Tuesday, September 17, 2024
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Bhagwat Katha Vachak सुप्रसिद्ध कथावाचक:- आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज ( संकर्षण रामानुज दास )

Bhagwat Katha Vachak सुप्रसिद्ध कथावाचक:-आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज ( संकर्षण रामानुज दास )

 सुप्रसिद्ध कथावाचक एवं प्रशिक्षक:-

आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज ( संकर्षण रामानुज दास )भागवत पुराण, शिव पुराण, श्री राम कथा के सरस प्रवक्ता ।

 
 
 
 

कथा का आयोजन करवाने के लिए महाराज श्री से संपर्क करें- 8368032114, 8516827975

महाराज श्री द्वारा प्रकाशित पुस्तक। 

                   

आपको बता दें कि आचार्य शिवम मिश्र जी महाराज भागवत कथा वाचन के साथ-सथ ,छात्रों को भागवत पुराण, शिव पुराण, श्री राम कथा की शिक्षा भी प्रदान करते आ रहे हैं।

 
 

[ श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र ] #Ram_deshik_prashikshan_kendra

Bhagwat Katha Vachak सुप्रसिद्ध कथावाचक:-आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज ( संकर्षण रामानुज दास )

हमारे ऋषि-मुनियों की कृपा से विश्व को अठारह पुराण प्राप्त हुए हैं |
जिनमें से श्रीमद् भागवत महापुराण एक अनुपम पुराण है,, भगवत प्राप्ति कराने वाला है यह पुराणों में तिलक के रूप में जाना जाता है |

इस श्रीमद् भागवत महापुराण का निर्माण महर्षि वेदव्यास जी द्वारा तीसरे युग द्वापर के अंत में किया गया है |

वेदव्यास जी त्रिकालज्ञ थे वह भूत भविष्य वर्तमान को जानने वाले थे, उन्होंने देखा कि कलयुग में जो आने वाला समय है वह प्राणियों का कल्याण के लिए बड़ा दुर्लभ समय आने वाला है | श्री वेदव्यास जी ने कृपा करके कलयुगी प्राणियों को भगवत प्राप्ति कराने का मार्ग अपनी लेखनी द्वारा निकाला |उन्होंने सर्वप्रथम  महाभारत नामक इतिहास को लिखा जिसमें एक लाख श्लोक हैं, जोकि विश्व का पहला इतिहास है और सबसे बड़ा |

उसके बाद उन्होंने वेद के चार भाग किए अन्य पुराणों की रचना की लेकिन उनके आत्मा को शांति नहीं मिली इन सबकी रचना करने के बाद भी |
उनके हृदय मे अशांति थी तब देवर्षि नारद आए और उन्होंने अशांति के कारण को बतलाया कि आपने ग्रंथों में धर्म अर्थ काम मोक्ष इन चारो पुरुषार्थों का वर्णन किया है, परंतु आपने किसी भी ग्रंथ में भगवान की सुंदर मधुर लीलाओं की रचना नहीं की |
व्यास जी कोई काम निष्काम भले ही हो लेकिन वह भगवान की लीलाओं से परे हो तो उसकी सार्थकता नहीं होती |

हो ना हो वेदव्यास जी आपके दुख का यही कारण है इसलिए आप अपने दिव्य दृष्टि से भगवान की लीलाओं को देखिए और अपनी लेखनी के द्वारा ग्रंथ का निर्माण करके जगत का कल्याण करिए |

तब श्री वेदव्यास जी ने परमहंसो की पावन संहिता यह श्रीमद् भागवत महापुराण की रचना की और फिर अपने पुत्र श्री सुकदेव जी को उत्तम अधिकारी जानकर उन्हें पढ़ाया |

वही श्री सुकदेव जी महाराज राजा परीक्षित को इस दिव्य ज्ञान को प्रदान करते हैं ,,

भागवत महापुराण में भगवान के सुंदर सुंदर चरित्रों का और उनके भक्तों के चरित्रों का वर्णन किया गया है जिसके श्रवण मात्र से जीवो के अंतर्गत पाप जलकर नष्ट हो जाते हैं और वह भगवत धाम के अधिकारी हो जाते हैं |

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