दाता तेरा मेरा प्यार कभी न बदले ।

दाता मेरा ये विचार कभी न बदले ॥

दाता तेरा मेरा…… ॥

द्वार तेरे पे आता रहूँ मैं,

चरणों में शीष झुकाता रहूँ मैं ।

मेरा यह व्यवहार कभी न बदले, दाता तेरा मेरा…… ॥१॥

अपना हो चाहे हो बेगाना,

रूठे चाहे सारा जमाना ।

चाहे सारा संसार भले ही बदले, दाता तेरा मेरा…… ||२||

सत्संग तेरा छोडँ कभी ना,

मुख भी तुमसे मोड़ कभी ना ।

मन से मन का यह तार कभी न बदले दाता तेरा मेरा……. ||३||

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       { 371 }      

आज अयोध्या की गलियों में

ॐ नमः शिवाय, हरि ॐ नमः शिवाय ।

आज अयोध्या की गलियों में, नाचे जोगी मतवाला ।

अलख निरंजन खड़ा पुकारे देखूंगा तेरा लाला ।।

आज अयोध्या की गलियों में……

शैली शृंगी लिए हाथ में और डमरू त्रिशूल लिए,

छमक छमाछम नाचे जोगी दरस की मन में चाह लिए ।

पग में घुंघरू छम छम बाजे, कर में जपते हैं माला ।।

आज अयोध्या की गलियों में…… ॥१॥

अंग भभूती रमावे जोगी, बाघम्बर कटि में सोहे,

जटाजूट में गंग विराजे भक्तजनों के मन मोहे ।

मस्तक पर श्रीचन्द्र विराजे गल में सर्पन की माला ।।

आज अयोध्या की गलियों में…… || २ ||

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       { 372 }      

मुरली बजाके मोहना

मुरली बजाके मोहना, क्यों कर लिया किनारा ।

अपनों से हाय कैसा, व्यवहार है तुम्हारा ।।

मुरली बजाके मोहना……

ढूंढा गली गली में, खोजा डगर डगर में,

मन में यही लगन है, दर्शन मिले दुबारा ।

मुरली बजाके मोहना…… ।। १ ।।

मधुवन तुम्हीं बताओ, मोहन कहाँ गए हैं ?

 कैसे झुलस गया है, कोमल बदन तुम्हारा ।

मुरली बजाके मोहना….. || २ ||

यमुना तुम्हीं बताओ, छलिया कहाँ गया है ?

तुम भी छली गयी हो, कहती है नील धारा ।

मुरली बजाके मोहना….. ॥ ३ ॥

दुनियाँ कहे दीवाना, पागल कहे जमाना,

पर तुमको भूल जाना, हमको ‘नहीं गवारा ।

मुरली बजाके मोहना..….…… ।।४।।

राधा तुम्हीं बताओ, तेरा श्याम कहाँ छिपा है ?

तुम भी द्रवित हुई हो, कहती है अश्रु धारा ।

मुरली बजाके मोहना….. ॥५॥

भक्तो तुम्हीं बताओ, भगवन कहाँ गए हैं ?

अपना ही दिल टटोलो, हर दिल में वो बसा है ।

मुरली बजाके मोहना….. || ६ ||

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       { 373 }      

मेरा गोपाल गिरधारी

मेरा गोपाल गिरधारी, जमाने से निराला है ।

रँगीला है, रसीला है, न गोरा है, न काला है |

मेरा गोपाल गिरधारी ……

कभी सपनों में आ जाना, कभी रूपोश हो जाना,

ये तरसाने का मोहन ने, निराला ढंग निकाला है ।

मेरा गोपाल गिरधारी …… ॥१॥

कभी वो रूठ जाता है, कभी वो मुस्कुराता है,

इसी दर्शन की खातिर, बड़े नाजों से पाला है ।

मेरा गोपाल गिरधारी …… || २ ||

कभी ऊखल से बँध जाना, कभी ग्वालों में जा खेले,

तुम्हारी बाल लीला ने, अजब धोखे में डाला है ।

मेरा गोपाल गिरधारी …… ||३||

मजे से दिल में आ बैठो, मेरे नैनों में बस जाओ,

अरे गोपाल मन्दिर ये, तेरा देखा भाला है ।

मेरा गोपाल गिरधारी …… ॥४॥

तुम्हें मुझसे हजारों हैं, मगर मेरे तुम ही तुम हो,

तुम्हीं सोचो हमारी और कौन, सुनने ही वाला है ।

मेरा गोपाल गिरधारी …… ॥५॥

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       { 374 }      

मेरी लगी श्याम संग प्रीति

मेरी लगी श्याम सँग प्रीति, दुनियाँ क्या जाने ।

मुझे मिल गया मन का मीत, दुनियाँ क्या जाने ।

मेरी लगी…… !

