Thursday, October 17, 2024
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govind damodar stotram lyrics / गोविन्द दामोदर स्तोत्र

govind damodar stotram lyrics / गोविन्द दामोदर स्तोत्र

करार विन्दे न पदार विन्दम् ,
मुखार विन्दे विनिवेश यन्तम् । 
वटस्य पत्रस्य पुटे शयानम् ,
बालम् मुकुंदम् मनसा स्मरामि ॥ १ ॥

वट वृक्ष के पत्तो पर विश्राम करते हुए, कमल के समान कोमल पैरो को, कमल के समान हस्त से पकड़कर, अपने कमलरूपी मुख में धारण किया है, मैं उस बाल स्वरुप भगवान श्री कृष्ण को मन में धारण करता हूं ॥ १ ॥ 

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे,
हे नाथ नारायण वासुदेव ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ २ ॥

हे नाथ, मेरी जिह्वा सदैव केवल आपके विभिन्न नामो (कृष्ण, गोविन्द, दामोदर, माधव ….) का अमृतमय रसपान करती रहे ॥ २ ॥ 

govind damodar stotram lyrics / गोविन्द दामोदर स्तोत्र

विक्रेतु कामा किल गोप कन्या,
मुरारि – पदार्पित – चित्त – वृति ।
दध्यादिकम् मोहवशाद वोचद्,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ३  ॥ 

गोपिकाये दूध, दही, माखन बेचने की इच्छा से घर से चली तो है, किन्तु उनका चित्त बालमुकुन्द (मुरारि) के चरणारविन्द में इस प्रकार समर्पित हो गया है कि, प्रेम वश अपनी सुध – बुध भूलकर “दही  लो दही” के स्थान पर जोर – जोर से गोविन्द, दामोदर, माधव आदि पुकारने लगी है ॥ ३

गृहे गृहे गोप वधु कदम्बा,
सर्वे मिलित्व समवाप्य योगम् ।
पुण्यानी नामानि पठन्ति नित्यम्,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ४ ॥ 

घर – घर में गोपिकाएँ विभिन्न अवसरों पर एकत्र होकर, एक साथ मिलकर, सदैव इसी उत्तमोतम, पुण्यमय, श्री कृष्ण के नाम का स्मरण करती है, गोविन्द, दामोदर, माधव ॥ ४ ॥

govind damodar stotram lyrics / गोविन्द दामोदर स्तोत्र

सुखम् शयाना निलये निजेपि,
नामानि विष्णो प्रवदन्ति मर्त्याः ।
ते निश्चितम् तनमय – ताम व्रजन्ति,
गोविन्द दामोदर माधवेति  ॥ ५ ॥

साधारण मनुष्य अपने घर पर आराम करते हुए भी, भगवान श्री कृष्ण के इन नामो, गोविन्द, दामोदर, माधव का स्मरण करता है, वह निश्चित रूप से ही, भगवान के स्वरुप को प्राप्त होता है ॥ ५ ॥

जिह्वे सदैवम् भज सुंदरानी, 
नामानि कृष्णस्य मनोहरानी । 
समस्त भक्तार्ति विनाशनानि,
गोविन्द दामोदर माधवेति  ॥ ६ ॥

है जिह्वा, तू भगवान श्री कृष्ण के सुन्दर और मनोहर इन्हीं नामो, गोविन्द, दामोदर, माधव का स्मरण कर, जो भक्तों की समस्त बाधाओं का नाश करने वाले हैं ॥ ६ ॥ 

govind damodar stotram lyrics / गोविन्द दामोदर स्तोत्र

सुखावसाने इदमेव सारम्,
दुःखावसाने इद्मेव गेयम् । 
देहावसाने इदमेव जाप्यं,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ७ ॥

सुख के अन्त में यही सार है, दुःख के अन्त में यही गाने योग्य है, और शरीर का अन्त होने के समय यही जपने योग्य है, हे गोविन्द ! हे दामोदर ! हे माधव ॥ ७ ॥

श्री कृष्ण राधावर गोकुलेश,
गोपाल गोवर्धन – नाथ विष्णो ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ८ ॥

हे जिह्वा तू इन्हीं अमृतमय नामों का रसपान कर, श्री कृष्ण ,अतिप्रिय राधारानी, गोकुल के स्वामी गोपाल, गोवर्धननाथ,  श्री विष्णु, गोविन्द, दामोदर, और माधव ॥ ८ ॥

govind damodar stotram lyrics / गोविन्द दामोदर स्तोत्र

जिह्वे रसज्ञे मधुर – प्रियात्वं,

सत्यम हितम् त्वां परं वदामि ।

आवर्णयेता मधुराक्षराणि,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ९ ॥

हे जिह्वा, तुझे विभिन्न प्रकार के मिष्ठान प्रिय है, जो कि स्वाद में भिन्न – भिन्न है। मैं तुझे एक परम् सत्य कहता हूँ, जो की तेरे परम हित में है। केवल प्रभु के इन्हीं मधुर (मीठे) , अमृतमय नामों का रसास्वादन कर, गोविन्द , दामोदर , माधव ॥ ९ ॥

त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे,
समागते दण्ड – धरे कृतान्ते ।
वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या ,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ १० ॥

हे जिह्वा, मेरी तुझसे यही प्रार्थना है, जब मेरा अंत समय आए, उस समय सम्पूर्ण समर्पण से इन्हीं मधुर नामों लेना , गोविन्द , दामोदर , माधव ॥ १० ॥

श्री नाथ विश्वेश्वर विश्व मूर्ते,
श्री देवकी – नन्दन दैत्य – शत्रो ।
जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव,
गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ ११ ॥

हे प्रभु , सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी , विश्व के स्वरुप , देवकी नन्दन , दैत्यों के शत्रु , मेरी जिह्वा सदैव आपके अमृतमय नामों गोविन्द , दामोदर , माधव का रसपान करती है ॥ ११ ॥

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