साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा
अतः इस कथा से उपदेश मिलता है कि खेती व्यापार करते हुए भगवान् का भजन करते रहें एवं दास भाव ग्रहण करें एवं भक्ति को प्राप्त करें तो वह अनर्थ करने वाली माया आप पर प्रभावी नहीं होगी क्योंकि प्रभु चरण में प्रेम से ही भक्ति आती है और उस भक्ति की दासी माया है।
इस नश्वर शरीर से भगवत् भजन करना चाहिए तो कभी-कभी प्रभु घुणाक्षर न्याय से भी कृपा करते हैं। घुणाक्षर न्याय का मतलब होता है कि कीड़ा कभी-कभी लकड़ी काटते-काटते ओम् या राम अक्षर बना देता है। भगवान् उस कीड़े को भी कृपा कर अपना लेते हैं।
साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा
श्रीशुकदेवजी ने भी भागवत पुराण का अध्ययन अपने पिता श्री व्यासजी से किया और इसे राजा परीक्षित् को सुनाया। श्रीसूतजी ने शौनक जी से कहा कि हे शौनकजी! अब आगे वह राजा परीक्षित् के जन्म, कर्म और उनकी मुक्ति तथा पाण्डवों के महाप्रस्थान की कथा सुनें, जिससे आपके प्रश्नों का समाधान हो जायेगा।
महाभारत युद्ध में बड़े बड़े वीर मारे गये और भीम ने गदा से दुर्योधन का उरुदण्ड तोड़ दिया तो शोक सन्तप्त दुर्योधन के संतोष के लिए अश्वत्थामा ने रात्रि में कृतवर्मा एवं कृपाचार्य के सहयोग से पाण्डवों के पाँचो बच्चों के सिर सुसुप्तावस्था में काट डाला। यह देख द्रौपदी विलाप करने लगी।
“वपनं द्रविणादानं स्थानान्निर्यापणम् तथाएषहि ब्रह्मबन्धूनां वधो नान्योऽस्ति दैहिकः ।”