संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने  प्रीतिः साधुजने नयो नृपजने विद्वजनेष्वार्जवम्।  शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तता  ये चैवं पुरुषाः कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः॥ आत्मीय जनोंपर उदारता, दूसरोंपर दया, दुष्टोंसे शठता, साधुओंसे प्रीति, राजाओंसे नीति, विद्वानोंसे सरलता, शत्रुओंपर वीरता, बड़ोंपर क्षमा और स्त्रियोंसे चालाकी रखना-इन सब गुणोंमें जो निपुण … Read more

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok with hindi meaning

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok with hindi meaning त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागमम्। कुरु पुण्यमहोरात्रं नित्यमनित्यताम्॥  खलका सङ्ग छोड़, साधुकी सङ्गति कर, दिनरात पुण्य किया कर, संसार अनित्य है-इस प्रकार निरन्तर विचार करता रह ॥ दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्। सत्यपूतां वदेद् वाचं मनःपूतं समाचरेत्॥ देख-भालकर पैर रखना चाहिये, कपड़ेसे छानकर पानी पीना … Read more

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok ka arth

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok ka arth नीतिसूक्तिः विद्वत्त्वञ्च नृपत्वञ्च नैव तुल्यं कदाचन। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥ विद्वत्ता और राजपद-इन दोनोंकी तुलना कदापि नहीं हो सकती; राजा अपने ही देशमें आदर पाता है, किन्तु विद्वान् सब जगह आदर पाता है॥ पण्डिते च गुणाः गुणाः सर्वे मूर्खे दोषा हि केवलम्।  तस्मान्मूर्खसहस्त्रेभ्यः प्राज्ञ … Read more