मानसिक शुद्धिका मन्त्र- mansik shuddhi mantra
निम्नलिखित श्लोकोंको पढ़कर सभी अंगोंपर जल छिड़के। ऐसा करनेसे मानसिक स्नान हो जाता है।
मानसिक शुद्धिका मन्त्र – –
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥
अतिनीलघनश्यामं नलिनायतलोचनम् ।
स्मरामि पुण्डरीकाक्षं तेन स्नातो भवाम्यहम् ॥
(आचारभूषण, पृ० ४ में वामनपुराणका वचन)
इसके बाद मूर्तिमान् भगवान् माता-पिता एवं गुरुजनोंका अभिवादन करे’, फिर परमपिता परमात्माका ध्यान करे ।
मानसिक शुद्धिका मन्त्र- mansik shuddhi mantra
– कर्म और उपासनाका समुच्चय (तन्मूलक संकल्प ) – इसके बाद परमात्मासे प्रार्थना करे कि ‘हे परमात्मन् ! श्रुति और स्मृति आपकी ही आज्ञाएँ हैं’। आपकी इन आज्ञाओंके पालनके लिये मैं इस समयसे लेकर सोनेतक सभी कार्य करूँगा। इससे आप मुझपर प्रसन्न हों, क्योंकि आज्ञापालनसे बढ़कर स्वामीकी और कोई सेवा नहीं होती –
त्रैलोक्यचैतन्यमयादिदेव ! श्रीनाथ ! विष्णो ! भवदाज्ञयैव ।
प्रातः समुत्थाय तव प्रियार्थं संसारयात्रामनुवर्तयिष्ये ॥
सुप्तः प्रबोधितो विष्णो ! हृषीकेशेन यत् त्वया ।
यद्यत् कारयसे कार्यं तत् करोमि त्वदाज्ञया ॥
(व्यास)
आपकी यह भी आज्ञा है कि काम करनेके साथ-साथ मैं आपका. स्मरण करता रहूँ | तदनुसार यथासम्भव आपका स्मरण करता हुआ और नाम लेता हुआ काम करता रहूँगा तथा उन्हें आपको समर्पित भी करता रहूँगा । इस कर्मरूप पूजासे आप प्रसन्न हों ।