अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् vedokta ratri suktam
॥ अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् ॥
♦अथ सप्तश्लोकी दुर्गा ♦श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रम् ♦दुर्गासप्तशती पाठविधि ♦श्रीदेव्याः कवचम् ♦अथार्गलास्तोत्रम् ♦अथ कीलकम् ♦वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् ♦तन्त्रोक्तं रात्रिसूक्तम् ♦श्रीदेव्यथर्वशीर्षम् ♦प्रथमोऽध्यायः ♦द्वितीयोऽध्यायः ♦तृतीयोऽध्यायः ♦चतुर्थोऽध्यायः ♦पञ्चमोऽध्यायः ♦षष्ठोऽध्यायः ♦सप्तमोऽध्यायः ♦अष्टमोऽध्यायः ♦नवमोऽध्यायः ♦दशमोऽध्यायः ♦एकादशोऽध्यायः ♦द्वादशोऽध्यायः ♦त्रयोदशोऽध्यायः
ॐ रात्रीत्याद्यष्टर्चस्य सूक्तस्यकुशिकः सौभरो रात्रिर्वा
भारद्वाजो ऋषिः, रात्रिर्देवता,गायत्री छन्दः, देवीमाहात्म्यपाठे विनियोगः।
ॐ रात्री व्यख्यदायती पुरुत्रा देव्यक्षभिः।
विश्वा अधि श्रियोऽधित॥1॥
ओर्वप्रा अमर्त्यानिवतो देव्युद्वतः।
ज्योतिषा बाधते तमः॥2॥
निरु स्वसारमस्कृतोषसं देव्यायती।
अपेदु हासते तमः॥3॥
सा नो अद्य यस्या वयं नि ते यामन्नविक्ष्महि।
वृक्षे न वसतिं वयः॥4॥
नि ग्रामासो अविक्षत नि पद्वन्तो नि पक्षिणः।
नि श्येनासश्चिदर्थिनः॥5॥
यावया वृक्यं वृकं यवय स्तेनमूर्म्ये।
अथा नः सुतरा भव॥6॥
उप मा पेपिशत्तमः कृष्णं व्यक्तमस्थित।
उष ऋणेव यातय॥7॥
उप ते गा इवाकरं वृणीष्व दुहितर्दिवः।
रात्रि स्तोमं न जिग्युषे॥8॥
अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् vedokta ratri suktam
॥ Atha Vedoktam Ratrisuktam ॥
Om Ratrityadyashtarchasya SuktasyaKushikah Saubharo Ratrirva
Bharadvajo Rishih, Ratrirdevata,Gayatri Chhandah, Devimahatmyapathe Viniyogah।
Om Ratri Vyakhyadayati Purutra Devyakshabhih।
Vishva Adhi Shriyoadhita॥1॥
Orvapra Amartyanivato Devyudvatah।
Jyotisha Badhate Tamah॥2॥
Niru Svasaramaskritoshasam Devyayati।
Apedu Hasate Tamah॥3॥
Sa No Adya Yasya Vayam Ni Te Yamannavikshmahi।
Vrikshe Na Vasatim Vayah॥4॥
Ni Gramaso Avikshata Ni Padvanto Ni Pakshinah।
Ni Shyenasashchidarthinah॥5॥
Yavaya Vrikyam Vrikam Yavaya Stenamurmye।
Atha Nah Sutara Bhava॥6॥
Upa Ma Pepishattamah Krishnam Vyaktamasthita।
Usha Rineva Yataya॥7॥
Upa Te Ga Ivakaram Vrinishva Duhitardivah।
Ratri Stomam Na Jigyushe॥8॥