सोमवार व्रत कथा लिरिक्स Somvar vrat katha lyrics

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सोमवार व्रत कथा लिरिक्स Somvar vrat katha lyrics सोमवार व्रत धारण करने की कथा सोमवार का व्रत चैत्र, वैशाख, श्रावण, मार्गशीर्ष व कार्तिक मास में प्रारम्भ किया जाता है। साधारणतः श्रावण मास में सोमवार व्रत का विशेष प्रचलन है। भविष्यपुराण का मत है कि चैत्र शुक्ल अष्टमी को सोमवार और आद्रा नक्षत्र हो तो उस … Read more

सोमवार व्रत कथा इन हिंदी Somvar vrat katha pdf

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सोमवार व्रत कथा इन हिंदी Somvar vrat katha pdf सोमवार व्रत धारण करने की कथा सोमवार का व्रत चैत्र, वैशाख, श्रावण, मार्गशीर्ष व कार्तिक मास में प्रारम्भ किया जाता है। साधारणतः श्रावण मास में सोमवार व्रत का विशेष प्रचलन है। भविष्यपुराण का मत है कि चैत्र शुक्ल अष्टमी को सोमवार और आद्रा नक्षत्र हो तो … Read more

सत्यनारायण व्रत कथा संस्कृत हिन्दी सम्पूर्ण satyanarayan katha sanskrit with hindi lyrics

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सत्यनारायण व्रत कथा संस्कृत हिन्दी सम्पूर्ण satyanarayan katha sanskrit with hindi lyrics satyanarayan katha pdf free download पहला अध्याय एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूत जी से कहा-हे प्रभु! इस कलियुग में वेद-विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा ? हे मुनि श्रेष्ठ ! … Read more

satyanarayan katha pdf श्री सत्यनारायण व्रत कथा

सत्यनारायण व्रत कथा संस्कृत हिन्दी सम्पूर्ण satyanarayan katha sanskrit with hindi lyrics

satyanarayan katha pdf श्री सत्यनारायण व्रत कथा satyanarayan katha pdf free download पहला अध्याय एक समय नैमिषारण्य तीर्थ में शौनकादि अट्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूत जी से कहा-हे प्रभु! इस कलियुग में वेद-विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा ? हे मुनि श्रेष्ठ ! कोई ऐसा तप कहिए जिससे … Read more

3/ shrimad bhagwat katha in hindi श्रीमद् भागवत कथा

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shrimad bhagwat katha in hindi श्रीमद् भागवत कथा अमर कथा इसी भागवत कथा को सुनकर श्री शंकर जी अमर हैं। अतः इस भागवत कथा को अमरकथा भी कहा जाता है। इसी अमर कथा को एक समय श्री कर जी ने अपनी पत्नी पार्वती को सुनाया था, परन्तु श्रीपार्वती जी इस अमरकथा को पूरा-पूरा नहीं सुन … Read more

2/bhagwat katha in hindi श्रीमद् भागवत कथा

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bhagwat katha in hindi  श्रीमद् भागवत कथा यह श्रीमद्भागवत “विद्यावतां भागवते परीक्षा – विद्वान् की पहचान या परीक्षा का भी सूचक है। इसी श्रीमद् भागवत रूपी अमर कथा को सुनकर श्री महर्षि वेदव्यासजी ने शान्ति प्राप्त की थी । अर्थात श्रीव्यास जी ने श्रीमद्भागवत की रचना जब तक नहीं की थी तब तक उनका चित्त … Read more

भागवत कथा का पहला दिन bhagwat katha pratham din

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( भागवत कथानक -1 सप्ताहिक कथा )

परम मंगलमय ,परमपिता परमात्मा,,श्री राधा गोविंद सरकार राधारमण बाधा हरण श्री बांके बिहारी लाल उनका वाङ्गमय, शब्दमय विग्रह श्रीमद्भागवत महापुराण कोटि-कोटि नमन कोटि-कोटि प्रणाम इस परम पावन पुराण ग्रंथ को, परमाराध्याराध्य श्रीमद् यादवेंद्र पुरी स्वामीवर्य श्री गोविंद गोपकुल भूषण नंद नंदन यशोदानंदवर्धन लीला पुरुषोत्तम नंद नंदन यशोदा नंदन व्रजजन रंजन देवकी नंदन श्याम सुंदर श्री कृष्ण के पाद पद्मो पर कोटिशः नमन नतमस्तक वंदन एवं अभिनंदन, उनकी आह्लादिनी शक्ति कृष्णप्राणप्रिया जगत बंदनी वृषभानु नंदिनी भाश्वती जगदीश्वरी बरसाने वाली श्री किशोरी जी के पावन चरणारविंदो पर प्रणति, समस्त भूतादिक-

