संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok with hindi meaning

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok with hindi meaning त्यज दुर्जनसंसर्ग भज साधुसमागमम्। कुरु पुण्यमहोरात्रं नित्यमनित्यताम्॥  खलका सङ्ग छोड़, साधुकी सङ्गति कर, दिनरात पुण्य किया कर, संसार अनित्य है-इस प्रकार निरन्तर विचार करता रह ॥ दृष्टिपूतं न्यसेत्पादं वस्त्रपूतं जलं पिबेत्। सत्यपूतां वदेद् वाचं मनःपूतं समाचरेत्॥ देख-भालकर पैर रखना चाहिये, कपड़ेसे छानकर पानी पीना … Read more

नीति श्लोक अर्थ सहित niti slokas in sanskrit with meaning

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

नीति श्लोक अर्थ सहित niti slokas in sanskrit with meaning अनेकसंशयोच्छेदि परोक्षार्थस्य दर्शनम्।  सर्वस्य लोचनं ज्ञानं यस्य नास्त्यन्ध एव सः॥ जो अनेकों सन्देहोंको दूर करनेवाला और परोक्ष अर्थको दिखानेवाला है, वह ज्ञान सभीका नेत्र है, जिसमें ज्ञान नहीं वह निरा अन्धा है॥ मनस्यन्यद् वचस्यन्यत् कर्मण्यन्यद् दुरात्मनाम्।  मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम्॥ दुष्टोंके मन, वचन एवं कर्ममें … Read more

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok arth sahit

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित sanskrit niti shlok arth sahit आदौ माता गुरोः पत्नी ब्राह्मणी राजपत्निका।  धेनुर्धात्री तथा पृथ्वी सप्तैता मातरः स्मृताः॥ अपनी जननी, गुरु-पत्नी, ब्राह्मण-पत्नी, राजपत्नी, गाय, धात्री (दूध पिलानेवाली दाई) और पृथ्वी-ये सात माताएँ कही गयी हैं ॥ आपदां कथितः पन्था इन्द्रियाणामसंयमः।  तज्जयः सम्पदा मार्गो येनेष्टं तेन गम्यताम्॥ इन्द्रियोंको वशमें नहीं लाना सब … Read more

नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8 अस्ति पुत्रो वशे यस्य भृत्यो भार्या तथैव च। अभावेऽप्यतिसन्तोषः स्वर्गस्थोऽसौ महीतले॥ स्त्री, पुत्र और नौकर जिसके वशमें हैं और जो अभावमें भी अत्यन्त सन्तुष्ट रहता है, वह पृथ्वीपर भी रहकर स्वर्गका सुख भोगता है॥ माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी।  अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम्॥ … Read more

नीति श्लोक 10 niti shlok in sanskrit

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

नीति श्लोक 10 niti shlok in sanskrit विद्या मित्रं प्रवासेषु माता मित्रं गृहेषु च।  व्याधितस्यौषधं मित्रं धर्मो मित्रं मृतस्य च॥ परदेशमें विद्या मित्र है, घरमें माता मित्र है, रोगीका औषध मित्र है और मृत व्यक्तिका धर्म मित्र है॥ न कश्चित् कस्यचिन्मित्रं न कश्चित् कस्यचिद्रिपुः।  व्यवहारेण जायन्ते मित्राणिमा रिपवस्तथा ॥ कोई किसीका मित्र नहीं और कोई … Read more

चाणक्य नीति श्लोक अर्थ सहित chanakya niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

चाणक्य नीति श्लोक अर्थ सहित chanakya niti shlok नीतिसूक्तिः विद्वत्त्वञ्च नृपत्वञ्च नैव तुल्यं कदाचन।स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥ विद्वत्ता और राजपद-इन दोनोंकी तुलना कदापि नहीं हो सकती; राजा अपने ही देशमें आदर पाता है, किन्तु विद्वान् सब जगह आदर पाता है॥ पण्डिते च गुणाः गुणाः सर्वे मूर्खे दोषा हि केवलम्।  तस्मान्मूर्खसहस्त्रेभ्यः प्राज्ञ एको विशिष्यते॥पण्डितोंमें … Read more

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok ka arth

संस्कृत नीति श्लोक sanskrit mein niti shlok

संस्कृत नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok ka arth नीतिसूक्तिः विद्वत्त्वञ्च नृपत्वञ्च नैव तुल्यं कदाचन। स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥ विद्वत्ता और राजपद-इन दोनोंकी तुलना कदापि नहीं हो सकती; राजा अपने ही देशमें आदर पाता है, किन्तु विद्वान् सब जगह आदर पाता है॥ पण्डिते च गुणाः गुणाः सर्वे मूर्खे दोषा हि केवलम्।  तस्मान्मूर्खसहस्त्रेभ्यः प्राज्ञ … Read more