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shri bhagwat katha story hindi
श्री मद भागवत महापुराण सप्ताहिक कथा
( अथ अष्टादशो अध्याय: )
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प्रश्न का उत्तर देने के अधिकारी तो अभी आने की तैयारी में है , जब श्रोता परीक्षित के जन्म की कथा भागवत में है | वक्ता श्री सुकदेव जी के जन्म की कथा नहीं है , फिर भी विद्वान जन अन्य संहिताओं के आधार पर सुनाते हैं जो यहां दी जा रही है |
वह भी आपको अकेली छोड़कर ना जाने कहां चले जाते हैं,
लगता है आपके प्रति उनका सच्चा प्रेम नहीं है | पार्वती बोली यह बात मैंने उन से पूछी थी उन्होंने बताया कि वे मुझे इतना चाहते हैं कि मेरे एक सौ आठ जन्मों के सिरों की माला बनाकर अपने गले में धारण करते हैं |
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बोली यह बात तो कभी मेरे ध्यान में ही नहीं आई अब मैं इस रहस्य को जानकर रहूंगी नारद जी तो चले गए | शिव जी के आने पर यह रहस्य शिव जी से पूछा पहले तो शिव जी ने बताने मैं आना कानी की किंतु जब पार्वती ने हट किया तो उन्होंने अमर कथा सुनाने का निश्चय किया और पार्वती को लेकर अमरनाथ क्षेत्र में आ गए ,shri bhagwat katha story hindi उन्होंने तीन ताली बजाकर पशु ,पक्षी को वहां से भगा दिया और पार्वती वहां अमर कथा सुनने लगी शिव जी ने समाधि लगाकर ज्यों ही कथा कहना प्रारंभ किया पार्वती को नींद आ गई पेड़ में तोते का अंडा था जिसमें से बच्चा निकल कर सुनने लगा और बीच-बीच मे हूंकार भी भरने लगा | कथा पूर्ण हुई शिव जी की समाधि खुली देखा पार्वती तो सो रही हैं,
फिर कथा किसने सुनी इतने में तोते का बच्चा पंख फड़फड़ कर उड़ गया |
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वहां से उड़कर राधा जी की शरण मैं गया माता अपने बिछड़े हुए पुत्र को पहचान गई अपने हस्त कमल पर बैठाया और कृपा कर कृष्ण मंत्र दिया सुकदेव सनाथ हो गए वे वहां से उड़कर व्यास आश्रम में जहां व्यास पत्नी चतुर्थ दिन का स्नान कर बैठी थी | उन्हें जम्हाई आई और सुकदेव मुख मार्ग से उनके गर्भ मैं प्रवेश कर गए और बारह वर्ष तक गर्भ से बाहर नहीं आए |