वराह अवतार की कथा / varaha avatar story

भक्तमाल bhaktamal katha

वराह अवतार की कथा / varaha avatar story (२) श्रीवराह-अवतारकी कथा- ब्रह्मासे सृष्टिक्रम प्रारम्भ करनेकी आज्ञा पाये हुए स्वायम्भुव मनुने पृथ्वीको प्रलयके एकार्णवमें डूबी हुई देखकर उनसे प्रार्थना की कि आप मेरे और मेरी प्रजाके रहनेके लिये पृथ्वीके उद्धारका प्रयत्न करें, जिससे मैं आपकी आज्ञाका पालन कर सकूँ। ब्रह्माजी इस विचारमें पड़कर कि पृथ्वी तो … Read more

श्रीनाभाजीका चरित्र वर्णन bhaktamal katha

भक्तमाल bhaktamal katha

श्रीनाभाजीका चरित्र वर्णन bhaktamal katha हनूमान वंश ही में जनम प्रशंस जाको भयो दृगहीन सो नवीन बात धारिये। उमरि बरष पाँच मानि कै अकाल आँच माता वन छोड़ि गयी विपति विचारिये॥ कील्ह और अगर ताहि डगर दरश दियो लियो यों अनाथ जानि पूछी सो उचारिये। बड़े सिद्ध जल लै कमण्डलु सों सींचे नैन चैन भयो … Read more

भक्तमालकी रचनाके लिये श्रीनाभाजीको आज्ञा प्राप्त होना bhaktamal katha

भक्तमाल bhaktamal katha

भक्तमालकी रचनाके लिये श्रीनाभाजीको आज्ञा प्राप्त होना bhaktamal katha मानसी स्वरूप में लगे हैं अग्रदास जू वै करत बयार नाभा मधुर सँभार सों। चढ्यो हो जहाज पै जु शिष्य एक आपदा में कस्यौ ध्यान खिच्यो मन छूट्यो रूप सार सों। कहत समर्थ गयो बोहित बहुत दूरि आवो छबि पूरि फिर ढरो ताहि ढार सों। लोचन … Read more

भक्तमालके मंगलाचरणकी भक्तिरसबोधिनी टीका bhaktamal katha

भक्तमाल bhaktamal katha

भक्तमालके मंगलाचरणकी भक्तिरसबोधिनी टीका bhaktamal katha हरि गुरु दासनि सों साँचो सोई भक्त सही गही एक टेक फेरि उर ते न टरी है। भक्ति रस रूप को स्वरूप यहै छबिसार चारु हरिनाम लेत अँसुवन झरी है। वही भगवन्त सन्त प्रीति को विचार करै, धरै दूरि ईशता हू पांडुन सो करी है। गुरु गुरुताई की सचाई … Read more

भक्तमाल माहात्म्यवर्णन bhaktamal mahatmya katha

भक्तमाल bhaktamal katha

भक्तमाल माहात्म्यवर्णन bhaktamal mahatmya katha बड़े भक्तिमान, निशिदिन गुणगान करैं हरै जगपाप, जाप हियो परिपूर है। जानि सुख मानि हरिसंत सनमान सचे बचेऊ जगतरीति, प्रीति जानी मूर है तऊ दुराराध्य, कोऊ कैसे कै अराधि सकै, समझो न जात, मन कंप भयो चूर है। । शोभित तिलक भाल माल उर राजै, ऐ पै बिना भक्तमाल भक्तिरूप अति … Read more

भक्तमाल-स्वरूपवर्णन bhaktamal katha

भक्तमाल bhaktamal katha

भक्तमाल-स्वरूपवर्णन bhaktamal katha  जाको जो स्वरूप सो अनूप लै दिखाय दियो, कियो यों कवित्त पट मिहिं मध्य लाल है। गुण पै अपार साधु कहैं आँक चारि ही में, अर्थ विस्तार कविराज टकसाल है। सुनि संत सभा झूमि रही, अलि श्रेणी मानो, घूमि रही, कहैं यह कहा धौं रसाल है। सुने हे अगर अब जाने मैं … Read more

संतसंगके प्रभावका वर्णन bhaktamal katha

भक्तमाल bhaktamal katha

संतसंगके प्रभावका वर्णन bhaktamal katha भक्ति तरु पौधा ताहि विघ्न डर छेरीहू कौ, वारिदै बिचारि वारि सींच्यो सत्संग सों। लाग्योई बढ़न, गोंदा चहुँदिशि कढ़न सो चढ़न अकाश, यश फैल्यो बहुरंग सों॥ संत उर आल बाल शोभित विशाल छाया, जिये जीव जाल, ताप गये यों प्रसंग सों। देखौ बढ़वारि जाहि अजाहू की शंका हुती, ताहि पेड़ … Read more

भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha

भक्तमाल bhaktamal katha

भक्तमालकी महिमा bhaktamal katha पंच रस सोई पंच रंग फूल थाके नीके, पीके पहिराइवे को रचिकै बनाई है। वैजयन्ती दाम भाववती अलि ‘नाभा’, नाम लाई अभिराम श्याम मति ललचाई है। धारी उर प्यारी, किहूँ करत न न्यारी, अहो! देखौ गति न्यारी ढरिपायनको आई है। भक्ति छबिभार, ताते, नमितश्रृंगार होत, होत वश लखै जोई याते जानि … Read more

भक्तिरसबोधिनी टीकाकी महिमा bhaktamal katha

भक्तमाल bhaktamal katha

भक्तिरसबोधिनी टीकाकी महिमा bhaktamal katha शान्त, दास्य, सख्य, वात्सल्य, औ श्रृंगारु चारु, पाँचों रस सार विस्तार नीके गाये हैं। टीका को चमत्कार जानौगे विचारि मन, इनके स्वरूप मैं अनूप लै दिखाये हैं। जिनके न अश्रुपात पुलकित गात कभू, तिनहूँ को भाव सिंधु बोरि सो छकाये हैं। जौलौं रहैं दूर रहैं विमुखता पूर हियो, होय चूर … Read more