सयराम मय सब जग जानी करहु प्रणाम जोर जुग पानी ।।

समुपस्थित  भगवत भक्त  भागवत कथा अनुरागी सज्जनों  भक्तिमई  मातृशक्ति भगनी बांधवो, भगवच्चरणचञ्चरीक भगवत्पादारविन्दमकरंद रस पिपासु सुधीजन भूविभावुक रसिक वृन्दजन हम सब का यह परम सौभाग्य ही है कि भगवान की सुंदर यह सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा पर सम्मिलित होकर इस भागवती गंगा पर गोता लगाने का अवसर प्राप्त हुआ है। जीवन में ऐसा क्षण बड़े ही पुण्य से मिलने वाला होता है।

एक बार जब श्रीलक्ष्मी जी ने संसारी जीवों के कल्याण के लिए प्रभु से पूछा तो प्रभु ने श्रीलक्ष्मी जी से कहा कि यह श्रीमद्भागवत कथा ही सबसे सुगम और सरल कल्याण का उपाय है। इसी भागवत कथा को एकबार ब्रह्माजी के पूछने पर प्रभु ने उन्हें भी उपदेश दिया था। इसी कथा को भगवान् श्रीमन्नारायण से प्राप्तकर श्रीशंकर जी ने श्री पार्वती जी को सुनाया था।

इसी कथा को अनुसंधान कर बारहों आदित्य, आदि अपना कार्य करते हैं। इसी कथा को एकबार सनकादियों ने भगवान् से सुना था तथा उन्हीं सनकादियों ने ब्रह्माजी से भी इसी कथा को पुनः सुना था। इसी कथा को एक बार श्रीनारदजी ने भगवान् से सुना था तथा पुनः ब्रह्माजी से भी सुना एवं फिर इसी कथा को श्री नारद जी ने सन्नकादियों से हरिद्वार में अनुष्ठान के रूप में सुना था।

इसी कथा को श्री नारद जी ने व्यास जी को सुनाया था एवं इसी कथा को व्यास जी ने अपने पुत्र श्री शुकदेव जी को पढाया था इसी कथा को एक बार गोकर्ण जी ने अपने भाई धुन्धकारी के कल्याण के निमित सुनाया।

इसी कथा को श्री शुकदेव जी ने महाराज परीक्षित् को सुनाया और इसी कथा को रोमहर्षण सुत के पुत्र श्रीउग्रश्रवा सूत ने शौनकादि, ऋषियों को नैमिषारण्य में सुनाया। इस प्रकार इस कथा को जगत् में सुनने और सुनाने की परम्परा आज भी कायम है। यह श्रीमद्भागवत पंचम वेद भी है।

इतिहासपुराणानि पंचमो वेद उच्यते”

भागवत कथा का पहला दिन bhagwat katha pratham din

अर्थात् इतिहास और पुराण भी पंचमवेद हैं । अतः यह श्री भागवत इतिहास भी है और पुराण भी है।

उस श्रीमद्भागवत कथा की महिमा को जानने हेतु एक बार श्री ब्रह्माजी ने भगवान् श्रीमन्नारायण से संसारी जीवों की मुक्ति हेतु सहज उपाय पूछा तो प्रभु ने कहा- हे ब्रह्माजी, हमारी प्रसन्नता एवं प्राप्ति या हमारे सन्तोष के लिए श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा ही केवल है।

‘‘श्रीमद्भागवतम् नाम पुराणम् लोकविश्रुतम् ।

इस “श्रीमद्भागवतमहापुराण कथा’ का मतलब होता है कि :श्री+मद्+भा–ग–व–त,+महा+पुराण, +क-था यानी श्रीमद् शब्द का अर्थ – “श्री” श्री ईश्वरभक्ति-वाचकः अर्थात् महालक्ष्मी (राधा) वाचक है। “मद” शब्दः सर्वगुणसम्पन्नतावाचकः अर्थात् परमात्मा के समस्त गुणों जैसे:दया, कृपा इत्यादि से सुशोभित होने का वाचक होता है। “भागवत” शब्द का अर्थ-

