संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok with hindi meaning
संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok with hindi meaning त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागमम्। कुरु पुण्यमहोरात्रं नित्यमनित्यताम्॥ खलका सङ्ग छोड़, साधुकी सङ्गति कर, दिनरात पुण्य किया कर, संसार अनित्य है-इस प्रकार निरन्तर विचार करता रह ॥ दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्। सत्यपूतां वदेद् वाचं मनःपूतं समाचरेत्॥ देख-भालकर पैर रखना चाहिये, कपड़ेसे छानकर पानी पीना … Read more