छवि लखि मैंने श्याम की जब से, भई बाबरी मैं तो तब से,

बाँधी प्रेम की डोर मोहन से, नाता तोड़ा मैंने जग से ।

यह कैसी पागल प्रीति, दुनियाँ क्या जाने ।। मेरी लगी…… ।।१॥

मोहन की सुन्दर सूरतिया, मन में बस गई प्यारी मूरतिया,

लोग कहैं मैं तो भई बावरिया, जब से ओढ़ी मैंने श्याम चुनरिया ।

मैंने छोड़ी जग की रीति, दुनियाँ क्या जाने ।॥ मेरी लगी…… ॥२॥

हरदम मैं तो रहूँ मस्तानी, लोक लाज दीन्ही बिसरानी,

रूप रास अंग-अंग समानी, तैरत हैरत रहूँ बिसरानी ।

मैं तो गाऊँ खुशी के गीत, दुनियाँ क्या जाने । मेरी लगी…… ||३||

मुरलीधर ने मुरली बजाई, सबने अपनी सुध बिसराई,

गोप गोपियाँ भागी आईं, कुल मर्यादा काम न आई ।

प्रिय बाज उठा संगीत, दुनियाँ क्या जाने ।। मेरी लगी……. ||४||

 भूल गई कहीं आना जाना, जग सारा लागे बेगाना,

अब तो केवल गोविन्द पाना, रूठ जाऐं तो उन्हें मनाना ।

फिर होगी प्यार की जीत, दुनियाँ क्या जाने  ।। मेरी लगी……. ॥५॥

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       { 375 }      

मतवारी जाकी चाल

मतवारी जाकी चाल, मेरौ यशुदा कौ लाल ।

जाके घूँघर वाले बाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी…… ।।१।।

जाके नयन विशाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी…… ||२||

जो है जग प्रतिपाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी…… ।। ३।।

जाकौ नाम नन्दलाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी…… ॥४॥

बने वामन कृपाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी……. ॥५॥

पहने कुंडल विशाल, मेरौ यशुदा कौ लाल । मतवारी जाकी……॥६॥

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       { 376 }      

किसी के काम जो आए

किसी के काम जो आए, उसे इन्सान कहते हैं ।

पराया दर्द जो अपनाए, उसे इन्सान कहते हैं ।

कभी धनवान है कितना कभी इन्सान निर्धन है,

कहीं सुख है, कहीं कहीं दुःख है, इसी का नाम जीवन है ।

जो मुश्किल में न घबराए, उसे इन्सान कहते हैं ।

किसी के…… ॥१॥

ये दुनियाँ एक उलझन है, कहीं धोखा, कहीं ठोकर,

कोई हँस के जीता है, कोई जीता है रो रो कर ।

जो गिरकर फिर सँभल जाए, उसे इन्सान कहते हैं ।।

किसी के…… ॥२॥

अगर गलती रुलाती है, तो राहें भी दिखाती है,

मनुज गलती का पुतला है, जो अक्सर हो ही जाती है ।

सुधारे अपनी गलती को, उसे इन्सान कहते हैं ।

किसी के……. ||३||

भरने को तो दुनियाँ में, पशु भी पेट भरते हैं,

जिन्हें इन्सान का दिल हैं, वो नर परमार्थ करते हैं ।

‘पथिक’ जो बाँटकर खाए, उसे इन्सान कहते हैं । ।

किसी के…… ॥४॥

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       { 377 }      

सुना है तारे हैं तुमने लाखों

सुना है तारे हैं तुमने लाखों ।

हमें जो तारो तो हम भी जानें ।।

निशाचरी को सँहारा है तुमने ।

उतारा पृथ्वी का भार तुमने ।

हमारे सिर भी पाप भारी,

उन्हें उतारो तो हम भी जानें ।

सुना है तारे हैं तुमने लाखों ॥१॥

हरा अहिल्या का शाप तुमने ।

मिटाया शबरी का ताप तुमने ||

हमारे भी पाप-ताप भगवन् ।

अगर निवारो तो हम भी जानें ।।

सुना है तारे हैं तुमने लाखों ||२||

फँसी भँवर में हमारी नैय्या ।

उतारो सागर से हे कन्हैया ।।

सहारे हम हैं तुम्हारे भगवन्

अगर उधारो तो हम भी जानें ।।

सुना है तारे हैं तुमने लाखों ॥३॥

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       { 378 }      

नन्दलाल प्यारे, यशुदा दुलारे

नन्दलाल प्यारे, यशुदा दुलारे, नैनों के तारे,

करूँ तिहारी मनुहार || प्यारे….. ।।

प्रेम पिपासा लेकर आई

सुघर सलौनी छवि, मन में बसाई ।

ना जप जानूँ ,ना तप जानूँ, ना पहिचानूँ,

केवल आस तिहार । प्यारे करूँ तिहारी मनुहार ।

नन्दलाल प्यारे, यशुदा दुलारे….. ||१||

आशा का बन्धन टूट न जाए,

लगन मिलन की छूट न जाए ।

आ बनवारी, ओ गिरधारी, कृष्ण मुरारी,

सुनिलेहु दीन पुकार । प्यारे करूँ तिहारी मनुहार ।।

नन्दलाल प्यारे, यशुदा दुलारे…… ||२||

तुम बिनु पल छिन कल न परत है,

विकल नैंन दिन रैंन झरत हैं ।

श्याम सलौना, करि गयौ टौना

दै गयौ रोना बाजी गई मैं हार । प्यार करूँ तिहारी मनुहार ।

नन्दलाल प्यारे, यशुदा दुलारे…… ||३||

कैसे तुम बिन हाय रहूँ मैं,

कैसे बिरह विलाप सहूँ मैं ।

श्याम बेदर्दी, कैसे कर दी, ऐसी कदर की,

जाए कृपालु बलिहार । प्यारे करूँ तिहारी मनुहार |

नन्दलाल प्यारे, यशुदा दुलारे…… ||४||

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 379 }      

जिस देश में, जिस वेश में

जिस देश में, जिस वेश में, परिवेश में रहो ।

राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ।

जिस रंग में, जिस ढंग में, जिस संग में रहो ।

राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥१॥

जिस रोग में, जिस भोग में, जिस योग में रहो ।

राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥२॥

जिस हाल में, जिस काल में, जिस चाल में रहो ।

राधा रमण, राधा रमण राधा रमण कहो ॥ ३ ॥

जिस धाम में, जिस काम में, जिस नाम में रहो ।

राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥४॥

जिस ध्यान में, जिस ज्ञान में, जिस परिधान में रहो ।

राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥५॥

जिस देश में, जिस वेश में, परिवेश में रहो ।

राधा रमण, राधा रमण, राधा रमण कहो ॥६॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 380 }      

कृष्ण कहने से तर जाएगा

कृष्ण कहने से तर जाएगा ।

पार भव से उतर जाएगा ।

बड़ी मुश्किल से नर तन मिला,

क्या पता फिर किधर जाएगा ।

कृष्ण कहने से तर…… ॥ १ ॥

होगी घर-घर में चर्च तेरी,

जिस गली से गुजर जाएगा ।

कृष्ण कहने से तर…… ॥२॥

सब कहेंगे कहानी तेरी,

काम ऐसा जो कर जाएगा ।

कृष्ण कहने से तर…… ||३||

उसके आगे तू झोली फैला,

दाता झोली वो भर जाएगा ।

कृष्ण कहने से तर…… ॥४॥

हरे कृष्ण हरे कृष्ण-कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 381 }      

राम का नाम लेकर

राम का नाम लेकर जो मर जाऐंगे ।

वो अमर नाम दुनियाँ में कर जाऐंगे ।

ये न पूछो कि मर कर किधर जाऐंगे,

 वो जिधर भेज देगा उधर जाऐंगे ।

राम का नाम लेकर…… ॥१॥

ये श्वासों की माला हरी नाम की,

फिर ये अनमोल मोती बिखर जाऐंगे ।

राम का नाम लेकर….. ॥२॥

अब यह मानो न मानो, खुशी आपकी,

हम मुसाफिर हैं कल अपने घर जाऐंगे ।

राम का नाम लेकर….. ॥३॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 382 }      