भाशब्दः कीर्तिवचनो, गशब्दो ज्ञानवाचकः,

सर्वाभीष्टवचनो वश्च त विस्तारस्य वाचकः

(भा माने कीर्ति, ग माने ज्ञान, व माने सर्वाभीष्ट अर्थात् अर्थ, धर्म काम मोक्ष इन चारों को देने वाला सूचक है। “त” माने विस्तार का वाचक है। अतः इसका वास्तविक अर्थ है कि जो कीर्ति, ज्ञान सहित अर्थ धर्म-काम-मोक्ष को विस्तार से सन्तुष्ट और पुष्ट करके हमेशा हमेशा के लिए अपने चरणों में भक्ति प्राप्त कराता है वह “भागवत” है।

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आगे महापुराण शब्द का अर्थ होता है कि “महा” माने सभी प्रकार से और सभी में श्रेष्ठ जो हो वह “महा” कहलाता है एवं “पुराण” का मतलब होता है कि जो लेखनी-ग्रन्थ- कथा या फल देने वालों में प्राचीन हो या जो लेखनी ग्रन्थ – कथा के रूप में पुराना हो परन्तु जगत् के जीवों को हमेशा नया ज्ञान, शान्ति एवं आनन्द देते हुए नया या सरल जीवन का उपेदश देते हुए सनातन प्रभु से सम्बन्ध जोड़ता है वह “पुराण” है।

“कथा” का मतलब होता है कि “क” माने सुख या परमात्मा के सान्निध्य में निवास के सुख की अनुभूति “था” माने स्थापित करा दे वह “कथा” है। तात्पर्य जो जगत् मे रहने पर परमात्मा की अनुभूति की स्थपना करा दे या परमात्मा के तत्व का ज्ञान कराकर परमात्मा से सम्बन्ध जोड़ दे एवं शरीर त्यागने पर उन परमात्मा के दिव्य सान्निध्य में पहुँचाकर परमात्मा की सायुज्य मुक्ति यानी प्रभु के श्रीचरणों में विलय करा दे उसे “कथा’ कहते हैं।

इसके साथ-साथ श्रीमद्भागवत कथा का अर्थ है कि जो श्री वैष्णव भक्ति का उद्गम ग्रन्थ हो उसे श्रीमद्भागवत कहते हैं।

श्री वैष्णव भक्ति का उद्गम ग्रंथ है।

स्वयं श्री भगवान् के मुख से प्रकट ग्रंथ है। पंचम वेद है।

वेदों एवं उपनिषदों का सार है।

भगवत् रस सिन्धु है ।

ज्ञान वैराग्य और भक्ति का घर या प्रसूति है 1

भगवत् तत्त्व को प्रभासित करने वाला अलौकिक प्रकाशपुंज है ।

मृत्यु को भी मंगलमय बनाने वाला है। विशुद्ध प्रेमशास्त्र है।

मानवजीवन को भागवत बनाने वाला है।

व्यक्ति को व्यक्ति एवं समाज को सभ्यता संस्कृति संस्कार देने वाला है। आध्यात्मिक रस वितरण का प्याऊ है।

परम सत्य की अनुभूति कराने वाला है।

काल या मृत्यु के भय से मुक्त करने वाला है ।

यह श्रीमद् भागवत कथा भगवान् का वाङ्मयस्वरूप है अथवा यह श्रीमद् भागवत भगवान् की प्रत्यक्ष मूर्ति है ।

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bhagwat katha pdf/16भागवत कथा( पंचम स्कन्ध ) ( अथ अष्टमो अध्यायः ) नरसिंह भगवान का प्रादुर्भाव हिरण्यकश्यप का वध ब्रह्मादिक देवताओं द्वारा भगवान की स्तुति- प्रहलाद जी की बात सुन सब दैत्य बालक भगवान के भक्त बन गए और गुरु जी की शिक्षा का सब ने बहिष्कार कर दिया तब तो गुरु पुत्र घबराए और … Read more