सम्पूर्ण भागवत कथा हिंदी bhagwat katha hindi lyrics
भाग-1
माहात्म्य
[ अथ प्रथमो अध्यायः ]
चिद् चैतन समस्त सृष्टि के जीव मात्र ये भी भगवान का ही रूप हैं
स्वयं भगवान आनंद स्वरूप हैं इस प्रकार भगवान श्रीमन्नारायण चैतन की अधिष्ठात्री श्री देवी तथा जड़त्व की अधिष्ठात्री भू देवी दोनों महा शक्तियों को धारण किए हुए हैं यह भगवान का स्वरूप है | दूसरे चरण में भगवान के गुणों का वर्णन है विश्वोत्पत्यादि हेतवे समस्त सृष्टि को बनाने वाले उसका पालन करने वाले तथा अंत में उसे समेट लेने वाले भगवान श्रीमन्नारायण है यह भगवान का गुण है |तीसरे चरण में तापत्रय विनाशाय आज सारा संसार दैहिक दैविक भौतिक इन तीनों तापों से त्रस्त है और कोई शारीरिक व्याधियों से घिरा है , कोई दैविक विपत्तियों में फंसा है तो कोई भौतिक सुख सुविधाओं के अभाव में जल रहा है |किंतु परमात्मा-
भगवान श्रीमन्नारायण अपने भक्तों के तापों को दूर करते हैं
यही भगवान की लीला है | चौथे चरण में भगवान का नाम है श्री कृष्णाय वयं नुमः हम सब उस परमात्मा भगवान श्री कृष्ण को नमस्कार करते हैं | इस प्रकार श्री सूतजी ने कथा से पूर्व भगवान का स्मरण किया तो उन्हें याद आया कि बिना गुरु के तो भगवान भी कृपा नहीं करते तो उन्होंने अगले श्लोक में गुरु को स्मरण किया |
सूत जी द्वारा इस प्रकार मंगलाचरण करने के बाद श्रोताओं में प्रमुख श्रीसौनक जी बोले–
सम्पूर्ण भागवत कथा हिंदी bhagwat katha hindi lyrics
उस समय देवताओं ने अमृत के बदले इसे लेने के लिए प्रयास किया था
किंतु सफल नहीं हुए भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है एक बार विधाता ने सत्य लोक में तराजू बांधकर तोला तो भागवत के सामने सारे ग्रंथ हल्के पड़ गए | यह कथा पहले शनकादि ऋषियों ने नारदजी को सुनाई थी, इस पर शौनक जी बोले संसार प्रपंचो से दूर कभी एक जगह नहीं ठहरने वाले नारद जी ने कैसे यह कथा सुनी | सो कृपा करके बताएं तब सूतजी बोले एक बार विशालापुरी में शनकादि ऋषियों को नारद जी मिले, नारदजी को देखकर बोले आपका मुख उदास है क्या कारण है ?
इति प्रथमो अध्यायः
सम्पूर्ण भागवत कथा हिंदी bhagwat katha hindi lyrics
[ अथ द्वितीयो अध्यायः ]
हे मुनि सत्कर्म करो संत जन तुम्हें इसका उपाय बताएंगे ,
तभी से मैं तीर्थों में भ्रमण करता हुआ संतो से पूछता हुआ यहां आया हूं, यहां सौभाग्य से आपके दर्शन हुए अब आप कृपा करके बताएं ज्ञान बैराग व भक्ति का दुख कैसे दूर होगा ? कुमार बोले हे नारद आप चिंता ना करें उपाय तो सरल है उसे आप जानते भी हैं इस कलयुग में ही श्री शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को श्रीमद् भागवत कथा सुनाई थी वही ज्ञान बैराग के लिए उपाय है | इस पर नारद जी बोले सारे ग्रंथों का मूल तो वेद है , फिर श्रीमद्भागवत से उनके कष्ट की निवृत्ति कैसे होगी ? कुमार बोले–
मूल धूल में रहत है , शाखा में फल फूल
इति द्वितीयो अध्यायः
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