maili chadar lyrics मैली चादर ओढि के कैसे
\मैली चादर ओढ के कैसे द्वार तुम्हारे आऊ
हे पावन परमेश्वर मेरे मन ही मन शरमाऊ
तुमने मुझको जग में भेजा निर्मल देकर काया
आकर के संसार में मैंने इसको दाग लगाया
जनम जनम की मैली चादर कैसे दाग छुडाऊ
निर्मल वाडी पाकर तुझसे नाम न तेरा गाया
नयन मूद कर है परमेश्वर कभी न तुमको ध्याया
मन वीडा की तारें टूटी अव क्या गीत सुनाउ।
नेक कमाई करी न कोई जग की माया जोडी
जोड के नाते इस दुनियां के तुम संग प्रीती तोडी
करम गठरिया सिर पर रख कर पग भी चल न पाऊ
इन पैरौ से चलकर तेरे मन्दिर कभी न आया
जहां जहां हो पूजा तेरी कभी न शीश झुकाया
हे हरि हर में हार गया अब क्या हार चडाऊ
www.bhagwatkathanak.in // www.kathahindi.com