लक्ष्मी पूजन विधि मंत्र सहित laxmi pujan pdf book download
परिचय
दिवाली का त्योहार भारत में प्रकाश, समृद्धि और विजय का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्व है। माता लक्ष्मी विष्णु जी की अर्धांगिनी हैं, जो धन, वैभव, सौभाग्य और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि दीपावली की अमावस्या रात्रि में लक्ष्मी पूजन करने से वर्ष भर धन-धान्य की कमी नहीं होती। रामायण में भी भगवान राम ने लंका विजय के बाद इसी रात्रि में लक्ष्मी पूजन किया था, जिससे अयोध्या में सुख-समृद्धि का वास हुआ।
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लक्ष्मी पूजन विधि सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली है। यह पूजन न केवल भौतिक समृद्धि प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति भी देता है। इस लेख में हम लक्ष्मी पूजन की पूरी विधि को मंत्र सहित विस्तार से समझेंगे। यह पूजन घर के मुख्य द्वार या पूजा स्थल पर किया जाता है। पूजन से पूर्व स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। समय: संध्या काल, विशेष रूप से प्रहर (रात्रि का पहला प्रहर) में।
लक्ष्मी पूजन का उद्देश्य केवल धन प्राप्ति नहीं, बल्कि निष्काम भक्ति है। जैसे भागवत पुराण में वर्णित है, लक्ष्मी जी की कृपा से मनुष्य का जीवन धन्य हो जाता है। इस पूजन में गणेश जी का भी पूजन अनिवार्य है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता हैं। अब आइए, सामग्री से शुरू करते हैं।
आवश्यक सामग्री laxmi pujan pdf book download
लक्ष्मी पूजन के लिए सामग्री संकलित करना प्रारंभिक चरण है। ये वस्तुएं आसानी से घर पर उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन शुद्धता का ध्यान रखें। मुख्य सामग्री निम्नलिखित हैं:
- मूर्ति या चित्र: माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो।
- पूजन सामग्री: लाल चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल), पुष्पमाला, धूप, दीपक, कपूर।
- फल-फूल: कमल का फूल (प्रतीकात्मक), सुपारी, लौंग, इलायची, पान का पत्ता।
- मिठाई: खीर, लड्डू या हलवा – प्रसाद के रूप में।
- धन सम्बन्धी वस्तुएं: सिक्के, नोटों का हार, चांदी का सिक्का, लाल कपड़ा (लक्ष्मी को विराजमान करने के लिए)।
- अन्य: कलश, थाली, आसन (लाल वस्त्र का), घंटी, शंख।
ये सामग्रियां शास्त्रीय विधि के अनुसार हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजन स्थल उत्तर-पूर्व दिशा में हो। यदि घर में कोई ऋण हो, तो प्रतीकात्मक रूप से चावल के ढेर पर धन रखें। अब विधि पर आते हैं।
लक्ष्मी पूजन की विधि: चरणबद्ध वर्णन
लक्ष्मी पूजन को चरणों में विभाजित किया जाता है। प्रत्येक चरण में मंत्र जप अनिवार्य है। पूजन से पूर्व संकल्प लें: "मैं अमुक गोत्र का निवासी, दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजन कर रहा/रही हूं, ताकि मेरे परिवार में समृद्धि आए।"
चरण 1: गणेश पूजन laxmi pujan pdf book download
सर्वप्रथम गणेश जी का पूजन करें, क्योंकि बिना विघ्नहर्ता के पूजन में बाधा आ सकती है। गणेश जी को लाल आसन पर विराजमान करें। तिलक लगाएं।
मंत्र:
ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम्।
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत आ नः शृण्वन्नूतिभिः सीद सादनम्॥
अर्थ: हे गणों के स्वामी, हम आपका आह्वान करते हैं। आप श्रेष्ठ ऋषि हैं। हमें शुभ सुनने वाले बनाएं।
दूर्वा, मोदक और दूध चढ़ाएं। 108 बार "ॐ गं गणपतये नमः" जपें। इससे पूजन सुगम होता है।
चरण 2: पंच देवता पूजन laxmi pujan pdf book download
पंच देवता – गणेश, लक्ष्मी, कुबेर, इंद्र और अग्नि – का पूजन करें। कुबेर धन के कोषाध्यक्ष हैं।
कुबेर मंत्र:
ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा॥
इस मंत्र से कुबेर को आमंत्रित करें। चांदी का सिक्का चढ़ाएं।
चरण 3: लक्ष्मी विराजमान laxmi pujan pdf book download