श्री राधे गोपाल भजि मन

। श्री राधे गोपाल भजि मन श्री राधे

मोर मुकुट पीताम्बर धारै, गल वैजन्ती माल ।

विहरत वृन्दा विपिन रसीले, दोऊ गल बहियाँ डाल ।

छीन लेत मन छलबल करके, चंचल नयन विशाल ।

माया रहत चरन की चेरी, डरपत निजसौं काल ।

सरस माधुरी शरणागत को, छिन में करत निहाल ।

श्री राधे गोपाल भजि मन श्री राधे ||

       { 383 }      

न तो रूप है, न तो रंग है

न तो रूप है, न तो रंग है, न गुणों की कोई खान है

फिर श्याम कैसे शरण में लें, इसी सोच में मेरे प्राण हैं ।

नफरत है जिन से उन्हें सदाँ,

उन्हीं अवगुणों में मैं हूँ बँधा ।

कलि कुटिलता है, कपट भी है, हठ भी है और अभिमान है |

फिर श्याम कैसे…… ।।१।।

मन, क्रम, वचन से विचार से. “

लगी लौ है इस संसार से ।

पर स्वप्न में भी भूलकर कभी उनका कुछ भी न ध्यान है।

फिर श्याम कैसे…. ||२||

सुख शान्ति की तो तलाश है,

साधन न एक भी पास है ।

न तो योग, जप, तप कर्म है, न तो धर्म, पुण्य ही दान है।

फिर श्याम कैसे…… || ३ ||

एक आसरा है तो है यही,

क्यों करेंगे मुझपै कृपा नहीं ।

एक दीनता का हूँ बिन्दु मैं, वो कृपालुता के निधान हैं ।

फिर श्याम कैसे….. ||४||

न तो रूप है, न तो रंग है, न गुणों की कोई भी खान है ।

       { 384 }      

थाली भर के ल्याई खीचड़ौ

थाली भर के लाई खीचड़ौ, ऊपर घी की बाटकी ।

जीमों म्हारा श्याम धणी, जिमावै बेटी जाट की।

बाबौ म्हारौ गाँव गयो है,

न जाने कद आवैगो ।

ऊ के भरोसे बैठ्यौ रह्यौ तौ,

भूखौ ही रह जावैगो ।

आज जिमाऊँ तने खीचड़ौ, काल रावड़ी घाट की ।

जीम म्हारा श्याम धणी, जिमावै बेटी जाट की ॥१॥

बार-बार मन्दिर नै जुड़ती,

बार बार मैं खोलती ।

कैय्या कोनी जिमरे मोहन,

करड़ी-करड़ी बोलती ॥ ।।

तू जीमे तो जद मैं जीमू, मानू न कोई लाट की ।

जीमों म्हारा श्याम धणी, जिमावै बेटी जाट की ॥२॥

भक्ति हो तो करमा जैसी,

साँवरियो घर आवेलो ।

भक्ति-भाव से पूरन हो कर,

हरषि-हरषि गुण गावेलो ॥

साँचो प्रेम प्रभु से हो तो, मूरत बोले काठ की ।

जीमों म्हारा श्याम धणी, जिमावै बेटी जाट की ||३||

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 385 }      

हो गए भव से पार

हो गए भव से पार लेकर नाम तेरा

बाल्मीकि अति दीन दुःखी था बुरे कर्म में सदा लीन था

करी रामायण तैयार, लेकर नाम तेरा…… ॥१॥

थे नल नील जाति के वानर

राम नाम लिख दिया शिला पर

हो गई सैना पार, लेकर नाम तेरा….. ॥२॥

भरी सभा में द्रुपद दुलारी

कृष्ण द्वारका नाथ पुकारी

बढ़ गया चीर अपार, लेकर नाम तेरा…… ॥३॥

मीरा गिरधर नाम पुकारी

विष अमृत कर दिया मुरारी

नाच कूद कर तुम्हें रिझाई

लोक लाज सब दूर भगाई

खुल गए चारों द्वार, लेकर नाम तेरा….. ॥४॥

गज ने आधा नाम पुकारा

गरुड़ छोड़कर उसे उबारा

किया ग्राह संहार, लेकर नाम तेरा…… ॥५॥

जिनको स्वयं तार नहीं पाए

नाम लिए से मुक्ति पाए

महिमा नाम अपार, लेकर नाम तेरा…. ॥६॥

राम नाम को जो कोई गावे

अपने तीनों लोक बनावे है

जीवन का सार, ले ले नाम तेरा…… ॥७॥

       { 386 }      

छोटी सी किशोरी मेरे

छोटी सी किशोरी मेरे अँगना में डोलै रेऽऽऽ

अँगना में डोले मेरे मनवा में डोलै रे । छोटी……

मैंने वासौं पूछी लाली,

कौन गाँव की बेटी रेऽऽऽ

हँसि हँसि के बतावै, मैं तो बरसाने की बेटी रे

छोटी सी किशोरी……. ।। १ ।।

मैंने वासौं पूछी लाली,

कहा तिहारौ नाम रे

मीठी मीठी बोलै, राधा मेरो नाम रेऽऽऽ

छोटी सी किशोरी…… ||२||

मैंने वासौं पूछी लाली,

कहाँ तेरी ससुराल रे

हँसि हँसि के बतावै, मेरी नन्दगाँव ससुराल रेऽऽऽ

छोटी सी किशोरी……. ||३||

मैंने वासौं पूछी लाली,

माखन खावैगी

आँह आँह कहि कैं मेरे आगे पीछे डोलै रेऽऽऽ

छोटी सी किशोरी……. ||४||

मैंने वासौं पूछी लाली,

कौन तेरौ भरतार रे

सकुचावै बतावै मेरौ, श्याम सुन्दर भरतार रेऽऽऽ

छोटी सी किशोरी मेरे अँगना में डोलै रे ॥५॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 387 }      

