दृष्टांत महासागर drishtant mahasagar
दृष्टांत महासागर drishtant mahasagar माधवदास का श्री कृष्ण से सख्य भाव श्री माधव दास जी का भगवान श्री कृष्ण से सख्य भाव था, अतः भगवान उनसे विविध प्रकार के विनोद पूर्ण कौतुक किया करते थे । एक दिन जब आप भगवान का दर्शन करने लगे तो देखा कि भगवान कुछ उदास हैं, आपने पूछा प्रभु […]
bhagwat katha drishtant
bhagwat katha drishtant चींटी को कणभर हाथी को मनभर जो मनुष्य परमात्मा का सेवक बनकर स्वयं को उनको समर्पित कर देता है वह अपनी सभी इच्छायें, सुख-सुविधायें उनके भरोसे छोड़ देता है। वह समझ लेता है कि जिसने उसे यह मनुष्य की काया दी है, उसे क्या मेरी इच्छा और सुख-सुविधा को पूर्ण करने की […]
दृष्टांत कथाएं /धन्य है सत्पुरषों का संग
दृष्टांत कथाएं माधवदास जी द्वारा बृद्धा माता को पोता प्रदान करना। एक महात्मा थे श्री माधव दास जी महाराज, श्री वृंदावन धाम में निवास किया करते थे। एक बार श्री जगन्नाथ पुरी जा कर रहे तो वे नित्य भिक्षा के लिए जाते थे। नारायण हरि –भिक्षां देहि कहकर भिक्षा मांगा करते थे, लोग अपना सौभाग्य मानते थे। […]
prerak prasang rajeshwaranand ji धन्य है सत्पुरषों का संग
prerak prasang rajeshwaranand ji / दृष्टान्त- धन्य है सत्पुरषों का संग माधवदास जी द्वारा बृद्धा माता को पोता प्रदान करना। एक महात्मा थे श्री माधव दास जी महाराज, श्री वृंदावन धाम में निवास किया करते थे। एक बार श्री जगन्नाथ पुरी जा कर रहे तो वे नित्य भिक्षा के लिए जाते थे। नारायण हरि – भिक्षां […]
कहानी- सच्चे विश्वास के कारण बूढ़ी माता जी का गंगा नदी को पैदल पार करना
धार्मिक कहानियां dharmik kahani in hindi सच्चे विश्वास के कारण बूढ़ी माता जी का गंगा नदी को पैदल पार करना |[ सभी कहानियों की लिस्ट देखें ] एक गांव में एक वृद्ध माता रहती थी और वह गाय की सेवा करती थी और उसी गाय के दूध को बेचकर वह अपने घर का खर्च चलाती थी उसे […]
धार्मिक कहानी- माधवदास और श्री कृष्ण का कटहल की चोरी करना
श्री माधव दास जी का भगवान श्री कृष्ण से सख्य भाव था, अतः भगवान उनसे विविध प्रकार के विनोद पूर्ण कौतुक किया करते थे | एक दिन जब आप भगवान का दर्शन करने लगे तो देखा कि भगवान कुछ उदास हैं, आपने पूछा प्रभु आज आप कुछ उदास से प्रतीत हो रहे हैं क्या बात […]
कहानी जीवन की सच्चाई
दृष्टांत – ( 1 ) एक ब्राह्मण और एक सन्यासी सांसारिक और धार्मिक विषयों पर बातचीत करने लगे, सन्यासी ने ब्राह्मण से कहा बच्चा इस संसार में कोई किसी का नहीं है | ब्राह्मण इसको कैसे मान सकता था वह तो यही समझता था कि अरे मैं तो दिन रात अपने कुटुंब के लोगों के […]