लाल कपड़े पर अष्टपदी (आठ पैर वाली) लक्ष्मी मूर्ति स्थापित करें। कलश भरकर रखें।
विराजमान मंत्र:
ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
लक्ष्मी जी को स्नान कराएं (पंचामृत से)। चंदन, कुमकुम का तिलक लगाएं। कमल पुष्प चढ़ाएं।
चरण 4: धूप-दीप प्रदक्षिणा laxmi pujan pdf book download
धूप जलाकर प्रदक्षिणा करें। फिर दीपक प्रज्वलित करें।
दीप मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। दीपकं समर्पयामि।
कपूर आरती करें। घंटी बजाएं।
चरण 5: पुष्पांजलि और मंत्र पाठ laxmi pujan pdf book download
अब मुख्य मंत्र पाठ। लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली पाठ करें।
लक्ष्मी अष्टकम (संक्षिप्त):
नमस्ये सर्वलोकानां जननीमब्जसम्भवाम्।
श्रीमहालक्ष्मीं नरेश्वरिं नमामि कमलालयाम्॥
पद्मालयां पद्महस्तां पद्माक्षीं पद्ममालिनीम्।
विष्णुप्रियां विष्णुवक्षःस्थलस्थितां विष्णुपत्नीम्॥
पूर्णचन्द्रवदनां संतुष्टिं जगन्मोहिनीं हरिप्रियाम्।
जय जय देवि चामुण्डे जगन्नाशिनि त्रिभुवनमये॥
(पूर्ण अष्टकम 8 श्लोकों में है, जपें।)
इसके बाद "ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि। तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात्" गायत्री मंत्र 108 बार जपें।
चरण 6: हवन और दान laxmi pujan pdf book download
यदि संभव हो, तो हवन करें। घी की आहुति दें।
हवन मंत्र:
ॐ इदं विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः। श्रीमहालक्ष्म्यै स्वाहा।
दान: कन्या भोजन या ब्राह्मण को दान दें।
चरण 7: आरती और क्षमा प्रार्थना laxmi pujan pdf book download
आरती गाएं: "ॐ जय जगदीश हरे…" या लक्ष्मी आरती।
क्षमा मंत्र:
ॐ अपराध सहस्राणि क्रियन्ते अहर्निशं मय।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर॥
पूजन समाप्ति पर प्रसाद वितरण करें।
लक्ष्मी पूजन का आध्यात्मिक महत्व
लक्ष्मी पूजन केवल रस्म नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है। पुराणों में वर्णित है कि लक्ष्मी जी चंचला हैं – वे कर्मठता पर विराजमान होती हैं। विष्णु पुराण में कहा गया: "कर्मणा लक्ष्मीः स्थिरा भवति।" अर्थात, मेहनत से धन स्थिर रहता है।
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन इसलिए महत्वपूर्ण क्योंकि अमावस्या रात्रि अंधकार की प्रतीक है, और दीपक जलाकर हम प्रकाश (ज्ञान) का आह्वान करते हैं। लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन से बुद्धि और धन दोनों प्राप्त होते हैं।
आधुनिक संदर्भ में, यह पूजन तनाव मुक्ति का साधन है। वैज्ञानिक दृष्टि से, मंत्र जप से मस्तिष्क में अल्फा वेव्स उत्पन्न होती हैं, जो शांति प्रदान करती हैं।
महिलाओं के लिए विशेष: सुहागिनें लाल वस्त्र पहनकर पूजन करें, कुमारी कन्याएं सहभागी हों। इससे पारिवारिक सौहार्द बढ़ता है।
गलतियां避免: पूजन के समय क्रोध न करें, नकारात्मक विचार न लाएं। लक्ष्मी शुद्ध हृदय पर आती हैं।
सामान्य प्रश्न और समाधान laxmi pujan pdf book download
प्रश्न 1: यदि मूर्ति न हो तो क्या?
उत्तर: चित्र या कल्पना से पूजन करें। शास्त्र कहते हैं, भक्ति ही मुख्य है।
प्रश्न 2: मंत्र सही उच्चारण कैसे?
उत्तर: गुरु से सीखें या ऑडियो सुनें। जप की संख्या 108 हो।
प्रश्न 3: कुबेर पूजन क्यों?
उत्तर: कुबेर धन रक्षक हैं। बिना उनके लक्ष्मी का धन व्यर्थ हो जाता है।
प्रश्न 4: पर्यावरण अनुकूल पूजन?
उत्तर: प्लास्टिक न इस्तेमाल करें, प्राकृतिक सामग्री चुनें।
निष्कर्ष
लक्ष्मी पूजन विधि न केवल दीपावली को विशेष बनाती है, बल्कि जीवन को समृद्ध करती है। मंत्रों का जप हृदय को पवित्र करता है। याद रखें, लक्ष्मी जी की कृपा के लिए दान, कर्म और भक्ति आवश्यक हैं। जैसे भगवत गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं: "पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति…" – भक्ति से अर्पित छोटी वस्तु भी स्वीकार्य है।
इस पूजन से परिवार में एकता आए, धन की वर्षा हो। जय माता लक्ष्मी! जय श्री राम!