सरस किशोरी, वयस की थोरी

सरस किशोरी, वयस की थोरी,

रति रस वोरी कीजै कृपा की कोर || श्री राधे

साधन हीन दीन मैं राधे तुम करुणामयी प्रेम अगाधे

काके द्वारे, जाऐं पुकारे, कौन निहारे, दीन दुखी की ओर

श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस…… ॥१॥

करत अघन नहिं नैंक अघाऊँ

भजन करन मैं ना मन को लगाऊँ

कवि वर जोरी, लखि निज ओरी, तुम बिन मोरी, कौन सुधारै दौर

श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस…… ॥२॥

भलौ बुरौ जैसौ हूँ तिहारौ

तुम बिन कोऊ ना हितू हमारौ

भान दुलारी, सुधि लो हमारी, शरण तुम्हारी, हैं पतितन सिरमौर

श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस…… ||३||

गोपी प्रेम की भिक्षा दीजै

कैसैं हूँ मोहि अपनौ करि लीजै

तुम गुण गावत, दिवस वितावत, द्रग भरि आवत, हवै हौं प्रेम विभोर

श्याम कीजै कृपा की कोर ।

सरस किशोरी, वयस की थोरी, रति रस वोरी,

श्री राधे-कीजै कृपा की कोर । सरस…… ॥४॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 388 }      

