Friday, October 18, 2024
Homeneeti shlokaनीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

अस्ति पुत्रो वशे यस्य भृत्यो भार्या तथैव च।
अभावेऽप्यतिसन्तोषः स्वर्गस्थोऽसौ महीतले॥

स्त्री, पुत्र और नौकर जिसके वशमें हैं और जो अभावमें भी अत्यन्त सन्तुष्ट रहता है, वह पृथ्वीपर भी रहकर स्वर्गका सुख भोगता है॥
niti shlok meaning
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माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी। 
अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम्॥

जिसके घरमें माता नहीं [अर्थात् जिसकी माता मर गयी है और जिसकी स्त्री कटुवचन बोलनेवाली है, उसको वनमें जाना ही उचित है, क्योंकि उसके लिये जैसा वन है वैसा ही घर भी है।।
niti shlok kise kahate hain
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कोकिलानां स्वरो रूपं नारीरूपं पतिव्रतम्। 

विद्या रूपं कुरूपाणां क्षमा रूपं तपस्विनाम्॥

कोयलोंकी सुन्दरता स्वर है, स्त्रीका सौन्दर्य सतीत्व है, कुरूपका रूप उसकी विद्या है और तपस्वीका सौन्दर्य क्षमा है॥
niti shlok kise kahate hain
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नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

गुरुरग्निर्द्विजातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः।

पतिरेको गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः॥

अग्नि द्विजाति (ब्राह्मण) का गुरु है, ब्राह्मण सब वर्णोंका गुरु है, स्त्रियोंका एकमात्र पति ही गुरु है और अतिथि सबका गुरु है ॥
niti shlok mein kitne shlok hai
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स जीवति गुणा यस्य धर्मो यस्य च जीवति।

गुणधर्मविहीनस्य जीवनं निष्प्रयोजनम् ॥

जिसके गुण और धर्म जीवित हैं वह वास्तवमें जी रहा है, गुण और धर्मरहित व्यक्तिका जीवन निरर्थक है॥
niti shlok arth sahit
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नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

दुर्लभं प्राकृतं मित्रं दुर्लभः क्षेमकृत्  सुतः।
दुर्लभा सदृशी भार्या दुर्लभः स्वजन: प्रियः॥
 स्वाभाविक मित्र, हितकारी पुत्र , मनके अनुकूल स्त्री और प्रियतम कुटुम्बी > मिलना दुर्लभ है॥
niti shlok bataiye
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साधूनां दर्शनं पुण्यं तीर्थभूता हि साधवः। 
तीर्थ फलति कालेन सद्यः साधुसमागमः॥
साधुओंका दर्शन पावन है, क्योंकि वे तीर्थस्वरूप होते हैं, तीर्थका फल तो देरसे मिलता है परन्तु साधुसमागमका फल तत्काल प्राप्त होता है ॥
niti slokas in sanskrit with meaning
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सत्सङ्गः केशवे भक्तिर्गङ्गाम्भसि निमज्जनम्। 
असारे खलु संसारे त्रीणि साराणि भावयेत्॥
इस असार संसारमें साधु-सङ्गति, ईश्वर- भक्ति और गङ्गा-स्नान-इन तीनों को ही सार समझना चाहिये ॥
niti shlok class 8
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नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

शान्तितुल्यं तपो नास्ति न सन्तोषात् परं सुखम्। 
न तृष्णायाः परो व्याधिन धर्मों दयासमः॥
 शान्तिके समान तप नहीं, सन्तोषके समान सुख नहीं, लोभके सदृश रोग नहीं और दयाके समान धर्म नहीं है ॥
niti shlok class 7
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नीति श्लोक अर्थ सहित niti shlok sanskrit class 8

अन्नदाता भयत्राता विद्यादाता तथैव च। 
जनिता चोपनेता च पञ्चैते पितरः स्मृताः॥
अन्न देनेवाला, भयसे बचानेवाला, विद्या पढ़ानेवाला, जन्म देनेवाला और यज्ञोपवीत आदि संस्कार करानेवाला-ये पाँच पिता कहे जाते हैं ।
niti sloka class 10
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