प्रेम नगर की डगर है

प्रेम नगर की डगर है कठिन रे

बटोई न करना बसेरा,

पग बढ़ा हो न जाए अन्धेरा ||

मन का रतन रख जतन से अनारी,

यहाँ आगे चोरों की बस्ती है भारी ।

ज्ञानी थके रे गुमानी यहाँ, पल में लुट जाए लाखों का डेरा

पग बढ़ा…… ॥१॥

समझ रुख हवा रंग लगी है दिखाने,

इसका मरम जान ले रे दिवाने ।

देख विराना है भोले पथी, ले समझि मित्र है कौन तेरा “

पग बढ़ा……. ||२||

यह तन है टूटी नवरिया रे प्राणी,

बढ़ने न पाये ये पापों का पानी ।

नादान केवल सम्हलि के चलो, मीत माया भ्रमर ने तू घेरा

पग बढ़ा…… ||३||

विपत्ति है बादल अन्धेरी ये रातें,

भजन सार सब झूठी दुनियाँ की बातें ।

लखो श्याम पुतली में उसकी झलक, मित्र हो जाए पल में सबेरा ।

पग बढ़ा…… ॥४॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 389 }      

रे मन मूरख, कब तक

रे मन मूरख, कब तक जग में, जीवन व्यर्थ गँवाएगा ।

राम नाम नहिं गाएगा तो अन्त समय पछताएगा ।।

जिस जग में तू आया है, यह एक मुसाफिर खाना है,

लेकिन यह भी याद रहे, स्वाँसों का पास खजाना है ।

जिसे लूटने को कामादिक चोरों ने प्रण ठाना है,

माल लुटा बैठा तो घर जाकर क्या मुख दिखलाएगा ||

 राम नाम नहिं…… ॥१॥

झूठी दुनियादारी से क्या आशा मोक्ष के फल की है,

तुम को क्या है खबर जिन्दगी तेरी कितने पल की है ।

यम के दूत पकड़ जब लेंगे फिर क्या धर्म सिखाएगा ||

 राम नाम नहिं….॥२॥

पहुँच गुरू के पास ज्ञान के दीपक का उजियाला ले,

के कण्ठी पहन कण्ठ में जप की कर सुमिरन की माला ले।

खाने को दिलदार रूप का रसमय मधुर निवाला ले,

 पीने को प्रीतम प्यारे के प्रेम तत्व का प्याला ले ।

यह न किया तो आँखों में आँसू के बिन्दु बहाएगा ।।

राम नाम नहिं गाएगा तो अन्त समय पछताएगा ।

रे मन मूरख …… ||३||

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       { 390 }      

मेरे तो गिरधर गोपाल

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरौ न कोई,

जाके सिर मोर मुकुट मेरौ पति सोई ।

अँसुअन जल सींच प्रेम बेलि बोई,

अब तो बेलि फैलि गई अमृत फल होई । मेरे…… ॥१॥

दही की मथानी बड़े प्रेम से बिलोई,

माखन सब काढ़ि लियौ छाछि पियौ कोई । मेरे…… ॥२॥

सन्तन ढिंग बैठि बैठि लोक लाज खोई,

दासी मीरा लाल गिरधर, तारो अब मोई । मेरे….. ॥३॥

       { 391 }      

बीत गए दिन भजन बिना रे

बाल अवस्था खेलि गँवाई,

यौवन तब मान घणा रे । बीत गए…… ॥१॥

जब लाहे कारण मूल गँवायो,

अजहू न गई मन की तृष्णा रे | बीत गए ….. ||२||

कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो,

पार उतारि गए सन्त जना रे । बीत गए….. ||३||

       { 392 }      

दरबार में बंशी वाले के

दरबार में बंशी वाले के, दुख दर्द मिटाए जाते हैं

दुनियाँ के सताए लोग यहाँ, सीने से लगाए जाते हैं ।

संसार नहीं है रहने को, यहाँ दुःख हैं सहने को ।

भर भर के पियाले अमृत के, यहाँ रोज पिलाए जाते हैं ।।

दरबार…… ।।१।।

पल पल में आश निराश भई,

दिन दिन घटती पल पल बढ़ती ।

दुनियाँ जिसको ठुकरा देती,

वह गोद बिठाए जाते हैं । दरबार…… |॥२॥

जो गोविन्द गोविन्द कहते हैं,

वह प्रभू शरण में रहते हैं ।

उन्हीं को बुलाया जाता है,

दरबार बुलाए जाते हैं । दरबार….. ||३||

सर रखकर तली पर आ जाओ,

हसरत है जिन्हें कुछ पाने की ।

मेरे गोविन्द को पाने के लिए,

कुछ कष्ट उठाए जाते हैं ।

दरबार……. ॥४॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 393 }      

दरबार हजारों देखे हैं पर

दरबार हजारों देखे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं ।

जिस गुलशन में तेरा नूर नहीं, ऐसा कोई गुलजार नहीं ॥

अश्कों के फरिश्ते रहते हैं,

दिन रात तुम्हारे कदमों में,

है कौन वशर इस दुनिया में, जो तेरे दर का खिदमतगार नहीं ।

दरबार हजारों…… ।। १ ।।

दुनियाँ से भला हम क्या माँगें,

दुनियाँ तो खुद ही भिखारिन है,

माँगो इस मुरली वाले से, जहाँ होता कभी इनकार नहीं ।

दरबार हजारों…… ॥२॥

वह नेत्र नहीं मोर पंख है बस,

जिसने प्रभु का दीदार नहीं,

वह दिल नहीं पत्थर होता है, जिस दिल में प्रभु का प्यार नहीं ।

दरबार हजारों …… ||३||

हसरत है तुम से है मोहन,

जिस वक्त मेरा यह दम निकले,

तेरा एक नजारा काफी है, बस और मुझे दरकार नहीं ।

दरबार हजारों देखे हैं, पर ऐसा कोई दरबार नहीं ॥४॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 394 }      

चले जाऐंगे हम बिहारी जी

सजन सकारे जाएंगे, नैना मरेंगे रोय ।

विधिना ऐसी रैन की, भोर कबहूँ ना होय ।

चले जाऐंगे हम बिहारी जी सुनलो अरज हमारी ।

एक दिन हमको बसा लोगे प्रभु, अपना हमें बनाकर,

जिस जग में है हमें फँसाया, उससे हमें छुड़ाकर ।

 भूल न जाना, फिर भी बुलाना, इतनी अरज हमारी जी ।

चले जाऐंगे…… ।।१॥

कहते हैं तुम को दयालु भगवन, भक्तों के हितकारी ।

अपना हमें बनालोगे क्या, ओ मेरे बाँके बिहारी ।

भूल न जाना, फिर भी बुलाना, इतनी अरज हमारी जी ।

चले जाऐंगे…… ॥२॥

सब कुछ हरलो मेरा पर, मेरे मन से कभी न जाना,

एक सहारा तेरा है प्रभु, और न कोई ठिकाना ।

भूल न जाना, फिर भी बुलाना, इतनी अरज हमारी जी ।

चले जाऐंगे हम बिहारी जी

चले जाऐंगे……. || ३ ||

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 395 }      

वृन्दावन की गलियन डोल

राधा बोल, राधा बोल-वृन्दावन की गलियन डोल ।

श्याम के अंग पीताम्बर सोहै,

राधा के शीष चूनरि अनमोल । वृन्दावन की………. ॥१॥

श्याम के शीष पै मुकुट विराजै,

राधा के शीष भृकुटि अनमोल । वृन्दावन की……………. ॥ २॥

श्याम के संग में सखा सुशोभित,

राधा के संग सखी किलोल । वृन्दावन की………. ॥३॥

वृन्दावन की कुंज गलियन में,

बोल हरि बोल हरि हरि हरि बोल ।

वृन्दावन की गलियन डोल राधा बोल……………… ॥४॥

       { 396 }      

कृष्ण गोविन्द गोपाल

कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो,

मन को विषयों से हरदम हटाते चलो ।

देखना इन्द्रियों के न घोड़े बढ़ें ।

उनमें हर दम ये संयम के कोड़े पड़ें ।।

अपने रथ को सुमारग लगाते चलो,

कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो ॥१॥

काम करते चलो, नाम जपते चलो ।

हर समय कृष्ण का ध्यान धरते चलो ॥

काम की वासना को मिटाते चलो,

कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो ||२||

दुख में तड़पो मती, सुख में फूलो मती ।

प्राण जाऐं मगर नाम भूलो मती ॥

मुरली वाले को मन से रिझाते चलो,

कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो ||३||

याद आयेगी उनको कभी न कभी ।

कृष्ण दर्शन तो देंगे कभी न कभी ।।

ऐसा विश्वास मन में जमाते चलो,

कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो ||४||

नाम जप से ही लोगों ने पाई गती ।

भक्तों ने तो इसी से करी विनती ॥

नाम धन का खजाना बढ़ाते चलो,

कृष्ण गोविन्द गोपाल गाते चलो ॥ ५ ॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 397 }      

गिरधर जी की आरती

हे गिरधर तेरी आरती गाऊँ ।

आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ ।

बाँके बिहारी तेरी आरती गाऊँ ॥ हे गिरधर……

मोर मुकुट तेरे शीश पै सोहै ।

प्यारी बंशी मुनि मन मोहै ।

देख छवि बलिहारी मैं जाऊँ । हे गिरधर……

चरणों से निकली गंगा प्यारी ।

जिसने सारी दुनियाँ तारी ।।

उन चरणों में शीश नवाऊँ || हे गिरधर…..

व्यास दास के नाथ आप हो ।

सुख-दुख जीवन साथ आप हो ।

श्री चरणों की बलि – बलि जाऊँ । हे गिरधर……

       { 398 }      

छप्पन भोग पद

खुरचन है, खीर मोहन, खीरसा और खुर्मी खीर,

खजला, जलेबी, कलाकन्द, बालूसाही है ।

मोहन थार, मेवावाटी, मठरी महसूर पाक,

केक, रसगुल्ला संग रबड़ी सुहाई है ।

भुजिया, नमकीन, सेब, गठिया, सकल पारे,

गुँझिया, समौसा, पापड़ पकौड़ी बनाई है । ‘

मधुप श्याम’ नन्द बाबा, यशुदा सब सामग्री,

लेकर गिरिराज आज भोग में सजाई ।

       { 399 }      

श्री भागवत भगवान की

श्री भागवत भगवान की आरती

पापियों को पाप से है तारती

ये अमरग्रन्थ, ये मुक्ति पंथ, ये पंचम वेद निराला

नव ज्योति जगाने वाला ॥

हरीनाम यही, हरीध्यान यही, जग के मंगल की आरती ।

पापियों को पाप से है तारती ॥ श्री भागवत.. 1

ये शान्ति गीत, पावन पुनीत, पापों को मिटाने वाला।

हरि दर्श कराने वाला ॥ …….

ये सुखकरणी, ये दुख हरणी, श्रीमधुसूदन की आरती ।

पापियों को पाप से है तारती ॥ श्री भागवत….. ॥

ये मधुर बोल, जग पंथ खोल, सन्मार्ग बताने वाला।

बिगड़ी को बनाने वाला ॥

श्रीराम यही, घनश्याम यही, प्रभु की महिमा की आरती ।

पापियों को पाप से है तारती

श्रीभागवत भगवन् की है आरती । पापियों को पाप से है तारती ॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 400 }      

बालकृष्ण जी की आरती

आरती बालकृष्ण की कीजै आपनो जनम सुफल करि

श्री यशुदा को परम् दुलारौ ।

बाबा की अखियन को तारौ ॥

गोपिन के प्राणन सौं प्यारौ !

इन पै प्राण निछावर कीजै ॥ आरती….. ॥

बलदाऊ को छोटो भईया |

कनुआँ कहि-कहि बोलत मैया ॥

परम मुदित मन लेत बलैया ।

यह छवि नयनन में भरि लीजै ॥ आरती… ॥

तोतरि बोलन मधुर सुहावै ।

सखन संग खेलत सुख पावै ॥

सोई सुकृती जो इनको ध्यावै।

अब इनकूँ अपनो करि लीजै ॥ ॥ आरती…… ॥

श्री राधावर सुघर कन्हैया ।

ब्रज जन को नवनीत खवैया ॥

देखत ही मन लेत चुरैया।

अपनौ सरबस इनकूँ दीजै ॥ आरती…… ॥

       { 401 }      

उतारौ हे सखियां

हे उतारौ सखियां हे उतारौ सखीयां

प्रिय पहुना की आरती उतारौ सखियां

चारौ दुल्हा के आरती उतारौ सखियां

मन मोहन के आरती उतारौ सखियां

व्याह विभूषण अंग अंग शोभे

मणि मण्डप मंगल मय शोभे

तन मन धन न्योछारु सखियां

चित चोरवा के आरती उतारौ सखियां

दुलहीन श्री मिथलेश कुमारी

दुल्हा दुलहआ अवध विहारी

भरी भरी नयना निहारु सखीयां

प्रिय दुलहा के आरती उतारौ सखीयां के

रस वरसत रसकन सुखकारी

मुख मुस्कान मधुर मन हारी

छिन छिन पहलू ना विसारु सखियां –

मन मोहना की आरती उतारौ सखियां

सेहरा मौर नयन कजरा रे

प्रेम निधि प्रेमिन के प्यारे

निसदिन हिय विच धारू सखियां

प्रिय रधुवर के आरती…., चारौ दुल्हा के आरती….

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 402 }      

आरती जय जगदीश हरे

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्तजनों के संकट क्षण में दर करे ॥ॐ ॥

जो ध्यावे फल पावे, दुख विनशे मन का ।

सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तनका ॥ॐ ॥

मात-पिता तुम मेरे शरण गहूँ किसकी ।

तुम विन और न दूजा, आश करूँ किसकी ॥ॐ ॥

तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी ।

पार ब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी ॥ॐ ॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपती ।

किस विधि मिलूँ दयालु तुमसे मैं कुमति ॥ ॐ ॥

दीन बन्धु दुख हर्ता, तुम रक्षक मेरे ।

अपने हाथ उठाओं शरण पडा तेरे ॥ॐ ॥

विषय विकार मिटाओं पाप हरो देवा ।

श्रद्धा भक्ती बढ़ाओ सन्तन की सेवा ॥ॐ ॥

पार ब्रह्म जी की आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानन्द स्वामी मन वांच्छित फल पावे ॥ॐ ॥

जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे ।

भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे ॥ ॐ ॥

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       { 403 }      

आरती श्रीभागवत की

आरती श्री भागवत जी की । करत पवित्र भावना हिय की ।

श्रीनारायण मुख की बानी ।

पढ़ते ब्रह्मा और ब्रह्मानी ।

शंकर पार्वती सुख मानी।

कृष्ण कथा सुखधाम हरी की। आरती श्रीभागवत ॥१॥

सनकादिक से शेश बखानी ।

नारद मुनी परम सुख मानी ।

व्यास सुनी सर्वोपरि जानी ।

लिखी पुराण तिलक की टीकी। आरती श्रीभागवत…

श्रीशुकदेव व्यास ते सुनि कै ।

कही परीक्षित नृप से गुनि कै ।

गंगा तट सन्तन कौं चुनि कै ।

ज्ञान-वैराग भगति युवती की आरती श्रीभागवत.

कथा भागवत जो नित गावै ।

आप सुनै और कौ सुनावै ।

निश्चय कृष्णचन्द्र पद पावै ।

प्रेम सिन्धु रस बिन्दु अमी की। आरती श्रीभागवत..

       { 404 }      

श्यामा तेरी आरती

श्यामा तेरी आरती, कन्हैया तेरी आरती ।

सारा संसार करेगा, कर जोड़ के ॥

सिर पर सोहना मुकुट विराजै, गल वैजन्ती माला साजै ॥

और फूलन के हार, करेंगे कर जोड़ के ॥ श्यामा…

ब्रह्मादिक तेरो यश गावैं, नारद शारद ध्यान लगावैं ॥

और करें जै- जै कार, करेंगे कर जोड़ के ॥ श्यामा..

अपने चरण की भक्ती दीजै, अपनी शरण में मोहि रख लीजै ॥

करो भवसागर पार करेंगे कर जोड़ के ॥ श्यामा…

प्रेम सहित जो आरती गावै, श्रीराधा माधव के पद पावै ॥

बाढै सुयश अपार, करेंगे कर जोड़ के ॥ श्यामा…….. ॥

hindi bhajans popular नाचने वाले भजन लिरिक्स

       { 405 }      

आरती कुञ्ज बिहारी की

आरती कुञ्ज बिहारी की गिरधर कृष्ण मुरारी की

गले में बैजन्ती माला, बजामें मुरली मधुर बाला

श्रवण में कुण्डल झल काला

नन्द के नन्द श्री आनन्द कन्द मोहन वृज चन्द

राधिका रमण बिहारी की ॥ श्री गिरधर…….

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली

लतन में बैठे वन माली

भवर सम अलख कस्तूरी तिलक चन्द्र सी झलक

राधिका गौर श्याम मुख की || श्री गिर धर…….

वाज रही यमुना तट वैणु, संग में गोप ग्वाल धैनू

चमक रही यमुना की रैनू

हसत मुख मंद, कटत यम फंद, टेर सुन वृन्दावन चन्द

लेउ भिखारी की ॥ श्री गिरधर……..

       { 406 }      

मन में बसाकर तेरी मूर्ति

मन में बसाकर तेरी मूर्ति, उतारू मै गिरधर तेरी आरती

करूणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन्

भव में भसी नाव मेरी तार दो भगवन् ।

दर्द की दवा तुम्हरे पास है

जिन्दगी दया की है भीख मांगती ॥ मन में……

माँगू तुमसे क्या में यही सोचू भगवन

जिन्दगी जव तेरे नाम कर दी अर्पण ।

सव कुछ तेरा कुछ नही मेरा

चिन्ता है मुझको प्रभु संसार की ॥ मन में …..

वेद तेरी महिमा गायें संत करै ध्यान

नारद गुणगान करें छेडै वीणा तान

भक्त तेरे द्वारे करते है पुकार

दास वालकृष्ण गावै तेरी आरती ॥ मन में….

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       { 407 }      

दिव्य दम्पति की आरती

दिव्य दम्पति की आरती उतारूँ हे अली

राजे नन्द जू के लाल, वृषभानु की लली । दिव्य…

पद नख मणि चन्द्रिका की उज्ज्वल प्रभा,

नील पीत कटि पट रहे मन को लुभा

कटि कौंधनी की शोभा अति लागत भली । दिव्य… ।

नाभि रूचिर गम्भीर मन भंवर परे,

उर कौस्तुभ श्री वत्स भृगु पद उभरे,

वनमाल उर राजे कम्बु कण्ठ त्रिवल्ली | दिव्य…

दिव्य कान्ती गौर श्याम मुख चन्द्र की छटा,

घुंघराली अलकावली सुजलद घटा ।

द्युति कुण्डल दशन सो चपल बिजली | दिव्य…

शीश चन्द्रिका मुकुट त्रिभुवन धनि के,

अंग अंग दिव्य भूषण कनक मणि के

सोहे श्यामा कर कञ्ज श्याम कर में मुरली | दिव्य…

चितवनि मुसकनि प्रेम रस बरसे,

हिय हरषि नारायण चरण परसे

जय जय कहि बरसे सुमन अञ्जली। दिव्य…

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चेतावनी – 1

के ते भये राजा सगर सुत केते भये

जात हूं ना जानी ज्यों तरैया प्रभात की

वल वैन अम्बरीश मानधाता प्रहलाद भये

कहा लौ कथा कहू वा रावड अयात की

वे हू ना वचे काल कौतुकी के हाथ सौ

भांति भांति सैन रची जिन सुजात की

चार चार दिन कौ चवाव सव कोई करै

अंत लुट जात जैसे पूतरी वरात की

चेतावनी – 2

रावड ने कही काल पाढी से वाध राख्यौ

पूछौ देवतान सौ कहा इनकौ जोर है

हिरणाकश्प ने कही त्रिभुवन में ना मोसौ वली

पूछौ प्रहलाद ते वचैगौ कोन ठौर है

कंस ने कही वसुदेव कौ निरवंश करूं

रूक्म ने कही शिशपाल सिर मौर है

करौ मत अभिमान सदा ना काहू की रही

करौ कोई लाख पर करैया कोई ओर है

चेतावनी – 3

काहू समय हाथी और घोडेन के जोड़े रहै

काहू समय आप ही कुदार कर गहिये

काहू समय ग्लम गलीचा हुसाले विछे

काहू समय कामरी को टूक ओढ रही है

काहू समय हुक्म हाकिमन पै हू करत रहै

काहू समय चार वात नीच हूं की सहिये

हारिये न हिस्मत विसारिये ना प्रभु को नाम

जाही विधि राखै राम ताही विधि रहिये

चेतावनी – 4

क्षण भंगुर जीवन की कलिका

कल प्रात: को जानै खिली ना मिली

मलयाचल की शुचि शीलत मंद

सुगंध समीर मिली ना मिली

कलि काल कुठार लिये फिरता

तन नम्र पै चौट झिली नर झिली

रट लै हरी नाम अरी रसना

फिर अन्त समय ही में हिली ना हिली

चेतावनी – 5

मौत न छोडी वेणू दधीच को

मौत न छोडी संत और साई

मौत न छोडी मानव महिष को

मौत न छोडी रंक ना राई

मौत न छोडी रावण को

जो काल खींचकर खाट वनाई

वेनी कहै कई युग वीत गये

पर मौत निगोरी को मौत ना आई

चेतावनी – 6

आया है सो जायेगा त सोचौ अभिमान मन

तू चेतौ अव चेतौ दिवस तेरौ नियराना है

कर से कर दन मान मुख से जप राम नाम वा

ही दिन आवै काम जाहि दिन जाना है

नादिया है अगम तेरी सूझत नही आर पार

बूढत हौ वीच धार फिर क्या पछताना है

हे रे अभिमानी झूठी माया संसारी गत मु

ठ्ठी वांध आया है तो खाली हाथ जाना है

       { 409 }      

व्रज महिमा

चाहे मान प्रतिष्ठा मिले ना मिले

अपमान गले में वधाना पडे

जल भोजन की परवाह ना हो

करके व्रत जनम विताना पडे

अभिलाषा नही सुख की कुछ भी

दुख नित्य नवीन उठाना पडे

व्रज भूमि के वाहत किन्तु प्रभु

मुझे भूल के भी ना जाना पडे

पद- 2

में का करूं बैकुंठ में जाये

तहां ना नंद ना यशोदा मैया

ना गोपी ग्वाल न गाय

जहां ना जल यमुना को निर्मल

और नही कदमन की छाय

परमानंद प्रभु चतुर ग्वालिनी

वृन्दावन छोड मेरी जाय वलाय

पद-3

मोर जो वनाओ तो वनाओं नाथ वृन्दावन कौ

नाच नाच कौक कौक आपको रिझाउगौ

वन्दर हू वनओं तो वनाओं नाथ वृन्दावन कौ

कूद कूद ब्रझन पै जोर हू दिखउगौ

भिक्षुक हू वनाओ तो वनाओ नाथ वृन्दावन कौ

टूक हरी भक्तन के मांग मांग खाऊंगौ

रंगी कू कीजै कीर नाथ यमुना के तीर

आठौ याम श्याम श्यामा श्यामा श्याम गांउगौ

पद- 4

वाहर गमन का ना मन में विचार उठै

चाहै तो प्रलोभन कोई लाखौ करोड़ दे

अन्तिम समय में भी धारण प्रवल मेरी

जन्म जन्मांतर के अटूट प्रेम जोड दे

पीत पट वारौ श्याम सत्मुख हमारे आय

लकुटी समेत नैक भ्रकुटी मरोड़ दे

वृन्दावन वीच मृत्यु होवै जो हमारी तौ

वृन्दावन रस कोई मुख में निचोड दे

पद- 5

न चित्र लिखा ना चरित्र सुना

वह सुन्दर श्याम को जाने ही क्या

मन में न बसा मन मोहन तो

वह ठान किसी पर ठाने ही क्या

जिस वन्दर ने ईमली ही ना चखी

वह स्वाद सुधा पहचाने ही क्या

जिसने कभी प्रेम किया ही नही

वह प्रेम की आह को जाने ही क्या

पद- 6

व्रज धूरि प्राणन सौ प्यारी लगै

व्रज मण्डल माहि वसाय रहो

रसिको के सुंसग में मस्त रहूं

जग जाल सौ नाथ वचाय रहो

नित वांकी ये झांकी निहारा करूं

छबि छाक सौ नाथ छकाय रहो

अहो बांके बिहारी यही विनती

मेरे नैनौ से नैना मिलाय रहो

पद- 7

शेष गणेश महेश दिनेश सुरेशहु जाहि निरंतर ध्यावें

जाहि अनादि अंनत अखण्ड अखेद अभेद सुवेद वतावै

नारद से सुक व्यास रटै पचिहारे तऊ पुनि पार न पावै

ताहि अहीर की छोहरिया छछिया भर छाछ पै नाच नचावें

पद- 8

कीरत सुता के `पग पग पै प्रयाग यहां

केशव की केलि कुँज कोटि कोटि काशी है

यमुना में जगन्नाथ रेणुका में रामेश्वर

दर दर पै पड़े रहै अयोध्या के वासी है

पीन के द्वार द्वार हरिद्वार वसत जहां

बद्री केदारनाथ फिरत दास दासी है

स्वर्ग अपवर्ग सुख लैकें करेंगे कहा

जानते नही हो हम वृन्दावन वासी है

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प्रेम और विरह

(1)

हम प्रेम नगर की वनजारिन

जप तप और साधन क्या जानें

हम श्याम नाम की दीवानी

नित नेम के वंधन क्या जानें

हम व्रज की भोरी ग्वालिनिया

ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जानें

ये प्रेम की वातें है ऊधौ

कोई क्या समझे कोई क्या जानें

मेरे और मोहन की वातें

ये मे जानू या वो जाने

(2)

इस जीवन के तुम जीवन हो

व्रज चन्द्र तुम्हें कैसे समझायें

दुख होता बहुत है तुम्हारे बिना

इस प्रेम व्यथा को कहां तक गाये

हस देते हो आप यूं ही हरी

जव हम अपना दुख दर्द सुनायें

रहते मन मोहन तुम्ही दिल में

दिल कैसे अपना चीर दिखायें

(3)

सदियों से तेरा हूं दीवाना

ये जनम जनम का फेरा है

इक तेरी सांवली सूरत ने

ये दिल दीवाना घेरा है

नंद लाल तेरे दीदार विना

इस दिल में हुआ अंधेरा है

इक वार तो तू कहदे तुझसे

तू मेरा है तू मेरा है

(4)

पहले मुख चन्द्र दिखाकर के

फिर हाय वियोग दिखाया है क्यूं

चरणामृत स्वाद चखाकर के

विष का फिर प्याला पिलाया है क्यूं

वस एक ही वार हँसाकर के

इस भांति सदैव रूलाया है क्यूं

मन में जव मोह नही रखते

मन मोहन नाम धराया है क्यूं

(5)

नंदलाल निहार लिये जव ते

निज देह न गेह सवारन दे

धरि धीरज वोल उठी वरनी

पद नीरज की रज झारन दे

पुतरी कह सामने से हट जा

आंसुआ कहे पाय पखारन दे

पलकें कहें मूद ले मोहन को

अखियां कहै और निहारन दे

(6)

मन में है वसी वस चाह यही

प्रिय नाम तुम्हारा उचारा करूं

विठला के तुम्हें मन मंदिर में

मन मोहनी रूप निहारू करूं

भर के द्रग पात्र में प्रेम का जल

पद पंकज नित्य पखारा करूं

वनूं प्रेम पुजारी तुम्हारा प्रभु

नित आरती भव्य उतारा करूं

 

       { 411 }      

नाम महिमा

वह और की आस करे न करे

जिसे आश्रय ही हरिनाम का है

उसे स्वर्ग से मित्र प्रयोजन क्या

नित वासी जो गोकुल धाम का है

वस सार्थक जन्म उसी का यहां

हरे कृष्ण जो चाकर श्याम का है

विन कृष्ण के दर्शन के जग में

यह जीवन ही किस काम का है

(२)

सूर अनेक फिरें कड़ मांगत

पै पद सूर के स्वाद कहां

राम कथा कितनों ने लिखी

पर तुलसी सी मर्यादा कहां

लै ताल मृदङ्ग मजीरा फिरै

पर मीरा मतवाली सी चाल कहां

नरसिंह वसै प्रति खम्भन में

पर काढन कौ प्रहलाद कहां

(३)

वनेगी ना वावरे वढाये जटा जूट रखे व

नेगी ना अंग तेरे भस्मी लगाये ते

वनेगी ना भूत प्रेत जिन्दन को अदि सेये

वनेगी ना रंक और राजा रिझाये ते

वनेगी ना कोटि वार विपुल पुरान पढे

वनेगी न वार वार गंगा नहाए ते

ओ रे मन मेरे तू कवूल कर मेरी कही

तेरी वन जायेगी हरी के गुण गाये ते

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